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Thursday, 25 April, 2024
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इंस्टाग्राम रील, फेसबुक वीडियो – कैसे बरजिंदर परवाना पटियाला हिंसक झड़प का ‘मास्टरमाइंड’ बना

एक स्वयंभू धार्मिक नेता और 'इन्फ्लुएंसर' परवाना पर सिख प्रदर्शनकारियों को कट्टरपंथी हिंदू संगठनों से लड़ने के लिए उकसाने का आरोप लगा है.

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पटियाला: ‘खालिस्तान जिंदाबाद है, खालिस्तान जिंदाबाद रहेगा’ – एक स्वयंभू सिख धार्मिक और ‘इन्फ्लुअंसर’ बरजिंदर सिंह परवाना द्वारा पोस्ट किए जाने वाले सोशल मीडिया वीडियो में यह एक आम बात है. पटियाला में पिछले शुक्रवार की सांप्रदायिक झड़प के ‘मास्टरमाइंड’ परवाना को पंजाब पुलिस ने रविवार को गिरफ्तार किया था.

38 साल के परवाना को मोहाली हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया और घटना के दो दिन बाद चार दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. उस पर प्रदर्शनकारियों को भड़काने का आरोप है जिसकी वजह से पटियाला में एक पूर्व नियोजित ‘खालिस्तान मुर्दाबाद’ मार्च का नेतृत्व करने वाले हिंदू चरमपंथी संगठनों के सदस्यों और कट्टरपंथी सिख  प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प हो गई थी.

पुलिस सूत्रों के अनुसार, परवाना सिख प्रदर्शनकारियों के प्रमुख नेताओं में से एक था और उसने अपने इंस्टाग्राम रील के साथ-साथ फेसबुक और यूट्यूब वीडियो के जरिए कुछ दिन पहले से ही लोगों को इसके खिलाफ लामबंद करना शुरू कर दिया था.

एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘ परवाना सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट के चलते हमारी जांच के दायरे में आया. अपनी वीडियो के जरिए वह ज्यादा से ज्यादा लोगों को पटियाला पहुंचने का आह्वान कर रहा था. वह उस दिन इतनी भीड़ जुटाने में कैसे कामयाब रहा, इसका खुलासा जांच पूरी होने के बाद किया जाएगा.’

दिप्रिंट ने उन वीडियो को देखा है, जिसमें परवाना अपने सोशल मीडिया फॉलोअर्स को महाराष्ट्र पार्टी की पंजाब इकाई शिवसेना (बाल ठाकरे) सहित हिंदू समूहों के सदस्यों द्वारा आयोजित ‘खालिस्तान विरोधी मार्च’ का विरोध करने के लिए उकसाता हुआ नजर आ रहा है.

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घटना से पांच दिन पहले 24 अप्रैल को पोस्ट की गई एक इंस्टाग्राम रील में परवाना ने अपने फॉलोअर्स से 29 अप्रैल को ‘खालिस्तान स्थापना दिवस’ के लिए ‘तैयार रहने’ को कहा था. इसी दिन हिंदू संगठनों द्वारा खालिस्तानी विरोधी मार्च निकाला जाना था.

हालांकि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) नानक सिंह ने उन्हें भरोसा दिलाया था वह इस मार्च को नहीं निकलने देंगे लेकिन इसके बावजूद परवाना ने एक आकस्मिक योजना तैयार की. परवाना ने आहवान किया: ‘हमे दुख निवारण गुरुद्वारे पर इक्ट्ठा होना है और उसके चारों ओर एक परिक्रमा (परिक्रमा) करनी है. हम इन बंदरों (रैली के पीछे कथित शिवसैनिकों का जिक्र करते हुए) को दौड़ाएंगे और उनकी पूंछ में आग लगाएंगे.’  घटना के बाद एसएसपी का ट्रांसफर कर दिया गया है.

परवाना की गिरफ्तारी की शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने आलोचना की है. यह गुरुद्वारों का प्रबंधन करने वाली एक महत्वपूर्ण संस्था है. एसजीपीसी का कहना है कि अगर पुलिस ने एहतियात के तौर पर पहले ही कार्रवाई की होती तो झड़प नहीं होती.

बरजिंदर सिंह परवाना कौन है और वास्तव में उसके कितने फॉलोअर्स हैं? यह जानने के लिए दिप्रिंट ने पटियाला जिले के राजपुरा शहर में परवाना के परिवार और पड़ोसियों से मुलाकात की. साथ ही उसके सोशल मीडिया पोस्ट पर भी बारीकी से नजर डाली.


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एक जत्थे के संस्थापक और महत्वाकांक्षी धार्मिक ‘इन्फ्लुएंसर’

बरजिंदर सिंह परवाना पंजाब के सिख धार्मिक नेताओं में से एक हैं, जो दमदमी टकसाल जत्था राजपुरा का प्रमुख है. इसके फेसबुक पेज पर 3.7 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं. उसकी पोस्ट में भक्ति कार्यक्रमों की अध्यक्षता करने और खालिस्तान के बारे में बात करने के कई वीडियो मौजूद हैं.

‘खालिस्तानी विरोध मार्च’  के दिनों में परवाना ने स्थानीय शिवसेना के खिलाफ काफी कुछ पोस्ट किया और लोगों से खालिस्तान विरोधी ताकतों के खिलाफ एकजुट होने के लिए कहा.

अपने प्राइवेट सोशल मीडिया चैनलों पर भी परवाना ने इसी तरह की सामग्री साझा की. हालांकि वहां उसके अपेक्षाकृत थोड़े कम फॉलोअर्स हैं.

