लखनऊ, चार अप्रैल (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने विनायक दामोदर सावरकर पर कथित अपमानजनक टिप्पणी के मामले में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को कोई राहत देने से इनकार कर दिया है।
पीठ ने गांधी की याचिका खारिज करते हुए कहा कि राहुल गांधी के पास उक्त मामले में उन्हें समन किए जाने के खिलाफ सत्र न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका दाखिल करने का विकल्प है, इसलिए फिलहाल उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने पारित किया।
याचिका में राहुल गांधी ने निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें सावरकर पर कथित अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में उन्हें समन किया गया था। इसके साथ ही राहुल गांधी ने इस मामले में निचली अदालत में अपने खिलाफ जारी कार्यवाही को भी चुनौती दी थी।
राहुल गांधी के वकील प्रांशु अग्रवाल ने दलील दी कि परिवाद में लगाए गए आरोप धारा 153ए और 505 आईपीसी के तहत मामला नहीं बनता हैं, इसके बावजूद निचली अदालत ने याची को इन धाराओं के तहत समन किया है।
उन्होंने यह भी दलील दी कि निचली अदालत ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 196 के प्रावधानों की अनदेखी करते हुए राहुल गांधी को समन किया है।
हालांकि, मामले के गुण-दोष पर टिप्पणी किए बिना अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास पुनरीक्षण याचिका दायर करने का विकल्प है।
यह मामला 17 नवंबर, 2022 को महाराष्ट्र के अकोला जिले में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान एक रैली में सावरकर पर की गई गांधी की टिप्पणियों से उपजा है।
अधिवक्ता नृपेंद्र पांडे ने शिकायत दर्ज कराई, जिसमें गांधी पर रैली के दौरान जानबूझकर सावरकर का अपमान करने का आरोप लगाया गया। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि गांधी की टिप्पणी सावरकर को बदनाम करने की एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी और टिप्पणियों को मीडिया में व्यापक रूप से प्रसारित किया गया।
भाषा सं आनन्द शफीक
शफीक
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