मैनपुरी : जेलों से जुड़ी तमाम नेगेटिव स्टोरी तो आम हैं. लेकिन यूपी के मैनपुरी जिला जेल की एक अनोखी पहल बाकियों के लिए मिसाल बन रही है. हाल ही में इस जेल में कैदियों के लिए रेडियो स्टेशन की शुरुआत की है. यहां गाना सुनने वाले भी कैदी हैं और सुनाने वाले भी. इस रेडियो स्टेशन का नाम ‘जेल रेडियो’ रखा गया जो जेल में ही चलता है.
कैदियों को मनोरंजन के साथ सीख भी
जेल अधीक्षक हरिओम शर्मा के मुताबिक जेल रेडियो शुरू करने का मुख्य कारण कैदियों के मनोरंजन के साथ जागरुक करना है. इस रेडियो स्टेशन को शुरू करने में जेल अधीक्षक के अलावा सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप रघुनंदन, जेल अध्यापक ब्रजेश चतुर्वेदी का अहम योगदान है. प्रदीप रघुनंदन पिछले कई साल से जेल सुधार के कार्य से जुड़े हैं. कुछ महीने पहले तीनों ने मिलकर रेडियो स्टेशन की प्लानिंग की और इस साल 22 जून को जेल में ही इस स्टेशन की शुरुआत कर दी. प्रदीप ने बताया वह कविता लेखन, निबंध लेखन जैसे तमाम कॉम्पिटिशन कैदियों के बीच कराते थे.
2006 में एटा जेल से उन्होंने जेल सुधार इनीशिएटिव की शुरुआत की थी. प्रदेश की तमाम जेलों में उन्होंने ऐसी एक्टिविटीज़ कराईं. इस बीच उन्हें महसूस हुआ कि समाचार व संगीत से संबंधित एक्टिविटी भी होनी चाहिए. इसके बाद रेडियो स्टेशन की प्लानिंग शुरू हुई. चुनाव के कारण आचार संहिता लागू थी, जिस वजह से इसका लाॅन्चिंग टाली गई. जिले के डीएम व एसपी से इसकी लाॅन्चिंग कराई गई.
जेल रेडियो के संचालन के लिए जिला जेल परिसर में ही स्टूडियो बनाया गया है, जहां से इसका नियंत्रण होता है. जेल अधीक्षक हरिओम शर्मा ने बताया कि पूरे कारागार में आधुनिक साउंड सिस्टम लगाया गया है. एक कंट्रोल रूम है जिसे स्टूडियो भी कह सकते हैं. इसमें कंप्यूटर व माइक का पूरा सिस्टम है, जैसे रेडियो स्टूडियो में होता है. रोजाना एक घंटे रेडियो शो होता है और ये दोपहर 2 से 3 बजे तक प्रसारित होता है.
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टैलेंट हंट के जरिए कैदी बनते हैं रेडियो जाॅकी
जेल में बंद अजय चौहान को मुख्य रेडियो जॉकी की जिम्मेदारी सौंपी गई है. उनके अलावा आठ लोगों की टीम में विजय भदौरिया, कृपाशंकर, सरदीप, राहुल, आशीफ, मनोज, दुर्वेश को शामिल किया गया है. इसमें अभी छह कैदियों को रेडियो जाॅकी बनाया गया है. वहीं बाकि दो एक्सट्रा में हैं. इन आरजे का चयन टैलेंट हंट के जरिए हुआ, जिसमें जेल के सभी कैदियों को हुनर दिखाने का मौका दिया गया.
जेल अधीक्षक हरिओम शर्मा ने बताया रोजाना सुबह कैदियों से उनकी फरमाइश पूछी जाती है. फिर गानों की लिस्ट तैयार होती है. गानों को पेन ड्राइव में लेकर उन्हें प्ले किया जाता है. बीच-बीच में आरजे तमाम अनाउंसमेंट करता है. इसके अलावा एक सेगमेंट न्यूज़ का भी होता है जिसमें देश-दुनिया की घटनाओं के बारे में बताया जाता है. इसके अलावा कानून व स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी भी दी जाती है. जेल अधीक्षक के मुताबिक कानून व स्वास्थ्य पर विशेष फोकस रहता है.
बंदी बनते हैं शिक्षा मित्र
जेल अधीक्षक हरिओम शर्मा के मुताबिक जिला कारागार मैनपुरी में ‘शिक्षा आपके द्वार’ योजना के अंतर्गत हर बैरक में शिक्षा पार्क विकसित किए गये. हर बैरक में इंटर पास और शिक्षण कार्य में रुचि रखने वाले दो-दो बंदियों को शिक्षामित्र के रुप में रखा गया है. यह शिक्षा मित्र (बंदी) प्रतिदिन दो घंटे निरक्षर बंदियों को साक्षर करने का करने का कार्य करते हैं. जिला कारागार मैनपुरी में संसद की तर्ज पर होगी बंदी संसद भी है. जिसमें प्रत्येक बैरक में शिक्षा मंत्री ,स्वच्छता मंत्री, भोजन एवं जल मंत्री चुने जाते हैं.
कैदियों में सुधार का लक्ष्य
सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप रघुनंदन के मुताबिक कैदियों में सुधार की हमेशा आवश्यकता रहती है. कई कैदी जेल में आकर अपनी गलतियों का अहसास करते हैं. ऐसे में हमारा प्रयास रहता है कि उन्हें जेल सुधार कार्यक्रम से जोड़ें. इसके अंतर्गत उन्हें लेखन, गायन, कला आदि तमाम एक्टिविटीज से जोड़ा जाता है. उनके मुताबिक जेल रेडियो अपने आप में एक अभिनव प्रयोग है, जो न सिर्फ बंदियों का मनोरंजन करता है, बल्कि बंदियों को अपराध से विमुख रखने, उनके मानसिक परिवर्तन लाने और उच्च जीवन मूल्यों की स्थापना करने में महत्वपूर्ण होगा.
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जेल अध्यापक ब्रजेश चतुर्वेदी के मुताबिक मैनपुरी जिला जेल का रेडियो स्टेशन देश का पहला स्टेशन है, जो जिला कारावास में शुरु हुआ है. इससे पहले भोपाल सेंट्रल जेल में ऐसा ही रेडियो स्टेशन खुला था. जिसमें कविताएं, भजन समेत तमाम भक्ति गीत सुनाए जाते हैं. उन्हें उम्मीद है कि रेडियो स्टेशन ने कैदियों के बीच एक साकरात्मक सोच पैदा करेगा और दूसरी जेलों में भी इसकी शुरुआत होगी.