चेन्नई, 12 अप्रैल (भाषा) सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर कई पोस्ट में दावा किया गया है कि तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के भोजनालयों में जन्म नियंत्रण गोलियां मिलाकर बिरयानी परोसी जा रही है, हालांकि यहां के स्वास्थ्य अधिकारियों ने निरीक्षण करने के बाद इस दावे को गलत पाया है।
बिरयानी को आमतौर पर मुसलमान समुदाय से जोड़कर देखा जाता है। देशभर में अलग-अलग ढंग से बनाई जाने वाली बिरयानी हाल में ट्विटर पोस्ट में किये गए इस दावे के बाद चर्चा में आ गई कि देर रात को भोजनालयों में परोसी जा रही बिरयानी बांझपन का कारण बन रही है।
उदाहरण के तौर पर बड़ी संख्या में फॉलोवर वाले एक ट्विटर यूजर ने आरोप लगाया कि इन भोजनालयों में अविवाहित हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है। उसने यह आरोप भी लगाया कि बिरयानी की दुकानों का एकमात्र मकसद बांझपन पैदा करना है।
हालांकि इस दावे की पड़ताल करने पर पता चला कि ऐसा कुछ भी नहीं है।
एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ”इस दावे में जरा भी सच्चाई नहीं है। हमने कुछ भोजनालयों का निरीक्षण किया और सत्यापित किया कि जन्म नियंत्रण गोलियां मिलाकर बिरयानी परोसे जाने का आरोप झूठा है।”
उन्होंने लोगों से अफवाहों पर ध्यान नहीं देने की अपील की।
तमिलनाडु खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि होटल, रेस्तरां या भोजनालयों में जन्म नियंत्रण की गोलियां मिलाकर बिरयानी बेचे जाने के बारे में कोई शिकायत नहीं मिली है।
ट्विटर पर एक पोस्ट में दावा किया गया है कि इंदु मक्कल काची (आईएमके) के संस्थापक दक्षिणपंथी हिंदू नेता अर्जुन संपत बिरयानी खाने के बाद बांझ हो गए हैं। यह पोस्ट वायरल हो गई।
आईएमके के एक नेता ने दावे को खारिज करते हुए पूछा, ”क्या कोई राजनीतिक नेता स्वयं को और अपने परिवार को सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा करना चाहेगा?”
एक और ट्वीट में दावा किया गया था कि ”चेन्नई में 40,000 बिरयानी की दुकानें सांस्कृतिक जिहाद को बढ़ावा दे रही हैं।” इस पोस्ट को 2,428 यूजर ने लाइक किया है। हालांकि इस दावे पर सवाल भी उठाया गया कि 40 हजार का आंकड़ा कहां से आया है।
एक खाद्य सुरक्षा निरीक्षक ने कहा कि लोगों के लिए यह पता लगाना मुश्किल हो सकता है कि भोजन पकाने के लिए किसी रासायनिक पदार्थ या टैबलेट का उपयोग किया गया है या नहीं।
उन्होंने कहा, ”यदि कोई संदेह है, खाद्य सुरक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग या जीसीसी (ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन) को इसकी जानकारी दी जानी चाहिये।”
खाद्य इतिहासकार सोहाई हाशमी ने विवाद पर अपनी राय देते हुए ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि बिरयानी या पुलाव भी कहा जाता है, उसका किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है।
उन्होंने कहा, ”बिरयानी और मुसलमानों के बीच संबंध बिल्कुल बकवास है। क्या आप कह सकते हैं कि डोसा हिंदुओं का है या केक ईसाइयों है?”
उन्होंने कहा, ”स्कैंडेनेवियाई देशों के मुसलमान बिरयानी नहीं खाते, यहां तक कि भारत के बड़े हिस्से में भी; जैसे कश्मीर जहां मुसलमानों की सबसे बड़ी संख्या है, वहां भी मुसलमान बिरयानी नहीं खाते।”
उन्होंने कहा, “ऐसा ही इंडोनेशियाई मुसलमानों या मलेशियाई मुसलमानों के साथ है, वे भी बिरयानी नहीं खाते हैं। तो बिरयानी एक उपमहाद्वीपीय व्यंजन है, जो इराक और मध्य एशिया विशेष रूप से अफगानिस्तान, ईरान और उजबेकिस्तान में लोकप्रिय है। यह मध्य एशियाई और दक्षिण एशियाई देशों में मिलती है, जिसका इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है।”
लिहाजा, चेन्नई के कुछ भोजनालयों द्वारा परोसी जाने वाली बिरयानी में जन्म नियंत्रण गोलियां मिली होने का दावा ‘झूठा’ पाया गया।
भाषा जोहेब माधव
माधव
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