नयी दिल्ली, 24 दिसंबर (भाषा) मशूहर गायक मोहम्मद रफी का गाया गाना ‘‘मुझको मेरे बाद जमाना ढूंढेगा’’ वास्तव में उनकी बात को सच साबित करता है। उनके लाखों चाहने वालों को आज भी तब सुकून का अहसास होता है जब वे उनके गीत सुनते हैं।
एक सदी पहले 24 दिसंबर, 1924 को जन्मे मोहम्मद रफी के गाए गाने सदाबहार हैं और आज भी लोगों के दिलों में बसते हैं। ये अहसास कराते हैं माने वे हमें छोड़कर कहीं गए ही नहीं हैं।
साल 1980 में 55 वर्ष की आयु में रफी का निधन हो गया था। उन्होंने अपने पूरे करियर में पांच हजार से अधिक गाने गाए हैं, जिसमें हर तरह के गीत शामिल हैं।
यह सूची उनके विविधताओं से भरे गीतों की मात्र एक झलक प्रस्तुत करने जैसी है, क्योंकि उनके गाये सभी गीत अनमोल हैं।
प्यार भरे गाने:
1. ‘‘दीवाना हुआ बादल’’: 1964 में बनी फिल्म ‘कश्मीर की कली’ में गाए हुए इस गाने को रूमानी गीत कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। रफी संभवतः हिन्दी सिनेमा के पहले ऐसे गायक थे जिन्होंने गायन में अभिनय का समावेश किया और उन्होंने शम्मी कपूर के लिए इस गीत में पार्श्वगायन करके यही किया।
यह गीत लिखा था एस.एच बिहारी ने और इसका संगीत ओपी नय्यर ने दिया था।
2. ‘‘अभी न जाओ छोड़ कर’’: मोहम्मद रफी ने 1961 में बनी फिल्म ‘हम दोनों’ में यह गाना गाया था। उन्होंने हिंदी सिनेमा के सदाबहार रोमांटिक अभिनेता देव आनंद के लिए यह गाना गाया था। जयदेव ने इस गाने में संगीत दिया था जबकि साहिर लुधियानवी ने इसके बोल लिखे थे।
पार्टी गीत:
1. ‘‘बदन पे सितारे’’: मोहम्मद रफी के इस सदाबहार गाने को गुनगाने के लिए किसी के 60 या 70 के दशक में जन्मे होने की जरूरत नहीं है। जब आप इस गाने को सुनेंगे तो यह आपकी जुबां पर रट जाएगा और आप इसे गुनगुनाए बिना नहीं रहेंगे। आज भी कोई पार्टी शायद ही इस गाने के बिना पूरी होती हो।
वर्ष 1969 में आई फिल्म ‘‘प्रिंस’’ में शम्मी कपूर और वैजयंतीमाला ने इस गाने पर नृत्य किया है।
2. ‘‘जिया ओ’’: शंकर-जय किशन और हसरत जयपुरी की जगुलबंदी से बना यह गीत फिल्म ‘‘जब प्यार किसी से होता है’’ (1961) में अभिनेता देव आनंद पर फिल्माया गया था।
दर्द भरे गीत:
1. ‘‘दिन ढल जाए’’: 1965 की फिल्म ‘गाइड’ के इस गाने को एसडी बर्मन ने संगीतबद्ध किया और शैलेन्द्र ने इसके बोल लिखे हैं। देव आनंद ने इस फिल्म में मुख्य भूमिका निभाई है। इस गाने में आनंद शराब पीते हुए अपनी प्रेमिका (वहीदा रहमान) के लिए तरसते हुए नजर आते हैं।
2. ‘‘ये दुनिया अगर मिल भी जाए’’: गुरु दत्त द्वारा अभिनीत एक निराश कवि पर फिल्माया गया यह एक परम दार्शनिक गीत है जो विश्व में व्याप्त भौतिकवाद, भ्रष्टाचार और पाखंड को उजागर करता है। 1957 की फिल्म ‘‘प्यासा’’ का यह गीत साहिर लुधियानवी द्वारा लिखा गया था और एस डी बर्मन द्वारा संगीतबद्ध किया गया था।
शास्त्रीय गीत:
1. ‘‘मधुबन में राधिका नाचे रे’’: यह रफी के सबसे लोकप्रिय गीतों में से एक है जो न केवल कला बल्कि गायन कला पर भी उनकी महारत को दर्शाता है। 1960 की फिल्म ‘‘कोहिनूर’’ में अभिनेता दिलीप कुमार और अभिनेत्री कुमकुम पर इस गाने को फिल्माया गया था।
2. ‘‘अजहुं ना आए बलमवा’’: महमूद और शुभा खोटे पर फिल्माया गया यह गाना 1964 में आई फिल्म ‘‘सांझ और सवेरा’’ का है। मोहम्मद रफी और सुमन कल्याणपुर दोनों ने ही इस गाने में अपनी मधुर आवाज दी है।
भजन और कव्वाली:
1. ‘‘मन तड़पत हरि दर्शन को आज’’: मोहम्मद रफी ने 1952 की फिल्म ‘‘बैजू बावरा’’ में यह भजन गाया था। यह भजन भगवान कृष्ण को समर्पित है। इस भजन के बोल शकील बदायुनी ने लिखे थे और संगीत नौशाद ने दिया था।
2. ‘‘परदा है परदा’’: मोहम्द रफी ने जितनी भी कव्वालियां गाई हैं, उनमें से यह कव्वाली सबसे ज्यादा यादगार है। 1977 में बनीं फिल्म ‘अमर अकबर एंथनी’ में यह कव्वाली गाई गई थी।
आनंद बख्शी द्वारा लिखित और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा तैयार किया गया यह कव्वाली गीत ऋषि कपूर और नीतू कपूर पर फिल्माया गया है, जिसमें अमिताभ बच्चन और मुकरी भी नजर आए हैं।
देशभक्ति:
1. ‘‘ऐ वतन ऐ वतन’’: मोहम्मद रफी द्वारा 1965 में आई फिल्म ‘‘शहीद’’ में गाए गए इस गाने को प्रेम धवन ने लिखा और तैयार किया है। यह गीत ब्रिटिश राज से भारत को मुक्त कराने की आजादी के दीवाने भगत सिंह (मनोज कुमार) की शपथ था जो फांसी पर लटकाए जाने से पहले वह लेते हैं।
2. ‘‘अपनी आज़ादी को हम’’: दिलीप कुमार और वैजयंतीमाला पर फिल्माया गया यह गीत 1965 की फिल्म ‘‘लीडर’’ का है। यह गीत उस अनुभव को बयां करता है जब भारत को अंग्रेजों के शासन से आजादी मिली थी। यह गीत आज भी श्रोताओं में देशभक्ति की भावना को जगाता है।
भाषा
प्रीति पवनेश
पवनेश
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