scorecardresearch
Wednesday, 24 April, 2024
होमदेशपंजाब संकट सुलझा, कांग्रेस ने अब सचिन पायलट-अशोक गहलोत विवाद निपटाने के लिए राजस्थान का रुख किया

पंजाब संकट सुलझा, कांग्रेस ने अब सचिन पायलट-अशोक गहलोत विवाद निपटाने के लिए राजस्थान का रुख किया

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ जारी विवाद सुलझाने के लिए कांग्रेस नेता और राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को ‘तात्कालिक समाधान’ के तौर पर एआईसीसी में कोई भूमिका दी जा सकती है.

Text Size:

नई दिल्ली: पंजाब के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने अब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच लंबे समय से चल रहे गतिरोध को दूर करने के लिए कमर कस ली है.

कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी अजय माकन और कांग्रेस महासचिव (संगठन) के.सी. वेणुगोपाल ने सप्ताहांत में जयपुर का दौरा किया और रविवार को पार्टी विधायकों से मुलाकात की. इसके बाद माकन ने कहा कि वह पार्टी नेताओं के साथ एक और दौर की बैठक के लिए 28 जुलाई को फिर राजस्थान आएंगे.

माकन ने रविवार को मीडिया से कहा कि ‘पार्टी नेताओं के बीच कोई विरोधाभास नहीं है और उन सबने कैबिनेट विस्तार के बारे में अंतिम निर्णय पार्टी आलाकमान पर छोड़ दिया है.’

हालांकि, सूत्रों ने कहा कि कैबिनेट विस्तार की योजना है और 1 अगस्त के बाद इसकी घोषणा हो सकती है. मौजूदा समय में 30 सदस्यीय मंत्रिपरिषद में नौ जगह खाली हैं.

राजस्थान कांग्रेस के एक शीर्ष नेता ने कहा, ‘इनमें से चार सीटों पर पायलट समर्थकों को जगह दिए जाने के आसार है.’

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

पायलट खेमे के लोगों को जहां फेरबदल के दौरान कैबिनेट में शामिल किए जाने की संभावना है, वहीं खुद पायलट को राजस्थान की राजनीति से दूर केंद्रीय पार्टी नेतृत्व में कोई भूमिका दी जा सकती है.

राजस्थान कांग्रेस के नेता ने कहा, ‘एआईसीसी महासचिव या एआईसीसी पदाधिकारी के तौर पर कोई अन्य भूमिका देने पर विचार हो रहा है.’

नेता ने कहा कि यह एक ‘अस्थायी समाधान’ है, जब तक राजस्थान कांग्रेस के भीतर पायलट के लिए कोई स्थायी भूमिका तैयार नहीं हो जाती.’ नेता ने कहा, ‘यह कुछ समय लेने का तरीका है, जब तक केंद्रीय नेतृत्व यह तय कर पाए कि आने वाले समय में दोनों ही नेताओं (गहलोत और पायलट) को खुश रखने के लिए क्या किया जा सकता है.’

पायलट ने अभी कोई मन नहीं बनाया

फिलहाल, यह स्पष्ट नहीं है कि पायलट पार्टी में केंद्रीय भूमिका के लिए राजस्थान छोड़ने को तैयार होंगे या नहीं. राजस्थान के एक अन्य शीर्ष कांग्रेस नेता ने कहा कि वह अब तक इसके ‘अनिच्छुक’ रहे हैं, और अभी तक इस मामले में उन्होंने अपना मन नहीं बनाया है.


यह भी पढ़ें : मोदी आदतन भाजपा के सीनियर नेताओं को अपमानित करते हैं, येदियुरप्पा उनके ताजा शिकार हैं: कांग्रेस


2014 में राज्य कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के बाद से राजस्थान ही उनका सियासी मैदान रहा है. यह वह पद है जो वह 2018 के विधानसभा चुनावों में पार्टी की जीत के दौरान संभाल रहे थे. उम्मीद थी कि इस जीत के बाद पायलट को सीएम बनाया जाएगा, लेकिन उन्हें डिप्टी सीएम के पद से समझौता करना पड़ा था.

हालांकि, पिछले साल जुलाई में गहलोत ने पायलट पर भाजपा के साथ रिश्ते बढ़ाने का आरोप लगाया था और फिर व्यापक स्तर पर ये अटकलें लगाई जा रही थीं कि वह 18 समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़ देंगे.

लेकिन दोनों नेताओं के बीच यह सार्वजनिक विवाद 14 जुलाई 2020 को पायलट को राजस्थान के डिप्टी सीएम के साथ-साथ कांग्रेस की राज्य इकाई के प्रमुख के पद से भी बर्खास्त किए जाने के साथ खत्म हुआ.

तबसे ही पायलट एकदम लो-प्रोफाइल बने हुए हैं और किसी भी तरह के विवाद से दूर रहकर किसानों को एकजुट करने के काम में जुटे हैं.

यदि वह एआईसीसी में पदाधिकारी बनाए जाने के केंद्रीय नेतृत्व के प्रस्ताव को स्वीकार कर लेते हैं, तो उनकी सियासी गतिविधियों का आधार दिल्ली स्थानांतरित हो सकता है.

पायलट को समाधान का आश्वासन दिए एक साल से अधिक का समय बीत गया है. उनकी शिकायतों को दूर करने के लिए पिछले साल अगस्त में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया था, लेकिन एक साल बाद भी इस समिति, जिसमें माकन और वेणुगोपाल शामिल हैं, ने अभी तक आलाकमान को अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी है.

समिति के तीसरे सदस्य और पार्टी के अनुभवी नेता अहमद पटेल का पिछले साल नवंबर में निधन हो गया था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments