वायनाड (केरल), 12 अक्टूबर (भाषा) कांग्रेस नेता और वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाद्रा ने एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) के पाठ्यक्रम में आदिवासी ज्ञान को शामिल करने की मांग की है।
रविवार को पार्टी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल उरांव को भेजे एक पत्र में उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान में, इन विद्यालयों में केवल मानक पाठ्यक्रम ही पढ़ाया जाता है।’’
वाद्रा ने कहा, ‘‘छात्रों को उनकी अपनी पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों के बारे में कुछ भी नहीं पढ़ाया जाता है।’’
पत्र में, उन्होंने कहा कि ये ज्ञान प्रणालियां न केवल आदिवासी समुदायों की संस्कृति और परंपराओं के लिए, बल्कि मानव एवं प्रकृति के बीच सह-अस्तित्व की उनकी गहरी समझ के लिए भी अत्यंत मूल्यवान हैं।
सांसद ने कहा, ‘‘चूंकि जलवायु परिवर्तन पृथ्वी को तबाह कर रहा है, ऐसे कई मूल्य हैं जिन्हें मानवता को इन परंपराओं से फिर से सीखने की आवश्यकता है।’’
उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में, आदिवासी परंपराओं, शिल्पकला, सामाजिक संरचनाओं और विरासत पर सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील पाठों को ईएमआरएस पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए, जो आदिवासी समुदायों के शिक्षकों द्वारा पढ़ाए जायें।
सांसद ने कहा कि नूलपुझा स्थित राजीव गांधी स्मारक आश्रम विद्यालय के कट्टुनायकरों सहित आदिवासी समुदायों पर पड़े गहन प्रभाव का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि 1991 में स्थापित इस विद्यालय ने उन बच्चों को शिक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिन्हें पारंपरिक रूप से सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली से वंचित रखा गया था।
वाद्रा ने सुझाव दिया कि देश भर के सभी ईएमआरएस छात्रों की भागीदारी के साथ वर्ष में एक बार आदिवासी परंपराओं का उत्सव मनाना, साथ ही गैर-ईएमआरएस स्कूलों को आमंत्रित करने वाला एक सम्मेलन आयोजित करना, उनकी समृद्ध परंपराओं को प्रदर्शित करने और जनता को उनके बारे में शिक्षित करने के लिए एक स्वागत योग्य कदम होगा।
ईएमआरएस दूरदराज के क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के छात्रों के लिए आवासीय विद्यालय हैं, जो छठी से बारहवीं कक्षा तक निःशुल्क शिक्षा प्रदान करते हैं।
भाषा रंजन नेत्रपाल
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