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गुरूवार, 5 जून, 2025
होमदेशप्रोटोकॉल उल्लंघन: महाराष्ट्र के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर दायर याचिका खारिज

प्रोटोकॉल उल्लंघन: महाराष्ट्र के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर दायर याचिका खारिज

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नयी दिल्ली, 23 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई की पहली मुंबई यात्रा के दौरान, प्रोटोकॉल का कथित तौर पर पालन नहीं किये जाने को लेकर महाराष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका को ‘‘प्रचार पाने की याचिका’’ करार देते हुए शुक्रवार को खारिज कर दिया।

प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) गवई इस महीने की शुरुआत में मुंबई गये थे।

सीजेआई गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने याचिकाकर्ता शैलेन्द्र मणि त्रिपाठी पर 7,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया, जिसे विधिक सेवा प्राधिकरण के पास जमा करना होगा।

त्रिपाठी सात वर्षों से वकालत के पेशे से जुड़े हुए हैं।

गवई 14 मई को 52वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने के बाद, 18 मई को महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में भाग लेने के लिए मुंबई गये थे।

प्रधान न्यायाधीश के पद पर पदोन्नत होने के बाद महाराष्ट्र की पहली यात्रा के दौरान उनकी अगवानी के लिए राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) या शहर के पुलिस आयुक्त की अनुपस्थिति को लेकर उन्होंने नाराजगी जताई थी।

इसके बाद, संबंधित राज्य के अधिकारियों ने प्रधान न्यायाधीश से मुलाकात की और खेद जताया।

याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजेआई ने कहा, ‘‘एक मामूली मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर नहीं पेश किया जाना चाहिए’’ और इस संबंध में शीर्ष अदालत द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति का हवाला दिया।

जनहित याचिका में कहा गया था कि पदोन्नति के बाद, सीजेआई के रूप में राज्य के उनके पहले दौरे के दौरान, महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, डीजीपी और मुंबई पुलिस आयुक्त की अनुपस्थिति आधिकारिक प्रोटोकॉल का उल्लंघन है।

सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, ‘‘यह महज प्रचार पाने के लिए दायर की गई याचिका है। आप अपना नाम अखबार में देखना चाहते हैं। बस इतना ही।’’

सीजेआई ने कहा, ‘‘इसे (याचिका को) जुर्माने के साथ खारिज किया जाता है।’’

पीठ ने कहा कि उन्होंने पहले ही इस मुद्दे पर विराम लगाने को कहा है और यह एक मामूली मामला है और इसे बढ़ा-चढ़ाकर नहीं पेश किया जाना चाहिए।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘तीनों अधिकारी मेरे जाने तक हवाई अड्डे पर ही थे और उन्होंने सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘एक प्रेस नोट भी जारी किया गया, जिसमें कहा गया था कि मुद्दे पर विराम लगा दिया जाए। यह किसी व्यक्ति विशेष का मामला नहीं है, बल्कि पद की गरिमा का मामला है। हमें राई का पहाड़ नहीं बनाना चाहिए।’’

सीजेआई ने कहा कि इस मामले को आगे बढ़ाने से कोई फायदा नहीं होगा और इससे, हल हो चुके मुद्दे पर अनावश्यक ध्यान ही जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘सीजेआई के पद को अनावश्यक विवाद में न लाया जाए।’’

इस सप्ताह की शुरुआत में जारी शीर्ष अदालत की विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘प्रधान न्यायाधीश की महाराष्ट्र यात्रा के दौरान प्रोटोकॉल संबंधी मुद्दों के बारे में मीडिया में खबरें प्रकाशित हो रही हैं। सभी संबंधित व्यक्तियों ने पहले ही खेद व्यक्त कर दिया है।’’

विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘प्रधान न्यायाधीश ने कहा है कि एक मामूली मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश नहीं किया जाना जाना चाहिए। सीजेआई ने सभी से अनुरोध किया है कि इस मामले को विराम दिया जाए।’’

इस घटना ने उस वक्त तूल पकड़ लिया, जब प्रधान न्यायाधीश ने मुंबई पहुंचने पर राज्य के शीर्ष अधिकारियों की अनुपस्थिति पर सवाल उठाया था।

प्रधान न्यायाधीश की टिप्पणियों के कुछ घंटों बाद, तीनों शीर्ष अधिकारी मुंबई के दादर में डॉ. भीम राव आंबेडकर के महापरिनिर्वाण स्थल चैत्यभूमि पर मौजूद थे, जब प्रधान न्यायाधीश संविधान निर्माता को वहां श्रद्धांजलि देने गए थे।

भाषा सुभाष प्रशांत

प्रशांत

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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