नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने पिछले 20 दिनों से सिंघु बॉर्डर पर अपना डेरा जमा रखा है और इस दौरान बोरियत और खालीपन को दूर करने के लिए वे नयी-नयी किताबों का सहारा ले रहे हैं.
कईयों की किताबों की सूची में नयी किताबें जुड़ रहीं हैं तो कईंयों को किताबें पढ़ने का नया चस्का लगा है.
बरनाला जिले से यहां विरोध में शामिल होने आए 32 वर्षीय हरबंस सिंह का कहना है कि उन्हें याद भी नहीं कि उन्होंने आखिरी बार कौन सी किताब पढ़ी थी.
लेकिन अब वे ‘अपना गुस्सा काबू करने’ और महान लोगों से खुद को प्रेरित करते रहने के लिए किताबों का सहारा ले रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘मेरे जैसे यहां कई हैं जिन्होंने इस प्रदर्शन के दौरान ही किताबें पढ़ना शुरू की हैं. अभी मैं जसवंत सिंह कंवल द्वारा लिखी गई किताब ‘पंजाब तेरा की बानु’ पढ़ रहा हूं. मैं इसे जल्दी पूरा कर दूसरा पढ़ना चाहता हूं.’
उन्होंने कहा, ‘किसी ने मुझे फिदेल कास्त्रो को पढ़ने का सुझाव दिया. कहंदे हैं बहुत क्रांतिकारी सी वो (कहते हैं वह बहुत क्रांतिकारी था).’
विरोध स्थल पर कई किताबें देखने को मिलीं जिनमें अंग्रेजी, हिंदी और पंजाबी में भगत सिंह, व्लादिमीर लेनिन जैसे क्रांतिकारियों की जीवनी भी शामिल है.
किसान आंदोलनों, पंजाब के समृद्ध इतिहास और राष्ट्रीय एकता, शांति, भाईचारे और सांप्रदायिक सौहार्द की अलख लगाने वाले सिख गुरुओं की शिक्षाओं पर भी किताबें वहां देखने को मिलीं.
इन नए पाठकों के लिए प्रदर्शन स्थल पर छोटी-छोटी किताबों की दुकानें भी खुल गई हैं.
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