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Friday, 1 November, 2024
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PTI ने HC में नए डिजिटल मीडिया नियमों को चुनौती दी, कहा- ‘सर्विलांस और भय का युग’ लाएगा

समाचार एजेंसी ने कहा कि डिजिटल मीडिया के नए नियमों से मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा.

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नई दिल्ली: समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) ने नए सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष एक नई याचिका दायर की.

याचिका नियमों के लिए एक प्रतिबंधित चुनौती उठाती है, केवल जहां तक ​​वे डिजिटल समाचार पोर्टल को प्रभावित करते हैं और ऑनलाइन क्यूरेटेड कंटेंट के प्रकाशक या ओटीटी मीडिया प्लेटफॉर्म या किसी अन्य संस्था के संदर्भ में नहीं है जिसे नए दिशानिर्देशों द्वारा विनियमित करने की मांग की गई है.

प्रधान न्यायाधीश डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को पीटीआई की उस याचिका पर नोटिस जारी किया जिसमें नियमों की इस आधार पर आलोचना की गई थी कि वे ‘सर्विलांस और भय के युग की शुरुआत करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप सेल्फ -सेंसरशिप और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है. याचिका पर इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय और सूचना और प्रसारण मंत्रालय से जवाब मांगा गया है.

पीटीआई की याचिका को द वायर और द क्विंट सहित अन्य ऑनलाइन समाचार पोर्टलों द्वारा पेश की गई इसी तरह की याचिकाओं के साथ टैग किया गया था और इस पर 20 अगस्त को सुनवाई होगी.

अदालत ने मंगलवार को इन याचिकाओं पर कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था, क्योंकि केंद्र सरकार के वकील ने उसे सूचित किया था कि स्वतंत्र प्रकाशकों सहित लगभग 1,200 डिजिटल मीडिया घरानों ने पहले ही नियमों का पालन किया था और आवश्यकतानुसार विवरण प्रस्तुत किया था.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने इस मुद्दे से संबंधित कार्यवाही की मल्टिप्लिसिटी से बचने के लिए विवादास्पद आईटी नियमों को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को स्थानांतरित करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.

केंद्र की प्रस्तुतियों के अनुसार दिल्ली, बॉम्बे, मद्रास और केरल जैसे विभिन्न उच्च न्यायालयों में कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें से कुछ ने केंद्र को नोटिस जारी किया है.

यह देखते हुए कि एचसी के समक्ष उठाए गए विवाद एक समान हैं, केंद्र चाहता है कि शीर्ष अदालत विवाद को निपटाने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करे और ऐसी स्थिति से बचें जहां एचसी द्वारा संभावित परस्पर विरोधी विचारों से नियमों की वैधता पर भ्रम पैदा हो सकता है;

समाचार आउटलेट और बिचौलियों के बीच अंतर करने की आवश्यकता

हाईकोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में, पीटीआई ने समाचार आउटलेट्स और बिचौलियों के बीच अंतर किया है ताकि यह प्रस्तुत किया जा सके कि बाद वाले को अलग से विनियमित करने की आवश्यकता है. याचिका में कहा गया है कि बिचौलियों को सामग्री की मेजबानी के परिणामों से प्रतिरक्षित किया गया था, जबकि एक समाचार एजेंसी होने के नाते, पीटीआई किसी भी सुरक्षित हार्बर की हकदार नहीं है.

इसके अलावा, पीटीआई ने कहा, वह सुरक्षित हार्बर की मांग नहीं कर रहा है और अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित कंटेंट की पूरी जिम्मेदारी लेता है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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