नयी दिल्ली, 23 फरवरी (भाषा) शीर्ष औषधि विनियामक प्राधिकरण ने दर्द निवारक औषधियों टेपेंटाडोल और कैरीसोप्रोडोल के सभी संयोजनों के उत्पादन और निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
यह कदम उन खबरों के आधार पर उठाया गया जिनमें कहा गया था कि पश्चिम अफ्रीकी देशों को निर्यात की जाने वाली अस्वीकृत संयोजनों की इन औषधियों के कारण वहां ओपिओइड संकट उत्पन्न हो रहा है।
इन दर्द निवारक दवाओं का मादक पदार्थों के तौर पर नशे के लिये इस्तेमाल किये जाने का खतरा रहता है।
भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने एक पत्र में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के औषधि नियंत्रण प्राधिकरणों से सभी निर्यात अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) और दोनों दवाओं के सभी संयोजनों के निर्माण की अनुमति वापस लेने को कहा है।
टेपेंटाडोल एक ओपिओइड दवा है जिसका उपयोग मध्यम से गंभीर दर्द के इलाज के लिए किया जाता है। कैरीसोप्रोडोल मांसपेशी को आराम देने वाली एक दवा है जो दर्द से राहत दिलाने के लिए मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के केंद्रों पर काम करती है।
टेपेंटाडोल और कैरीसोप्रोडोल दोनों को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) द्वारा व्यक्तिगत रूप से अनुमोदित किया गया है, लेकिन देश में संयोजन के रूप में अनुमोदित नहीं किया गया है। इसके अलावा, वे भारत में एनडीपीएस औषधियों की सूची का हिस्सा नहीं हैं।
डीसीजीआई द्वारा शुक्रवार को भेजे गए पत्र में कहा गया है, “यह बीबीसी के एक हालिया लेख के संबंध में है, जिसमें लिखा गया है कि टेपेंटाडोल और कैरीसोप्रोडोल के संयोजन वाली दवा के दुरुपयोग की काफी संभावना है और इस संयोजन को भारत से पश्चिम अफ्रीकी देशों में निर्यात किया जा रहा है।”
लोगों पर इसके हानिकारक प्रभाव की संभावना को देखते हुए, डीसीजीआई ने टेपेंटाडोल और कैरीसोप्रोडोल के सभी संयोजनों के लिए जारी सभी निर्यात एनओसी और विनिर्माण की अनुमति को तत्काल वापस लेने का अनुरोध किया है।
भाषा प्रशांत रंजन
रंजन
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.