मुक्तसर (पंजाब), 14 जनवरी (भाषा) कट्टरपंथी उपदेशक और जेल में बंद खडूर साहिब के सांसद अमृतपाल सिंह के समर्थकों एवं कट्टरपंथी नेताओं ने मंगलवार को माघी मेले के अवसर पर मुक्तसर जिले में एक नये क्षेत्रीय राजनीतिक दल ‘अकाली दल वारिस पंजाब दे’ का गठन किया।
इस अवसर पर अमृतपाल के पिता तरसेम सिंह और फरीदकोट के सांसद सरबजीत सिंह खालसा मौजूद थे। सरबजीत सिंह खालसा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के दो हत्यारों में से एक का बेटा है।
खालसा ने यहां उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उम्मीद जतायी कि लोग नयी क्षेत्रीय पार्टी का समर्थन करेंगे और उसे मजबूत करेंगे। उन्होंने अधिक से अधिक लोगों से पार्टी में शामिल होने को कहा। खालसा ने कहा, ‘‘ईश्वर के आशीर्वाद से पार्टी सफल होगी।’’
अमृतपाल ने पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में खडूर साहिब से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की थी। फिलहाल वह राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है।
‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के मुखिया अमृतपाल को उसके नौ साथियों के साथ रासुका के तहत जेल में डाल दिया गया था।
हर साल माघी मेला 40 ‘मुक्तों’ की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने 1705 में मुगलों से लड़ते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिये थे।
इस मौके पर श्री मुक्तसर साहिब घोषणापत्र नामक 15 सूत्री प्रस्ताव भी पारित किया गया। प्रस्ताव के मुताबिक, सिंह को नयी पार्टी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
प्रस्ताव में कहा गया है कि पांच सदस्यीय कार्यकारिणी समिति का गठन किया गया है, जिसके सदस्यों में तरसेम सिंह और खालसा शामिल हैं। प्रस्ताव में कहा गया है कि समिति को पार्टी का संगठनात्मक ढांचा तैयार करने का काम सौंपा गया है।
पार्टी का सदस्यता अभियान चलाने के लिए सात सदस्यीय समिति का भी गठन किया गया।
प्रस्ताव के अनुसार, पार्टी सिख संस्थाओं को सशक्त बनाने के लिए आवश्यक सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘एक वैकल्पिक संगठन, वैकल्पिक राजनीति और एजेंडे की तत्काल आवश्यकता है।’’
इसमें कहा गया है कि संगठन पंजाब में सभी धर्मों, शहीदों के परिवारों, दलितों, मजदूरों, श्रमिकों, किसानों, व्यापारियों और कर्मचारियों के हितों की रक्षा करेगा।
प्रस्ताव के अनुसार, राज्य में नशाखोरी को सबसे बड़े संकटों में से एक बताया गया। इसमें कहा गया है, ‘‘अखबारों की खबरें, सोशल मीडिया पोस्ट बताते हैं कि स्थिति कितनी खराब है। हर गांव, शहर, कस्बे में माता-पिता अपने बेटों की तस्वीरें पकड़े नजर आते हैं।’’
प्रस्ताव में ‘बंदी सिंह’ (सिख कैदियों) की रिहायी की भी मांग की गई है और प्रतिबद्धता जतायी गई है कि इस संबंध में शांतिपूर्ण संघर्ष जारी रहेगा।
प्रस्ताव में किसानों के मुद्दों का समाधान नहीं करने के लिए केंद्र की आलोचना भी की गई है, जो अपनी मांगों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
भाषा अमित दिलीप
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