वह इन दिनों विशेष रूप से इंस्टाग्राम पर काफी सक्रिय रहे. यहां उसके लगभग 40,000 फॉलोअर्स हैं. उसने आगामी मार्च का विरोध करने और सिखों को एकजुट होने के लिए कहते हुए कई रील और छोट-छोटे वीडियोज बनाए. ऐसा ही एक वीडियो उसने यूट्यूब पर भी शेयर किया है.

पिछले कुछ सालों से सोशल मीडिया पर धर्म के नाम पर अपने विचारों को बढ़ावा देने वाले परवाना का प्रभाव पंजाब में राजपुरा और पटियाला से आगे नहीं है. उसने ‘कौन बनेगा प्यारे दा प्यारा’ नाम से एक क्विज शो भी आयोजित किया था. इस क्विज के जरिए बच्चों को उनके धार्मिक ज्ञान की परख की गई और पुरस्कृत भी किया गया. अपने कई वीडियो में वह ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ का नारा लगाते हुए दिख रहा है.

पटियाला के पंजाबी विश्वविद्यालय में धार्मिक अध्ययन के प्रोफेसर गुरमीत सिंह सिद्धू के अनुसार, परवाना कई ऐसे ‘फ्रिंज’ नेताओं में से एक है जो राज्य में अपनी गतिविधियां चलाते हैं और लोगों का अपनी तरफ ध्यान खींचने के लिए दंगा भड़काने पर भरोसा करते हैं.

सिद्धू ने कहा, ‘दक्षिणपंथी हिंदुओं और सिख कट्टरपंथियों दोनों के बीच उसके ज्यादा प्रशंसक नहीं हैं. यहां उसे गंभीरता से नहीं लिया जाता है.’  वह आगे कहते हैं, ‘ये लोग एक-दूसरे से लड़ते हैं और सोशल मीडिया पर भड़काऊ वीडियो पोस्ट करते हैं, ताकि वे तुरंत लोकप्रियता पा सकें.’


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किसानों आंदोलन के दौरान की ‘सेवा’, लेकिन पुलिस की जांच के घेरे में

जब दिप्रिंट ने राजपुरा में परवाना के परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों से मुलाकात की तो वे उसकी गिरफ्तारी से हैरान नजर आए. और उसके बारे में कुछ भी कहने से हिचक रहे थे.

नाम न छापने की शर्त पर परिवार के एक सदस्य ने बताया कि उसका जन्म मई 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार से कुछ हफ्तों पहले हुआ था. इस कार्रवाई के दौरान भारतीय सेना ने आतंकवादियों को खदेड़ने के लिए अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर में गोलियां चलाई थीं.

परिवार ने कहा कि परवाना का बचपन  पड़ोस के अन्य बच्चों की शांतिमय तरीके से बीता. वह बहुत कम उम्र से ‘सेवा’ देने लगा था.

परिवार के एक करीबी सदस्य ने बताया, ‘वह रोजाना गुरुद्वारे जाता, वहां सेवा देता और हमेशा संगत में शामिल रहता था. स्कूली शिक्षा के बाद, पुलिस में भर्ती कराने के लिए उसके पिता एक फॉर्म लेकर आए थे, लेकिन परवाना ने उस ओर जाने से मना कर दिया. इसके बजाय वह धर्म की राह पर चल निकला. उसने धार्मिक अध्ययन और उपदेश के लिए अपना घर छोड़ दिया था.’

परवाना ने अपनी धार्मिक शिक्षा दमदमी टकसाल से प्राप्त की. यह अमृतसर के पास स्थित एक सिख शैक्षणिक निकाय है. इसे कभी उग्रवाद की नर्सरी के रूप में जाना जाता था. इस साल जनवरी में इसके प्रमुख हरनाम सिंह धुम्मा राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए हैं.

समाचारों से मिली जानकारी के अनुसार, परवाना 2007 से 2008 तक सिंगापुर में भी रहा. लेकिन कुछ समय बाद ही वह अपना धार्मिक संगठन स्थापित करने के लिए वापस आ गया.

राजपुरा में उनके पड़ोस में रहने वाले अधिकांश निवासियों ने परवाना के बारे में सकारात्मक बातें की और कहा कि उन्होंने 2020-21 के किसानों आंदोलन के दौरान काफी सेवा की थी. उनके पड़ोसियों के लिए यह विश्वास करना मुश्किल था कि उसने हिंसा को उकसाया होगा. कुछ लोगों ने आश्चर्य व्यक्त किया कि ऐसा करने के लिए क्या उसके पास इतने फॉलोअर्स हैं?

उसकी गिरफ्तारी से आहत परिवार वालों ने कहा कि काश, उसने अपने संवाद कौशल का इस्तेमाल संघर्ष के बजाय शांति का संदेश फैलाने के लिए किया होता.

हालांकि, यह पहली बार नहीं है. इससे पहले भी स्थानीय शिवसेना के साथ संघर्ष में परवाना का नाम आया था और पुलिस ने कार्रवाई की थी.

पिछले साल जुलाई में मोहाली पुलिस ने शिवसेना के एक स्थानीय नेता की शिकायत के आधार पर परवाना को गिरफ्तार किया था. उस समय शिवसेना (पंजाब) – पंजाब में एक ही नाम के कई संगठनों में से एक – के सदस्यों ने ऑपरेशन ब्लू स्टार की वर्षगांठ मनाने के लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया था. जब परवाना ने कथित तौर पर उनके एक पोस्टर को फाड़ दिया और कहा कि यह पंजाब में आग लगा देगा. एक शिकायत के बाद उस पर दंगा भड़काने के इरादे सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.

पटियाला हिंसा के मामले में पुलिस अब तक परवाना, शिवसेना (बाल ठाकरे) नेता हरीश सिंगला और कम से कम सात अन्य को गिरफ्तार कर चुकी है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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