मुंबई, 17 जून (भाषा) महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री रवींद्र चव्हाण ने मंगलवार को यह पता लगाने के लिए जांच की मांग की कि पिछले साल 8 करोड़ रुपये मंजूर होने के बावजूद पुणे में इंद्रायणी नदी पर नए पुल का निर्माण क्यों शुरू नहीं हुआ।
भाजपा नेता की टिप्पणी पुणे की मावल तहसील में इंद्रायणी नदी पर 35 साल पुराने पुल के ढहने से चार लोगों की मौत और 18 के घायल होने की घटना के दो दिन बाद आई है।
अधिकारियों ने पहले कहा था कि कुंडमाला इलाके में रविवार दोपहर को ढहा पुल 1993 में बना था और इस्तेमाल के लायक नहीं था लेकिन वहां एकत्र हुए लोगों ने चेतावनी साइनबोर्ड को नजरअंदाज कर दिया और 100 से अधिक लोग पुल पर चढ़ गए।
यहां भाजपा मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में चव्हाण ने कहा कि जब वह पिछली महायुति सरकार के दौरान लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मंत्री थे, तो उन्होंने उसी स्थान पर एक नए पुल के निर्माण के लिए अक्टूबर 2024 में लगभग 8 करोड़ रुपये मंजूर किए थे, क्योंकि मौजूदा पुल पुराना और असुरक्षित था।
उन्होंने कहा, ‘‘आज मैंने पीडब्ल्यूडी मंत्री शिवेंद्रराजे भोसले और अन्य अधिकारियों से बात की और उनसे इस दुर्घटना की जांच करने का अनुरोध किया।’’
चव्हाण ने कहा, ‘‘पुल निर्माण कार्य क्यों नहीं शुरू किया गया, ऐसे मुद्दों की जांच की जाएगी। अगर कोई अधिकारी जानबूझकर देरी के लिए जिम्मेदार पाया जाता है, तो कार्रवाई की जाएगी।’’
पुणे के जिलाधिकारी जितेंद्र डूडी ने सोमवार को कहा कि ढह चुके पुल के स्थान पर नए पुल के निर्माण के लिए निविदा कुछ महीने पहले जारी की गई थी, जबकि कार्य आदेश एक सप्ताह पहले जारी किया गया था।
उन्होंने कहा कि कार्य आदेश के दिन से काम शुरू होने में 15 दिन लगते हैं। इसका निर्माण जल्द ही शुरू हो जाएगा।
हालांकि, पुणे के सामाजिक कार्यकर्ता विजय कुंभर ने दावा किया कि कार्य आदेश पर तारीख हाथ से लिखी गई थी और बाकी पाठ की तरह टाइप नहीं की गई थी।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘पूरा कार्य आदेश टाइप किया गया है, लेकिन तारीख हाथ से लिखी गई है, जो संदेह पैदा करती है। इस बात की संभावना है कि जान बचाने के लिए पिछली तारीख का कार्य आदेश दिखाया गया है, खासकर इतनी घातक दुर्घटना के बाद।’’
पुणे में मावल तहसील के कुंडमाला इलाके में पर्यटकों और पिकनिक प्रेमियों के बीच मशहूर 32 साल पुराने लोहे के पुल पर एक बार में 100 से ज्यादा लोग चढ़ गए थे। उसी दौरान रविवार को अपराह्न 3.30 बजे यह पुल ढह गया, जिससे चार लोगों की मौत हो गई और 18 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए।
पुल ढहने को लेकर शिवसेना (उबाठा) के सांसद संजय राउत ने चव्हाण और महायुति राज्य सरकार पर निशाना साधा था।
डूडी के मुताबिक, पुल को असुरक्षित घोषित कर दिया गया था, लेकिन उस पर 100 लोग सवार थे और उनमें से ज्यादातर सेल्फी लेने में व्यस्त थे।
उन्होंने कहा, ‘‘स्थानीय प्रशासन की ओर से अगर कोई चूक हुई है, तो उसकी जांच करने और मानक संचालन प्रक्रियाओं को लागू किए जाने की जांच करने के लिए एक समिति बनाई जाएगी। यह घटना चेतावनी के संकेतों और इलाके में बड़ी संख्या में लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगाने वाले मौजूदा आदेश के बावजूद हुई।’’
उन्होंने कहा कि पुल को वाहनों के आवागमन के लिए अनुपयुक्त घोषित किया गया था। वाहनों के लिए एक नया ढांचा प्रस्तावित किया गया था।
महाराष्ट्र के आपदा प्रबंधन मंत्री गिरीश महाजन ने पहले कहा था कि बड़ी संख्या में पर्यटकों के वजन के कारण पुल ढह गया।
महाजन ने कहा, ‘‘पुल केवल पैदल यात्रियों के लिए था और वहां एक चेतावनी बोर्ड लगा था, जिसमें कहा गया था कि इसका इस्तेमाल दोपहिया वाहन नहीं कर सकते। ऐसा लगता है कि पुल पर मौजूद लोगों ने इन निर्देशों पर ध्यान नहीं दिया, जिसके कारण यह हादसा हुआ।’’
भाषा वैभव नरेश
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