नई दिल्ली : शुक्रवार को रफाल सौदे पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘प्रक्रिया में विशेष कमी नही रही है और केंद्र के 36 विमान खरीदने के फैसले पर सवाल उठाना सही नहीं है. राफेल सौदे में मोदी सरकार को उच्चतम न्यायालय से बहुत बड़ी राहत मिली है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा रफाल मामले की नहीं होगी कोई जांच. कोर्ट ने कहा कि कीमत देखना कोर्ट का काम नहीं है. कोर्ट ने रफाल सौदे पर दखल देने से इंकार किया और सौदे से जुड़ी सभी याचिकाएं ख़ारिज की. कोर्ट ने यह भी कहा किसी के धारणा के आधार पर फैसला नहीं लिया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा ऑफसेट पार्टनर के पक्षपात बरतने के कोई सबूत नहीं हैं.
रफाल सौदे को लेकर विपक्षी दलों ने मोदी सरकार के खिलाफ पिछले कई महीनों से मोर्चा खोल रखा है, जिसका खामियाज़ा विश्लेषक मानते है कि उसे विधानसभा चुनावों में भुगतना पड़ा.
इससे पहले 14 नवंबर को हुई सुनवाई में रफाल मामले पर अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया गया था.
रफाल सौदे पर फैसला सुनते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि ऑफसेट पार्टनर की पसंद में कोर्ट के हस्तक्षेप का कोई कारण नहीं है. ‘ ऑफसेट पार्टनर की पसंद में किसी हस्तक्षेप की ज़रूरत नहीं. और किसी के ऐसा मानना कि कुछ गलत हुआ है को जांच कराने का आधार नहीं बनाया जा सकता. प्रतिरक्षा खरीद का मामला बेहद ही संवेदनशील है.’
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने ये भी कहा-‘हम 126 एयरक्राफ्ट खरीदने के लिए सरकार को मजबूर नहीं कर सकते हैं और अदालत के लिए इस मामले के हर पहलू की जांच करना उचित नहीं है.’
एडवोकेट एम.एल. शर्मा , विनीत ढांडा, आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने राफेल डील की अदालत की निगरानी में जांच की मांग करते हुए याचिका दायर की थी. इनके बाद पूर्व केंद्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी एवं ऐक्टिविस्ट एडवोकेट प्रशांत भूषण ने याचिका दायर कर सीबीआई को एफआईआर दर्ज कर डील में अनियमितता की जांच की मांग की थी.