चंडीगढ़, सात मई (भाषा) पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार तथा पुलिस सहित इसके विभागों को भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड द्वारा प्रबंधित भाखड़ा-नांगल बांध और लोहंद नियंत्रण कक्ष जल विनियमन कार्यालयों के दैनिक कामकाज, संचालन और नियमन में ‘‘हस्तक्षेप’’ करने से रोक दिया है।
मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति सुमित गोयल की पीठ ने छह मई को कहा कि पंजाब हालांकि भाखड़ा नांगल बांध और भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के कर्मियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए स्वतंत्र है।
अदालत ने आदेश दिया, ‘‘पंजाब राज्य और पुलिसकर्मियों सहित इसके किसी भी अधिकारी को बीबीएमबी द्वारा प्रबंधित भाखड़ा-नांगल बांध और लोहंद नियंत्रण कक्ष जल विनियमन कार्यालयों के दैनिक कामकाज, संचालन और विनियमन में हस्तक्षेप करने से रोका जाता है।’’
पीठ ने पंजाब को केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में दो मई को आयोजित बैठक के निर्णय का पालन करने का निर्देश दिया।
केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की थी, जिसमें राज्य की तत्काल जल समस्या से निपटने के लिए भाखड़ा बांध से हरियाणा को अगले आठ दिन के लिए 4,500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने के बीबीएमबी के निर्णय को क्रियान्वित करने की सलाह दी गई।
अदालत ने कहा कि यदि पंजाब ‘‘भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड द्वारा लिए गए किसी निर्णय से सहमत नहीं है, तो वह बीबीएमबी के अध्यक्ष के माध्यम से केंद्र सरकार को अभ्यावेदन देकर 1974 के नियम 7 के स्पष्टीकरण-2 को लागू करने के लिए स्वतंत्र है, जिस पर केंद्र सरकार द्वारा शीघ्र निर्णय लिया जाएगा।’’
बीबीएमबी ने नांगल बांध पर पंजाब पुलिसकर्मियों की तैनाती पर आपत्ति जताते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था तथा इसे असंवैधानिक और अवैध बताया था।
इसने दावा किया कि पंजाब पुलिस ने नांगल बांध (पंजाब) और लोहंद नियंत्रण कक्ष जल विनियमन कार्यालयों के संचालन और विनियमन को जबरन अपने नियंत्रण में ले लिया तथा हरियाणा का पानी रोक दिया।
याचिका में बीबीएमबी ने पंजाब सरकार को ‘‘बिना किसी कानूनी अधिकार के’’ तैनात किए गए पुलिस बल को हटाने का निर्देश दिए जाने का आग्रह किया था।
भाषा नेत्रपाल मनीषा
मनीषा
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