मुंबई, 24 मई (भाषा) विधवाओं संबंधी कुरीतियों एवं प्रतिगामी प्रथाओं को समाप्त करने के लिए अभियान चला रहे एक सामाजिक कार्यकर्ता ने महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग (एमएसएचआरसी) को पत्र लिखकर राज्य सरकार को दहेज के खिलाफ कदम उठाने के निर्देश दिए जाने की मांग की है।
यह मांग हाल में पुणे में 26 वर्षीय एक महिला की मौत की घटना की पृष्ठभूमि में की गई।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के निष्कासित नेता राजेंद्र हगवणे की पुत्रवधू वैष्णवी हगवणे(26) ने 16 मई को पुणे जिले के पिंपरी-चिंचवड के बावधन इलाके में स्थित ससुराल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
वैष्णवी के माता-पिता ने आरोप लगाया कि उन्होंने शादी के समय 51 तोला (करीब 595 ग्राम) सोना, चांदी और एक एसयूवी गाड़ी हगवणे परिवार को दी थी लेकिन इसके बावजूद वैष्णवी को प्रताड़ित किया जा रहा था और जमीन खरीदने के लिए दो करोड़ रुपये लाने की खातिर उस पर दबाव बनाया जा रहा था।
बहू को दहेज के लिए प्रताड़ित करने और आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में राजेंद्र हगवणे और उनके बेटे को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया गया।
सामाजिक कार्यकर्ता प्रमोद झिंजाडे ने कहा कि पुणे में दहेज हत्या का मामला निंदनीय है और राज्य सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।
झिंजाडे ने इस मुद्दे पर एमएसएचआरसी को पत्र लिखने के बारे में ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि पहला कदम दहेज लेने, विधवाओं संबंधी कुप्रथाओं, बाल श्रम, बाल विवाह, जातिगत भेदभाव और महिलाओं के लिए अपशब्दों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने के मकसद से शहरी और ग्रामीण स्थानीय निकायों से सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करवाना होगा।
झिंजाडे ने कहा, ‘‘मैं आपसे (एमएसएचआरसी) आग्रह करता हूं कि आप राज्य सरकार को निर्देश दें कि वह सभी स्थानीय निकायों से सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कराए, ताकि इन प्रतिगामी प्रथाओं को समाप्त करने के लिए जागरूकता पैदा की जा सके। अगर राज्य सरकार ऐसा निर्णय लेती है, तो मैं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को पत्र लिखकर महाराष्ट्र के इस मॉडल को पूरे देश में लागू करने का आग्रह करूंगा।’’
उन्होंने कहा कि इसी तरह की मांगों को लेकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार, विधान परिषद के सभापति राम शिंदे, उपसभापति नीलम गोरहे और राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री जयकुमार गोरे को भी उन्होंने पत्र लिखा है।
झिंजाडे ने बताया कि केवल शिंदे ने जवाब दिया है और कहा है कि पत्र को आगे की कार्रवाई के लिए राज्य के गृह विभाग तथा महिला एवं बाल विकास मंत्री को भेज दिया गया है।
भाषा यासिर सिम्मी
सिम्मी
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