scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमदेश60 साल बाद आखिर सैनिकों की शान में बना राष्ट्रीय युद्ध स्मारक

60 साल बाद आखिर सैनिकों की शान में बना राष्ट्रीय युद्ध स्मारक

नेशनल वॉर मेमोरियल के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है, जिसका मतलब उन हजारों सैनिकों को सम्मानित करना है, जो लाइन ऑफ ड्यूटी के वक्त मारे गये हैं.

Text Size:

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को इंडिया गेट के पास नेशनल वॉर मेमोरियल का उद्घाटन करेंगे.

170 करोड़ रुपये की लागत से बना यह स्मारक उन हजारों भारतीय सैनिकों को सम्मानित करने के लिए है, जो आजादी के बाद लाइन ऑफ ड्यूटी के दौरान मारे गए हैं. जैसा कि पिछले महीने दिप्रिंट ने रिपोर्ट की थी, इसका उद्घाटन पहले जनवरी में होना था, लेकिन परियोजना में देरी हुई.

1961 से इस तरह के स्मारक की जरूरत पर विचार किया जा रहा था, लेकिन इस योजना को 7 अक्टूबर 2015 को केवल केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिली थी.

पिछले साल गणतंत्र दिवस समारोह के बाद, स्मारक की जगह इंडिया गेट परिसर के सी हेक्सागॉन में सशस्त्र बलों को दे दी गई थी, और फरवरी में निर्माण शुरू हो गया था.

चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष, एकीकृत रक्षा कर्मचारियों के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल पी.एस. राजेश्वर ने रविवार को एक प्री-लॉन्च इवेंट में कहा, ‘इस स्मारक का उद्देश्य स्वतंत्रता के बाद सैनिकों द्वारा किए गए बलिदानों के बारे में जानकारी देना है.

उन्होंने कहा, ‘ यह सशस्त्र बलों के लिए राष्ट्र द्वारा श्रद्धांजलि है, खासकर हमारे कुर्बान नायकों और बहादुरों में से सबसे बहादुर को. इसका उद्देश्य राष्ट्रीय गौरव को जगाना और स्थापित करना है. यह अगली पीढ़ी के लिए प्रेरणा बनने भी जा रहा है..

नेशनल वॉर मेमोरियल के निर्माण के लिए 2016-17 में एक वैश्विक कंपिटिशन का आयोजन किया गया था, और वेबे डिजाइन लैब के योगेश चंद्रहसन को इस परियोजना का कंसल्टेंट नियुक्त किया गया था.

अमर चक्र

काम्पलेक्स के 40 एकड़ क्षेत्र में प्रमुख स्मारक सहित तीन घास के मैदान हैं. इसमें 200 से 250 लोग आ सकते हैं. इसे भूमिगत बनाया गया है, ताकि इंडिया गेट को देखने में कोई दिक्कत न हो.

सबसे अंदर का चक्र ‘अमरता का चक्र’ या ‘अमर चक्र’ है, अमर ज्योति के साथ एक 15.5 मीटर ऊंचा गौरवशाली स्मारक-स्तम्भ है, जो शहीद सैनिकों की आत्मा की अमरता का प्रतीक है. इस क्षेत्र में युद्ध स्मारक का गर्भगृह शामिल है.

दूसरा चक्र, ‘वीरता चक्र या ‘बहादुरी चक्र’ है. एक गैलरी जो कांस्य में गढ़े छह भित्ति चित्रों को प्रदर्शित करती है.

ग्रेनाइट टैबलेट पर गोल्डन रंग में लिखित दीवारों की दो पंक्तियों वाला ‘बलिदान चक्र’ या ‘त्याग चक्र’ है, जो 25,942 सैनिकों के नाम और रेजीमेंट को पेश करेंगा.

आने वाले वर्षों में अपना जीवन बलिदान करने वालों के लिए नए नाम जोड़ने के प्रावधान के साथ, दीवारों में वर्तमान में उन सैनिकों के नाम शामिल हैं, जो 2018 तक लाइन ऑफ ड्यूटी के दौरान मारे गए हैं.

सबसे बाहरी चक्र में, ‘सुरक्षा चक्र’ या ‘राष्ट्र चक्र’ की एक सर्कल में पेड़ों की पंक्तियां हैं, जो सैनिकों का प्रतिनिधित्व करती हैं.

मुख्य स्मारक परिसर के अलावा, दो सार्वजनिक चौक और एक क्षेत्र भारत के सर्वोच्च सैन्य अलंकरण परमवीर चक्र प्राप्त करने वालों को समर्पित हैैं. ‘परम योद्धा स्थल’ के नाम से जाने जाने वाला इस एरिया में, जहां अभी तक 21 प्राप्तकर्ताओं की कांस्य की अर्ध प्रतिमाएं हैं.

स्मारक के लिए कोई एंट्री फीस नहीं है, लेकिन यहां जाने के लिए समय निर्धारित किया गया है. यह सुबह 9 से शाम 6 बजे तक (नवम्बर-मार्च) और सुबह 9 से 7:30 (अप्रैल-अक्टूबर) तक खुला रहेगा. हालांकि, सार्वजनिक चौकियां चौबीसों घंटे खुली रहेंगी.

इंडिया गेट पर अब दो अमर ज्योति होंगी

इंडिया गेट पर 1971 के युद्ध में भारत की जीत का स्मरण करने के लिए जनवरी 1972 में स्थापित मौजूदा ज्योति के अलावा नेशनल वार मेमोरियल के अंदर की ज्योति अब सैनिकों के लिए ऐसी दूसरी श्रद्धांजलि है.

इंडिया गेट और नेशनल वॉर मेमोरियल के बीच काफी समानताएं हैं. इंडिया गेट पर प्रथम विश्व युद्ध और तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध के दौरान जान गंवाने वाले 13,516 सैनिकों के नाम अंकित हैं.

तय दिनों में इंडिया गेट की तरह ही अब, नेशनल वॉर मेमोरियल माल्यार्पण समारोह आयोजित करेगा.

share & View comments