लखनऊ: प्रियंका की एक्टिव पॉलिटिक्स में एंट्री की घोषणा के बाद यूपी की राजनीति दिलचस्प हो गई है. अब मुख्य मुकाबला भाजपा बनाम महागठबंधन नहीं बल्कि त्रिकोणीय हो गया है. हाशिए पर पड़े यूपी कांग्रेस संगठन में प्रियंका और ज्योतिरादित्य सिंधिया की एंट्री ने नई जान फूंक दी है. प्रियंका की एंट्री को ‘ग्रैंड एंट्री’ बनाने की तैयारी भी शुरू हो गई है. प्रियंका की इंदिरा गांधी की तरह की ‘ब्रांड इमेज’ तैयार करने में कांग्रेसी जुट गए हैं.
जहां बैठती थीं इंदिरा वहीं बैठेंगी प्रियंका!
यूपी कांग्रेस मुख्यालय के पहले फ्लोर पर कई ऑफिस बने हैं. इनमें से एक राज बब्बर का भी है. कहा जाता है कि इंदिरा गांधी जब भी यूपी आती थीं तो वहीं बैठती थीं. हाल ही में इसका रेनोवेशन भी हुआ है. कहा जा रहा है कि प्रियंका गांधी इसी में बैठेंगी. वह यहीं से पूर्वी उत्तर प्रदेश की गतिविधियों पर नज़र रखेंगी. इसके अलावा एक वॉर रूम और मीडिया सेंटर भी तैयार किया जा रहा है. वॉर रूम में प्रियंका की टीम के अन्य सदस्य बैठेंगे.
फरवरी में संभालेंगी कार्यभार, प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करेंगी
कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि प्रियंका गांधी फरवरी के दूसरे सप्ताह से कार्यभार संभालेंगी. इसके अलावा वह लखनऊ में होने वाली रैली में भाई व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ शामिल होंगी. इस रैली में कांग्रेस अपनी पूरी ताकत दिखाएगी. हाल ही में जीत दर्ज करने वाले तीनों राज्यों (एमपी, राजस्थान व छत्तीसगढ़) के सीएम भी इसमें शामिल हो सकते हैं. इसके अलावा राहुल व प्रियंका की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की भी तैयारी है.
क्या रायबरेली से चुनाव भी लड़ेंगी प्रियंका?
रायबरेली को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. इंदिरा गांधी भी यहां से चुनाव लड़ती थीं. अब कहा जा रहा है कि प्रियंका न सिर्फ पूर्वी यूपी की कमान संभालेंगी बल्कि रायबरेली से चुनाव भी लड़ सकती हैं. हाल ही में सेहत ठीक न होने के कारण सोनिया गांधी कई बार रायबरेली दौरा निरस्त कर चुकी हैं. ऐसे में प्रियंका के रायबरेली से चुनाव लड़ने की संभावना है. हालांकि कई कार्यकर्ता उन्हें वाराणसी से विपक्ष की साझा उम्मीदवार के तौर पर भी देख रहे हैं लेकिन रायबरेली के कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि इस सीट पर गांधी परिवार का सदस्य ही लड़ेगा. ऐसे में प्रियंका के चुनाव लड़ने की अधिक संभावना है.
राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर कविराज का कहना है कि ये लाजिमी है कि कांग्रेस प्रियंका की छवि इंदिरा गांधी जैसी बनाने की कोशिश करेगी इसमें कई अहम कारण है. केवल लुक ही नहीं बल्कि भाषणों में प्रियंका अपनी दादी जैसी भाषा शैली इस्तेमाल करती हैं.
नारे व पोस्टर्स पर भी ‘इंदिरा -प्रियंका’ का ज़िक्र
कांग्रेस की रैलियों के लिए जिन पोस्टर-बैनर का इस्तेमाल होगा उनमें प्रियंका के साथ-साथ इंदिरा गांधी की तस्वीर भी होगी. वहीं स्लोगन भी ऐसे तैयार किए जा रहे हैं जिनमें इंदिरा व प्रियंका दोनों का ज़िक्र होगा.
कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था पूर्वी यूपी
एक दौर था जब पूर्वी यूपी को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था. अब यहां बीजेपी का कब्ज़ा है. प्रियंका को पूर्वी यूपी की कमान सौंपी जाने के मायने मोदी-योगी को चुनौती देना है. पीएम मोदी वाराणसी से सांसद हैं तो वहीं गोरखपुर को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का गढ़ माना जाता है. इसके अलावा यूपी के डिप्टी सीएम केपी मौर्य भी 2014 में फूलपुर से सांसद बने थे. फूलपुर एक जमाने में कांग्रेस की सीट कही जाती थी. पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू यहां से चुनाव लड़ते थे. इस लिहाज से प्रियंका को पूर्वी यूपी की अहम ज़िम्मेदारी दी गई है.फिलहाल इंदिरा जैसी ब्रांडिंग की तैयारी शुरू हो गई है.