(तस्वीरों के साथ)
बेंगलुरु, 27 सितंबर (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को वैज्ञानिक समुदाय से सामाजिक जिम्मेदारी के मार्ग पर आगे बढ़ने और “स्वदेशीकरण की भावना” को आत्मसात करने का आह्वान किया।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि यह सुनिश्चित करना सभी की संयुक्त जिम्मेदारी होनी चाहिए कि 2047 का भारत अधिक समृद्ध और मजबूत राष्ट्र होगा।
राष्ट्रपति ने यहां हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के एकीकृत क्रायोजेनिक इंजन निर्माण केंद्र (आईसीएमएफ) का उद्घाटन करने और जोनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (दक्षिण क्षेत्र) की आधारशिला रखने के बाद यह बात कही।
मूर्मू ने कहा, “इस ऐतिहासिक अवसर पर, मुझे अपने पूर्ववर्ती माननीय डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम की याद आ रही है। हम उन्हें ‘भारत के मिसाइल मैन’ के रूप में जानते हैं, लेकिन उनके जीवन का एक और पहलू था, जिस पर मैं कुछ प्रकाश डालना चाहती हूं। उन्होंने हमेशा सामाजिक समावेश के साथ-साथ प्रौद्योगिकीय विकास का मार्ग अपनाया।”
राष्ट्रपति ने कहा कि विज्ञान एक अभूतपूर्व क्रांति और लोगों के जीवन में बदलाव ला सकता है। डॉ. कलाम भी ‘कलाम-राजू स्टेंट’ तैयार करके लोगों के जीवन में बदलाव लाए थे। यह स्वदेशी ‘कोरोनरी स्टेंट’ (हृदय की धमनी के इलाज में इस्तेमाल होने वाला छल्ला) था, जिसने हजारों रोगियों की मदद की। यह आयात किए गए स्टेंट की तुलना में काफी सस्ता था।
उन्होंने कहा, “मेरे कहने का मतलब यह है कि डॉ. कलाम द्वारा अपनाई गई स्वदेशीकरण की भावना का हमारे समाज पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। हमारे वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और शोध कई लोगों के जीवन को बचा सकते हैं। मैं भारत के वैज्ञानिक समुदाय से सामाजिक जिम्मेदारी के मार्ग पर आगे बढ़ने का आग्रह करती हूं।”
एचएएल के एकीकृत क्रायोजेनिक इंजन विनिर्माण केंद्र (आईसीएमएफ) से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लिए एक ही स्थान पर रॉकेट इंजन का समस्त उत्पादन किया जा सकेगा।
केंद्र का निर्माण 4,500 वर्ग मीटर क्षेत्र में किया गया है। यहां भारतीय रॉकेटों के क्रायोजेनिक (सीई20) और सेमी-क्रायोजेनिक (एसई2000) इंजनों के निर्माण के लिए 70 उन्नत उपकरण और परीक्षण केंद्र होंगे।
साल 2013 में, एचएएल की अंतरिक्ष विज्ञान डिवीजन में क्रायोजेनिक इंजन मॉड्यूल का विनिर्माण केंद्र स्थापित करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए थे और बाद में 2016 में इसमें संशोधन कर 208 करोड़ रुपये के निवेश के साथ आईसीएमएफ की स्थापना का लक्ष्य रखा गया।
राष्ट्रपति ने कहा कि एचएएल और इसरो का गौरवशाली अतीत हमें भरोसा दिलाता है कि वे भविष्य में भी महत्वपूर्ण और सकारात्मक भूमिका निभाते रहेंगे।
उन्होंने कहा, “हमने एक स्वतंत्र देश के रूप में 75 साल पूरे कर लिए हैं। हम अगले 25 वर्षों में नए भारत की कल्पना और इसे एक विकसित देश बनाने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। यह सुनिश्चित करना हमारी संयुक्त जिम्मेदारी है कि 2047 का भारत एक बहुत अधिक समृद्ध व मजबूत राष्ट्र होगा।”
कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ, एचएएल के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक सी. बी. अनंतकृष्णन समेत अन्य लोग इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।
भाषा
जोहेब माधव
माधव
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