नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत ने बुधवार को पहली पीढ़ी के वकीलों को कड़ी मेहनत और धैर्य के माध्यम से विश्वसनीयता बनाने पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी।
प्रधान न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा आयोजित ‘‘डब्ल्यूई (कानून में महिला सशक्तीकरण): शक्ति, संघर्ष और सफलता’’ विषय पर एक परिचर्चा को संबोधित कर रहे थे।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, ‘‘शुरुआत में, जब मैंने इस पेशे को अपनाया, तो पूरी तरह से अनिश्चितता का माहौल था। परिवार में पहली पीढ़ी का वकील होने के नाते, मेरा मार्गदर्शन करने वाला कोई नहीं था। यह व्यवस्था भी मेरे लिए पूरी तरह से नयी थी। लेकिन जब मैं वकालत पढ़ रहा था, तब मैं एक बहुत ही उत्साही छात्र था तथा इस व्यवस्था और इसके संचालन के तरीके को जानने के लिए मेरे मन में बहुत उत्सुकता थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे पूरा यकीन था कि तरक्की करने में समय लगता है। मुझे पता था कि कोई जादू नहीं होने वाला है। मैं मानसिक रूप से दृढ़ था और संघर्ष का सामना करने के लिए तैयार था। मैं पहली पीढ़ी के सभी वकीलों से कहना चाहूंगा कि अपनी पहचान बनाने के लिए बहुत धैर्य, कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता की जरूरत होती है। दुनिया भीड़-भाड़ वाली है, लेकिन आपको अपने लिए जगह बनानी ही होगी।’’
अपना अनुभव साझा करते हुए, न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना ने कहा कि एलएलबी की डिग्री पूरी करने के बाद उन्हें वकालत शुरू करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा क्योंकि उनके पिता (न्यायमूर्ति ई.एस. वेंकटरमैया) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश थे, और आपसी सहमति से यह तय किया गया था कि वह दिल्ली में बतौर वकील पंजीकरण नहीं कराएंगी।
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा, ‘‘एक कहावत है कि हर सफल पुरुष के पीछे एक महिला होती है, लेकिन मैं यह कहना चाहूंगी कि हर सफल महिला के पीछे एक परिवार होता है।’’
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि कानूनी पेशे में महिला वकीलों की उपस्थिति बनाए रखने के लिए संस्थागत समर्थन बहुत जरूरी है।
भाषा शफीक अविनाश
अविनाश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.
