scorecardresearch
Thursday, 25 April, 2024
होमएजुकेशन‘राष्ट्रीय गर्व जगाने’ के लिए पुणे विश्वविद्यालय शुरू करेगा आर्यभट्ट, चाणक्य पर वेब सीरीज़ लेक्चर

‘राष्ट्रीय गर्व जगाने’ के लिए पुणे विश्वविद्यालय शुरू करेगा आर्यभट्ट, चाणक्य पर वेब सीरीज़ लेक्चर

ये लेक्चर सीरीज़ सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय (एसपीपीयू) की ओर से, संभवत: मई में शुरू किया जाएगा. ये उनके शैक्षणिक पाठ्यक्रम का हिस्सा होगा, जिसमें क्रेडिट्स भी दिए जाएंगे.

Text Size:

नई दिल्ली: योग विज्ञान और सुश्रत, पाणिनी, आर्यभट्ट और चाणक्य जैसे प्राचीन विचारकों के बारे में जानकारी, जल्द ही एक वेब सीरीज़ लेक्चर का हिस्सा बनने जा रही है, जिसे कालेज छात्रों के लिए पेश किया जाएगा.

ये उनके शैक्षणिक पाठ्यक्रम का हिस्सा होगा, जिसके अंत में क्रेडिट्स भी दिए जाएंगे.

ये लेक्चर सीरीज़ सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय (एसपीपीयू) की ओर से, संभवत: मई में शुरू किया जाएगा. वेब सीरीज़ की सूरत में लॉन्च करने का उद्देश्य इसे साथ ही साथ दिलचस्प और शिक्षाप्रद बनाना है.

कोर्स में एक होस्ट शामिल होगा, जो अन्य चीज़ों के अलावा चित्रण तथा कहानियों के माध्यम से, विभिन्न विषयों पर बात करेगा.

दो कोर्स– जिनके नाम हैं ‘योगासनों की मूल बातें’ और ‘प्राचीन भारत के ज्ञान के नेता’- 10-10 एपिसोड्स की सीरीज़ के रूप में होंगे, और हर कोर्स में दो क्रेडिट्स दिए जाएंगे.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

इस विचार की अवधारणा, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के उपाध्यक्ष भूषण पटवर्धन ने तैयार की है, जिनका शोध भी एसपीपीयू में इससे जुड़े, वैकल्पिक चिकित्सा के क्षेत्र में है.

पटवर्धन ने दिप्रिंट से कहा कि ये कोर्स भले ही, एसपीपीयू की ओर से लॉन्च किया जा रहा है, लेकिन इसकी पहुंच यूनिवर्सिटी के छात्रों तक सीमित नहीं है और दूसरे संस्थानों के छात्र भी ये कोर्स लेकर, क्रेडिट्स हासिल कर सकते हैं.

पटवर्धन ने कहा, ‘हमने छात्रों के लिए एक वेब सीरीज़ शुरू करने का फैसला इसलिए किया, क्योंकि हमने देखा कि बहुत सारी ऑनलाइन सामग्री, जो फिलहाल छात्रों के लिए उपलब्ध है, ज़्यादा दिलचस्प नहीं है. पुणे यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर, मैंने सीखने के लिए एक दिलचस्प और मज़ेदार तरीक़ा तैयार करने की कोशिश की है’. पटवर्धन अगले महीने यूजीसी उपाध्यक्ष का पद छोड़कर, फिर से अपने मूल विश्वविद्यालय एसपीपीयू को ज्वाइन करने जा रहे हैं, जहां वो प्रोफेसर हैं.


यह भी पढ़ें: UGC चाहता है कि यूनिवर्सिटी के छात्र ‘गाय विज्ञान’ की परीक्षा दें, V-Cs से इसे बढ़ावा देने को कहा


योग पर कोर्स

योग पर 10 एपिसोड का कोर्स, योग विशेषज्ञ राम कुमार राठी के सहयोग से शुरू किया जा रहा है, जो एसपीपीयू में पतंजलि योग चेयर के प्रमुख भी हैं.

कोर्स के टीज़र के अनुसार, जिसे दिप्रिंट ने देखा है, इसमें योग, उसके इतिहास और उससे जुड़े मिथकों के बारे में, विस्तार से बताया जाएगा.

छात्रों को योग के वैज्ञानिक तथ्यों की जानकारी देने के लिए, इसमें गेम्स और क्विज़ भी शामिल की जाएंगी. कोर्स के दौरान जैव चिकित्सा के विभिन्न क्षेत्रों के वैज्ञानिक, ताज़ा तरीन शोध और जीवन में उसके उपयोग के बारे में भी चर्चा करेंगे.

दूसरा कोर्स

दूसरे वेब सीरीज़- ‘प्राचीन भारत के ज्ञान के नेता’- में छात्रों को, प्राचीन भारतीय विचारकों के जीवन और उनके कार्यों के बारे में बताया जाएगा.

ये कोर्स भी 10 एपिसोड का होगा और इसमें क़रीब 10 प्राचीन भारतीय विचारकों के बारे में जानकारी दी जाएगी- आर्यभट्ट, वारहमिहिर, सुश्रत, पाणिनी, भरत मुनि, पतंजलि, चरक, कनाड़ा, भास्कराचार्य और चाणक्य. ये सभी चिकित्सा, विज्ञान तथा गणित के क्षेत्र में विशेषज्ञ थे.

इस कोर्स का टीज़र पूर्व बीजेपी सांसद, नीतीश भारद्वाज के साथ शुरू होता है, जो प्राचीन भारतीय ज्ञान के बारे में बात करते हैं कि किस तरह हम उसके बारे में थोड़ा भूल चुके हैं.

10 भारतीय विचारकों का उल्लेख करते हुए भारद्वाज कहते हैं कि उन्होंने अपने ज्ञान से मानवता की दिशा बदल दी है, और शून्य के अविष्कार, चिकित्सा और परमाणु से लेकर, सितारों के रहस्यों तक- हर जगह अपने पदचिन्ह छोड़े हैं.

टीज़र में कहा गया, ‘भारत में ज्ञान और शिक्षा की एक समृद्ध परंपरा रही है. भारतीय विद्वानों के ज्ञान की समृद्ध विरासत की अहमियत और उसके प्रति गर्व की भावना जगाने के लिए, एसपीपी यूनिवर्सिटी एक कोर्स शुरू करने जा रही है. इसके अंदर भारत के ज्ञान के नेताओं पर एक कोर्स शामिल होगा’.

टीज़र के अनुसार, इस कोर्स का उद्देश्य छात्रों को, चरित्र निर्माण, नैतिक उत्थान, संस्कृति के ज्ञान आदि की जानकारी देना और उनके अंदर राष्ट्रीय गर्व की भावना जगाना है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments