मुंबई, सात जून (भाषा)कांग्रेस 2024 के चुनावों में ‘‘मतों की चोरी की परिपाटी’’ की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित कराने के लिए 12 जून को महाराष्ट्र में मशाल जुलूस आयोजित करेगी।
पार्टी ने दावा किया कि यह दर्शाएगा कि निर्वाचन आयोग की विश्वसनीयता दांव पर है।
कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने शनिवार को आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पाटी (भाजपा)नेता चुनाव आयोग से पूछे गए प्रश्नों का जवाब दे रहे हैं। उन्होंने आश्चर्य जताया कि क्या आगामी बिहार चुनाव के लिए भी इसी तरह के ‘‘चुनाव धोखाधड़ी परिपाटी’’ को अपनाने की योजना बनाई जा रही है।
सपकाल ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग की विश्वसनीयता दांव पर है और लोकतंत्र खतरे में है। जन जागरूकता फैलाने के लिए कांग्रेस 12 जून को पूरे महाराष्ट्र में मशाल जुलूस निकालेगी।’’
उनकी यह टिप्पणी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के इस दावे के बाद आई है कि 2024 का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव ‘‘लोकतंत्र में धांधली करने ब्लूप्रिंट’’है। राहुल गांधी ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार में प्रकाशित एक लेख में आरोप लगाया कि यह ‘‘मैच फिक्सिंग’’ अब बिहार में भी दोहराई जाएगी और फिर उन जगहों पर भी ऐसा ही किया जाएगा, जहां-जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) हार रही होगी।
सपकाल ने आरोप लगाया कि कांग्रेस द्वारा मतदान प्रतिशत में संदिग्ध वृद्धि पर गंभीर चिंता जताए जाने के बावजूद कोई जांच शुरू नहीं की गई।
उन्होंने कहा, ‘‘राहुल गांधी लगातार संसद के अंदर और बाहर जांच की मांग कर रहे हैं और एक प्रमुख राष्ट्रीय दैनिक में प्रकाशित उनके नवीनतम लेख ने राजनीतिक भूचाल ला दिया है, तथा कथित ‘चुनाव फिक्सिंग’ की जांच की मांग फिर से तेज हो गई है।’’
सपकाल ने दावा किया कि गांधी ने ठोस आंकड़ों के साथ इस मुद्दे को उठाया है, लेकिन संसद में अपने डेढ़ घंटे के भाषण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक भी शब्द नहीं कहा।‘‘यह भारत के लोकतांत्रिक ढांचे के लिए एक गंभीर खतरा है’’।
सपकाल के मुताबिक कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने जब विस्तृत जानकारी के साथ निर्वाचन आयोग से संपर्क किया लेकिन आयोग आवश्यक जानकारी देने या स्थिति स्पष्ट करने में विफल रहा।
उन्होंने सवाल किया, ‘‘इसके बजाय, सीसीटीवी फुटेज और वीडियो रिकॉर्डिंग को रोकने के लिए नियमों में संशोधन किया गया, जिससे पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। अगर कोई गलत काम नहीं हुआ है, तो तथ्यों को क्यों छिपाया जा रहा है?’’
सपकाल ने दावा किया कि 2019 के लोकसभा चुनावों से लेकर अगले पांच वर्षों में महाराष्ट्र के मतदाताओं की संख्या में 31 लाख की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा,‘‘ लेकिन 2024 के लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों के बीच सिर्फ पांच महीनों में 41 लाख नए मतदाताओं की अचानक वृद्धि देखी गई, जो बेहद संदिग्ध है।’’
सपकाल ने दावा किया कि 2004 में प्रारंभिक मतदान प्रतिशत 60 प्रतिशत था, जो अंततः थोड़ा कम होकर 59.5 प्रतिशत हो गया।
उन्होंने दावा किया, ‘‘यह (मतदान प्रतिशत)2014 में शुरुआत में 62 प्रतिशत था और अंत में 63 प्रतिशत पर पहुंचा। 2019 में यह 60.46 प्रतिशत से बढ़कर 61.10 प्रतिशत हो गया। लेकिन 2024 में प्रारंभिक आंकड़ा 58.22 प्रतिशत था और अंतिम मतदान 66.5 प्रतिशत हो गया।’’
सपकाल ने कहा कि मतदान में आठ प्रतिशत की वृद्धि अभूतपूर्व है, विशेषकर तब जब इससे पहले के चुनावों में केवल एक प्रतिशत का उतार-चढ़ाव देखा गया था।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘उन्नत प्रौद्योगिकी के बावजूद ऐसी विसंगति कैसे हो सकती है? निर्वाचन आयोग को जनता को स्पष्टीकरण देना चाहिए।’’
उन्होंने सवाल किया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने निर्वाचन आयोग के लिए पूछे गए सवालों का जवाब क्यों दिया?
सपकाल ने कहा, !!वे जवाब क्यों दे रहे हैं? इससे यह संदेह और गहरा होता है कि महाराष्ट्र में इस्तेमाल किए गए वोट चोरी की वही परिपाटी अब आगामी बिहार चुनावों, मुंबई नगर निकाय और स्थानीय निकाय चुनावों के लिए अपनाने की योजना बनाई जा रही है।’’
भाषा धीरज रंजन
रंजन
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