शिलांग, 19 सितंबर (भाषा) यूरेनियम खनन को अनिवार्य जन परामर्श से छूट देने वाले केंद्र के हालिया कार्यालय परिपत्र (ओएम) ने यूरेनियम खनिज से समृद्ध मेघालय में चिंता बढ़ा दी है, जहां खनिज निकालने के पिछले प्रयासों को बार-बार स्थानीय प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) ने आठ सितंबर को यह ओएम जारी किया, जिसमें खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम के तहत यूरेनियम समेत परमाणु खनिजों तथा महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों के खनन को सार्वजनिक सुनवाई से बाहर रखा गया है।
मेघालय देश के सबसे बड़े यूरेनियम भंडारों में से एक है। खासकर राज्य के डोमियासियाट, वाहकाजी और पश्चिमी खासी हिल्स जिले के आसपास के क्षेत्रों में यूरेनियम भंडार हैं।
नेशनल पीपुल्स यूथ फ्रंट (एनपीवाईएफ) ने शुक्रवार को खासी पर्वतीय स्वायत्त जिला परिषद (केएचएडीसी) के मुख्य कार्यकारी सदस्य (सीईएम) शेम्बोरलांग रिन्जा से आदिवासी अधिकारों की रक्षा के लिए छठी अनुसूची के प्रावधानों को लागू करने की अपील की।
एनपीवाईएफ के कार्यकारी अध्यक्ष बाजोप पिंग्रोप ने कहा कि मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि मामले की जांच की जाएगी और परिषद के अधिकारियों के समक्ष उठाया जाएगा।
हाइनीवट्रेप यूथ काउंसिल (एचवाईसी) ने भी चिंता व्यक्त की और केंद्र पर राज्य में यूरेनियम खनन के नये प्रयास करने का आरोप लगाया।
एचवाईसी के अध्यक्ष रॉय कुपार सिनरेम ने कहा कि स्थानीय समुदायों के कड़े विरोध के कारण ‘यूरेनियम कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल)’ के पहले के प्रयास विफल हो गए थे।
खासी स्टूडेंट यूनियन (केएसयू) ने राज्य में खदानें खोलने के किसी भी कदम के प्रति अपना विरोध दोहराया। यूनियन दशकों से यूरेनियम विरोधी प्रदर्शनों में अग्रणी रही है।
भाषा राजकुमार माधव
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