नई दिल्ली: भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 72वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान की उद्देशिका में रेखांकित न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के जीवन-मूल्य हम सबके लिए पुनीत आदर्श हैं.
कोविंद ने कहा, ‘यह उम्मीद की जाती है कि केवल शासन की ज़िम्मेदारी निभाने वाले लोग ही नहीं, बल्कि हम सभी सामान्य नागरिक भी इन आदर्शों का दृढ़ता व निष्ठापूर्वक पालन करें.’
उन्होंने कहा, ‘यह हम सबके हित में है कि, हम अपने संविधान में निहित आदर्शों को, सूत्र-वाक्य की तरह, सदैव याद रखें.’
‘हम सबको ‘संवैधानिक नैतिकता’ के उस पथ पर निरंतर चलते रहना है जिसका उल्लेख बाबासाहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने 4 नवंबर, 1948 को, संविधान सभा के अपने भाषण में किया था. उन्होंने स्पष्ट किया था कि ‘संवैधानिक नैतिकता’ का अर्थ है- संविधान में निहित मूल्यों को सर्वोपरि मानना.’
LIVE: President Kovind's address to the nation on the eve of the 72nd #RepublicDay https://t.co/Obuf3zwRMm
— President of India (@rashtrapatibhvn) January 25, 2021
‘जनांदोलन का रूप ले रहा है आत्मनिर्भर भारत अभियान’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘हम अनेक देशों के लोगों की पीड़ा को कम करने और महामारी पर काबू पाने के लिए, दवाएं तथा स्वास्थ्य-सेवा के अन्य उपकरण, विश्व के कोने-कोने में उपलब्ध कराते रहे हैं. अब हम वैक्सीन भी अन्य देशों को उपलब्ध करा रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘मैं देशवासियों से आग्रह करता हूं कि आप सब, दिशा-निर्देशों के अनुरूप, अपने स्वास्थ्य के हित में इस वैक्सीन रूपी संजीवनी का लाभ अवश्य उठाएं और इसे जरूर लगवाएं. आपका स्वास्थ्य ही आपकी उन्नति के रास्ते खोलता है.’
उन्होंने कहा कि आत्म-निर्भर भारत ने, कोरोनावायरस से बचाव के लिए अपनी खुद की वैक्सीन भी बना ली है. अब विशाल पैमाने पर, टीकाकरण का जो अभियान चल रहा है वह इतिहास में अपनी तरह का सबसे बड़ा प्रकल्प होगा.
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, ‘2020 में घोषित ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ में प्रौद्योगिकी के साथ-साथ परंपरा पर भी ज़ोर दिया गया है. इसके द्वारा एक ऐसे नए भारत की आधारशिला रखी गई है जो अंतर्राष्ट्रीय मंच पर ज्ञान-केंद्र के रूप में उभरने की आकांक्षा रखता है.’
उन्होंने कहा, ‘पूरी गति से आगे बढ़ रहे हमारे आर्थिक सुधारों के पूरक के रूप में, नए कानून बनाकर, कृषि और श्रम के क्षेत्रों में ऐसे सुधार किए गए हैं, जो लम्बे समय से अपेक्षित थे. आरम्भ में, इन सुधारों के विषय में आशंकाएं उत्पन्न हो सकती हैं. परंतु,किसानों के हित के लिए सरकार पूरी तरह समर्पित है.’
कोविंद ने कहा, ‘नए भारत के समावेशी समाज का निर्माण करने के लिए हम शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषाहार, वंचित वर्गों के उत्थान और महिलाओं के कल्याण पर विशेष बल दे रहे हैं. हर परिवार को बुनियादी सुविधाओं से युक्त पक्का मकान दिलाने से लेकर, किसानों की आय को दोगुना करने तक, ऐसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों की तरफ बढ़ते हुए हम अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ के ऐतिहासिक पड़ाव तक पहुंचेंगे.’
उन्होंने कहा, ‘प्रत्येक परिस्थिति में, अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने के लिए हम पूरी तरह सक्षम हैं.’
उन्होंने कहा, ‘इस अभियान के तहत माइक्रो, स्मॉल और मीडियम इंटरप्राइजेज़ को बढ़ावा देकर तथा स्टार्ट-अप इको सिस्टम को और अधिक मजबूत बनाकर आर्थिक विकास के साथ-साथ रोजगार उत्पन्न करने के भी कदम उठाए गए हैं.’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान एक जन-आंदोलन का रूप ले रहा है.’
‘आपदा को अवसर में बदलते हुए, प्रधानमंत्री ने ‘आत्म-निर्भर भारत अभियान’ का आह्वान किया. हमारा जीवंत लोकतंत्र, हमारे कर्मठ व प्रतिभावान देशवासी– विशेषकर हमारी युवा आबादी– आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के हमारे प्रयासों को ऊर्जा प्रदान कर रहे हैं.’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि भविष्य में इस तरह की महामारियों के खतरे को कम करने के उद्देश्य से, जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को, विश्व-स्तर पर, प्राथमिकता दी जाएगी.’
‘संविधान के प्रति सम्मान’
कोविंद ने कहा, ‘हमारे राष्ट्रीय त्योहारों को, सभी देशवासी, राष्ट्र-प्रेम की भावना के साथ मनाते हैं. गणतन्त्र दिवस का राष्ट्रीय पर्व भी, हम पूरे उत्साह के साथ मनाते हुए, अपने राष्ट्रीय ध्वज तथा संविधान के प्रति सम्मान व आस्था व्यक्त करते हैं.’
कोविंद ने कहा कि बाल गंगाधर ‘तिलक’, लाला लाजपत राय, महात्मा गांधी और सुभाष चन्द्र बोस जैसे अनेक महान जन-नायकों और विचारकों ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया था.
उन्होंने कहा, ‘मातृभूमि के स्वर्णिम भविष्य की उनकी परिकल्पनाएं अलग-अलग थीं परंतु न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के मूल्यों ने उनके सपनों को एक सूत्र में पिरोने का काम किया.’
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