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Sunday, 22 December, 2024
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राष्ट्रपति मुर्मू ने लंदन में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को श्रद्धांजलि दी, शोक पुस्तक पर किए हस्ताक्षर

राष्ट्रपति सोमवार को महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के राजकीय अंतिम संस्कार में शामिल होने और भारत सरकार की ओर से संवेदना व्यक्त करने के लिए 17 से 19 सितंबर तक यूनाइटेड किंगडम के आधिकारिक दौरे पर हैं.

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नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को लंदन के वेस्टमिंस्टर हॉल में ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को श्रद्धांजलि अर्पित की. यहां रानी का ताबूत रखा हुआ है.

राष्ट्रपति भवन ने ट्वीट किया, ‘राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वेस्टमिंस्टर हॉल लंदन का दौरा किया, जहां महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का पार्थिव शरीर रखा गया है. राष्ट्रपति ने उनकी ओर से और भारत के लोगों की ओर से दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की.’

राष्ट्रपति ने एक शोक संदेश पुस्तिका पर हस्ताक्षर करने के लिए नजदीकी लैंकेस्टर हाउस का भी दौरा किया.

राष्ट्रपति सोमवार को महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के राजकीय अंतिम संस्कार में शामिल होने और भारत सरकार की ओर से संवेदना व्यक्त करने के लिए 17 से 19 सितंबर तक यूनाइटेड किंगडम के आधिकारिक दौरे पर हैं.

वह शनिवार को लंदन के वेस्टमिंस्टर एब्बे में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के राजकीय अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए लंदन के गैटविक हवाई अड्डे पर पहुंचीं.

महारानी के अंतिम संस्कार में दुनियाभर के शाही परिवार के सदस्यों समेत करीब 500 विश्व नेता शामिल होंगे. अंतिम संस्कार वेस्टमिंस्टर एबे में होगा, जिसमें करीब 2,000 लोगों के शामिल होने की संभावना है. शोक समारोह स्थानीय समयानुसार सुबह 11 बजे शुरू होगा और एक घंटे बाद पूरे देश में दो मिनट के मौन के बाद समाप्त होगा.

महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का आठ सितंबर को स्कॉटलैंड के बाल्मोरल कैसल में 96 वर्ष की आयु में निधन हो गया था. महारानी का पार्थिव शरीर वेस्टमिंस्टर हॉल में रखा गया है और उनका अंतिम संस्कार सोमवार सुबह वेस्टमिंस्टर एबे में किया जाएगा.

राष्ट्रपति मुर्मू को रविवार शाम महाराजा चार्ल्स द्वितीय और क्वीन कंसोर्ट कैमिला द्वारा बकिंघम पैलेस में विश्व नेताओं के लिए आयोजित एक भोज में भी आमंत्रित किया गया है.

इस ‘आधिकारिक राजकीय कार्यक्रम’ में ब्रिटेन आ रहे सभी राष्ट्राध्यक्षों और आधिकारिक विदेशी अतिथियों के शामिल होने की संभावना है.

महारानी के परिवार में 2009 और 2012 के बीच काम करने वाले जाकी कूपर का मानना है कि महारानी के ‘भारत के साथ स्नेहपूर्ण संबंध’ थे और उन्होंने एक साम्राज्य को राष्ट्रमंडल में बदलने में अहम भूमिका निभाई.


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