ऋषिकेश, 21 अप्रैल (भाषा) उत्तराखंड के कॉर्बेट बाघ अभयारण्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इन इलाकों में सक्रिय बाघों के गले में रेडियो कॉलर लगाने की योजना बनाई गई है। अभयारण्य के निदेशक साकेत बड़ोला ने सोमवार को यह जानकारी दी।
बड़ोला ने कहा कि कॉर्बेट के सीमावर्ती क्षेत्रों में लगभग 75 बाघ सक्रिय हैं और वहां मानव-पशु संघर्ष की चुनौती हमेशा मुंह बाए खड़ी रहती है। उन्होंने कहा कि इस योजना से सरकार को बाघों के संरक्षण के अलावा जंगल के सीमावर्ती क्षेत्रों में रह रहे ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
बड़ोला के मुताबिक, योजना के प्रथम चरण में बेहद संवेदनशील ‘फ्रिंज क्षेत्र’ का चयन कर चार से पांच बाघों को रेडियो कॉलर लगाए जाएंगे और इनके जरिये उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी। उन्होंने बताया कि जैसे ही बाघ के मानव आबादी वाली क्षेत्र के पास होने के संकेत मिलेंगे, तत्काल गश्त सक्रिय कर दी जाएगी।
बड़ोला के अनुसार, रेडियो कॉलर के माध्यम से यह अध्ययन भी किया जाएगा कि बाघ ‘फ्रिंज क्षेत्र’ में कब और कितने अंतराल के बाद आते-जाते हैं, कितनी देर जंगल में रहते हैं और उनकी दैनिक गतिविधियां क्या हैं।
बड़ोला ने कहा कि ये सभी कार्य उत्तराखंड के मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक रंजन कुमार मिश्रा की अनुमति से किए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि एक साल बाद अध्ययन से जुटाई गई जानकारियों के आधार पर निकाले गए निष्कर्षों को मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक के अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा।
बड़ोला ने कहा कि यह अध्ययन ऐसी नीतियां बनाने में सरकार की मदद करेगा, जिससे बाघों का संरक्षण और जंगल के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।
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सं दीप्ति पारुल
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