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गुरूवार, 22 मई, 2025
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मंडोली जेल में ‘सशक्त कृषि’ परियोजना के तहत जैविक खेती कर रहे हैं कैदी

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(सौम्या शुक्ला)

नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) जेल के खर्च में कटौती करने और व्यावसायिक कौशल प्रदान करने के प्रयास के तहत दिल्ली की मंडोली जेल के अंदर लगभग 1.5 एकड़ की अप्रयुक्त भूमि को ‘सशक्त कृषि’ परियोजना के तहत एक संपन्न कृषि क्षेत्र में तब्दील कर दिया गया है।

कैदियों ने जेल के आंतरिक उपभोग के लिए इस खेती के जरिये पहले ही 310 किलोग्राम से अधिक जैविक फल और सब्जियां एकत्र कर ली हैं।

मंडोली परिसर की जेल संख्या 13 में शुरू की गई यह परियोजना वर्तमान में अपने पहले चरण में है और इसमें 25 कैदियों को रोजगार दिया गया है। इन कैदियों का चयन शारीरिक फिटनेस, इच्छा और अच्छे आचरण के आधार पर किया गया है।

इस पहल का उद्देश्य कैदियों को उत्पादक, कौशल-आधारित गतिविधि में शामिल करना है। साथ ही इससे बाहरी खाद्य आपूर्ति पर जेल की निर्भरता भी कम होगी।

मंडोली जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘बागवानी विशेषज्ञों और कृषि विभाग के परामर्श से मौसमी और क्षेत्रीय रूप से उपयुक्त फसलों का चयन किया गया है।’’

उन्होंने कहा कि लौकी, खीरा, भिंडी, करेला जैसी सब्जियां तथा शरीफा, खरबूजा और केला जैसे फल उगाए जा रहे हैं।

आमतौर पर जेल की रसोई में इस्तेमाल होने वाले पुदीना, धनिया और हरी मिर्च भी उगाई गई हैं। अधिकारी ने कहा कि खेती के प्रयासों का पहले से ही स्पष्ट प्रभाव दिखाई देने लगा है।

अधिकारी ने कहा, ‘‘रसोई के लगभग 150 किलोग्राम कचरे को खाद में तब्दील किया गया है और खेती में इस्तेमाल किया गया है। इस पहल से न केवल लागत में कमी आती है बल्कि टिकाऊ अपशिष्ट प्रबंधन को भी बढ़ावा मिलता है।’’

इस पहल के दूसरे चरण के तहत अधिकारी खेती को 30 से 40 प्रतिशत तक बढ़ाने और लाल कृमियों का उपयोग करके वर्मीकंपोस्टिंग (एक प्राकृतिक प्रक्रिया जिसके तहत केंचुए कठोर संरचनाओं वाले अपशिष्ट पदार्थों को खाद में बदल देते हैं) शुरू करने की योजना बना रहे हैं।

इसके तहत जेल परिसर में अमरूद, नींबू और आम सहित अधिक फलदार पेड़ लगाने की भी योजना है।

कैदियों की रिहाई के बाद उनकी रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए कौशल भारत मिशन के साथ साझेदारी में बागवानी में व्यावसायिक प्रशिक्षण घटक को भी शामिल किया जाएगा।

तीसरे चरण में जेल संख्या 13 को ‘हरित जेल’ पद्धति के लिए एक मॉडल इकाई में परिवर्तित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

इस पहल की संकल्पना और क्रियान्वयन महानिदेशक (कारागार) सतीश गोलचा के मार्गदर्शन में जेल नंबर 13 के अधीक्षक आशीष कुमार द्वारा की गयी है।

भाषा रवि कांत प्रशांत

प्रशांत

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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