आइजोल, 27 सितंबर (भाषा) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शुक्रवार को कहा कि विधायिका की शुचिता बनाए रखना पीठासीन अधिकारियों का विशेष दायित्व है और इस दिशा में उन्हें सदैव सजग रहना चाहिए।
उन्होंने यहां मिज़ोरम विधान सभा में आयोजित राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र जोन -3 के 21वें सम्मेलन का उदघाटन किया।
इस मौके पर बिरला ने यह भी कहा कि विधायी शुचिता और पारदर्शिता लोकतंत्र को सशक्त करने में सहायक सिद्ध होती है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘विधायिका की शुचिता बनाए रखना पीठासीन अधिकारियों का विशेष दायित्व है और इस दिशा में उन्हें सदैव सजग रहना चाहिए।’’
बिरला का कहना था कि सदस्यों के गरिमामयी आचरण से पारदर्शिता सुनिश्चित होती है।
उन्होंने कहा कि विधायी कार्य में जनता की आशाओं और अपेक्षाओं को प्रमुखता मिलनी चाहिए।
बिरला के अनुसार, निर्वाचित प्रतिनिधियों को विधानमंडल के मंच का उपयोग लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए करना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि इससे नागरिकों का विधायी संस्थाओं पर विश्वास बढ़ेगा, विधि निर्माण की गुणवत्ता बढ़ेगी और और विधायी संस्थाओं की गरिमा भी बढ़ेगी।
बिरला ने कहा कि विधायिका को विधि और नीति निर्माण के साथ साथ शासन की जवाबदेही पर जोर देना चाहिए जिससे आम नागरिकों के जीवन में सामाजिक आर्थिक परिवर्तन लाया जा सके।
भाषा हक हक पवनेश
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