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शुक्रवार, 20 जून, 2025
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गन्ने से तरक्की: बिहार में ‘मीठा क्रांतिकाल’ शुरू, 2026 तक खुलेंगी 9 इथेनॉल फैक्ट्रियां

राज्य सरकार अब परंपरागत गन्ना बीजों के स्थान पर टिशू कल्चर तकनीक से उन्नत किस्म के बीज तैयार कर रही है.

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पटना: बिहार का गन्ना उद्योग परंपरा से निकलकर नवाचार और हरित ऊर्जा की ओर तेज़ी से अग्रसर है. इथेनॉल उत्पादन, गुड़ उद्योग और टिशू कल्चर तकनीक के जरिए यह क्षेत्र न सिर्फ किसानों की आय बढ़ा रहा है, बल्कि राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा दे रहा है.

विकास भवन में आयोजित हालिया उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में गन्ना उद्योग मंत्री कृष्णनंदन पासवान ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि किसानों को भुगतान में किसी भी तरह की देरी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने बताया कि अब तक 99.8% गन्ना भुगतान हो चुका है. साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री गन्ना विकास योजना, गन्ना यंत्रीकरण योजना और बिहार गुड़ प्रोत्साहन योजना को तेजी से लागू करने के निर्देश दिए.

राज्य सरकार अब परंपरागत गन्ना बीजों के स्थान पर टिशू कल्चर तकनीक से उन्नत किस्म के बीज तैयार कर रही है. इससे न केवल गन्ने की उत्पादकता बढ़ेगी, बल्कि कम लागत में बेहतर गुणवत्ता वाला गन्ना उपलब्ध होगा. इस नवाचार से किसान लाभान्वित होंगे और राज्य के गन्ना उत्पादन में नई क्रांति आएगी.

बिहार अब इथेनॉल उत्पादन के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी बनने की ओर है. राज्य में 2026 तक 9 नई इथेनॉल फैक्ट्रियां स्थापित की जाएंगी. इससे गन्ना किसानों को अतिरिक्त बाजार मिलेगा और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी.

गुड़ को लेकर भी सरकार सजग है. इसके लिए अलग से गुड़ प्रोत्साहन योजना चलाई जा रही है ताकि लघु उद्योगों को बढ़ावा मिले और ग्रामीण स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ें. गुड़ प्रसंस्करण इकाइयों को वित्तीय सहायता देने की योजना बनाई जा रही है.

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