(फाइल फोटो सहित)
नयी दिल्ली, 27 मई (भाषा) केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को राहुल गांधी पर ‘‘आयातित टूलकिट’’ का इस्तेमाल कर झूठ फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कांग्रेस नेता के इस दावे की निंदा की कि अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदायों के योग्य उम्मीदवारों को जानबूझकर ‘उपयुक्त नहीं पाया गया’ घोषित किया जा रहा है ताकि उन्हें शिक्षा और नेतृत्व से दूर रखा जा सके।
प्रधान ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी देश में ‘‘झूठ और फरेब के सबसे बड़े ब्रांड एंबेसडर’’ बन गए हैं और यह कांग्रेस का नेहरू-गांधी परिवार है जिसने हमेशा एससी, एसटी और ओबीसी आबादी को धोखा दिया है, लेकिन ‘‘शहजादे’’ अपने ‘‘शाही परिवार के इतिहास’’ से अनजान हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘यही कारण है कि कांग्रेस आए दिन आयातित टूलकिट पर आधारित झूठ से भरी पोटली लेकर हाजिर हो जाती है।’’
उन्होंने 2014 से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार के दौरान इन समुदायों के सफल आवेदकों की तुलना 2004-14 के बीच कांग्रेस के शासन के आंकड़ों से करते हुए यह बात कही।
इससे पहले मंगलवार को राहुल गांधी ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के छात्रों के साथ अपनी हालिया बातचीत का एक वीडियो साझा किया था।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘ ‘उपयुक्त उम्मीदवार नहीं पाया गया’ अब नया मनुवाद है। एससी /एसटी/ओबीसी के योग्य उम्मीदवारों को जानबूझकर ‘अयोग्य’ ठहराया जा रहा है-ताकि वे शिक्षा और नेतृत्व से दूर रहें।’’
प्रधान ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्तियों के आंकड़ों के साथ राहुल गांधी के दावे का खंडन किया।
उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में राहुल गांधी का परोक्ष संदर्भ देते हुए कहा, ‘‘कांग्रेस के शाही परिवार ने हमेशा एससी, एसटी और ओबीसी को छला है, लेकिन शहजादे को वंचितों और दलित विरोधी अपने परिवार के इतिहास का पता नहीं है। यही कारण है कि कांग्रेस हर दिन एक आयातित टूलकिट के आधार पर शहजादे के लिए झूठ से भरी पोटली लेकर हाजिर हो जाती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लंबे समय तक शासन करने के बाद भी कांग्रेस ने दलित, पिछड़ों और शोषितों को उनके अधिकारों से वंचित रखा। 2014 में जब संप्रग (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) की सरकार गई, उस दौरान केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 57 प्रतिशत एससी, 63 प्रतिशत एसटी और 60 प्रतिशत ओबीसी वर्ग के शिक्षकों के पद रिक्त थे।’’
प्रधान ने कहा कि कांग्रेस के 2004-14 के कार्यकाल में जहां भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) में सिर्फ 83 संकाय सदस्य एससी, 14 एसटी और 166 ओबीसी वर्ग के थे, तो वहीं राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (एनआईटी) में एससी के केवल 261 संकाय सदस्य, एसटी के 72 और ओबीसी के 334 सदस्यों की नियुक्ति हुई।
उन्होंने कहा, ‘‘वहीं मोदी सरकार के कार्यकाल 2014-24 के दौरान आईआईटी में 398 एससी, 99 एसटी और 746 ओबीसी तथा एनआईटी में 929 एससी, 265 एसटी और 1510 ओबीसी शिक्षक नियुक्त हुए हैं। मोदी जी की ही सरकार ने सहायक प्रोफेसर के लिए पीएचडी की अनिवार्यता खत्म की।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जिस ‘उपयुक्त उम्मीदवार नहीं पाया गया’ (एनएफएस) की बात राहुल गांधी कर रहे हैं, वो बाबा साहेब का नाम लेकर राजनीति करने वाली दलित, शोषित और वंचित विरोधी कांग्रेसी सोच की ही देन थी। आजादी के उपरांत कांग्रेस की नीति के कारण ही एनएफएस की यह व्यवस्था कायम थी, जिस कारण एससी, एसटी और ओबीसी के हकों को मारा जाता था।’’
भाषा आशीष वैभव
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