नयी दिल्ली, सात जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि एहतियातन हिरासत राज्य को दी गई एक असाधारण शक्ति है, जिसका प्रयोग संयम से किया जाना चाहिए। न्यायालय ने इसी के साथ केरल में धन उधार देने में लिप्त एक व्यक्ति को हिरासत में लेने के आदेश को खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने कहा कि हिरासत प्राधिकारी द्वारा आदेश में बताई गई परिस्थितियां राज्य के लिए व्यक्ति के खिलाफ दर्ज मामलों में जमानत रद्द करने के लिए सक्षम अदालतों से संपर्क करने के लिए पर्याप्त आधार तो हो सकती हैं, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता है कि इसके लिए उसे एहतियातन हिरासत में लेना उचित है।
शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को सुनाए गए आदेश में कहा, ‘‘इसलिए, 20 जून, 2024 के हिरासत के आदेश और एर्णाकुलम स्थित केरल उच्च न्यायालय द्वारा पारित चार सितंबर, 2024 के विवादित फैसले को रद्द किया जाता है। इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए अपील मंजूर की जाती है।’’
पीठ ने रेखांकित किया कि एहतियातन हिरासत की शक्ति को संविधान में अनुच्छेद 22(3)(बी) के तहत मान्यता प्राप्त है। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘ एहतियातन हिरासत का प्रावधान राज्य के हाथों में एक असाधारण शक्ति है, जिसका संयम से इस्तेमाल किया जाना चाहिए। यह किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता को भविष्य में किसी अपराध के किए जाने की आशंका के आधार पर सीमित करता है, और इसलिए इसका उपयोग सामान्य परिस्थितियों में नहीं किया जाना चाहिए।’’
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धीरज दिलीप
दिलीप
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