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Friday, 8 August, 2025
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के निधन पर शोक व्यक्त किया

सत्यपाल मलिक अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के अंतिम राज्यपाल रहे. उनके कार्यकाल के दौरान ही केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाया और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया.

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नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के निधन पर शोक व्यक्त किया.

भारत की राष्ट्रपति ने एक्स पर पोस्ट में लिखा, “श्री सत्यपाल मलिक जी के निधन का समाचार दुखद है. मैं उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदना व्यक्त करती हूं.”

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी सत्यपाल मलिक के निधन पर शोक व्यक्त किया और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की.

“गोवा, बिहार, मेघालय और जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल श्री सत्यपाल मलिक जी का निधन अत्यंत दुःखद है! ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे. शोक संतप्त परिवार के प्रति गहरी संवेदना. विनम्र श्रद्धांजलि!” अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट किया.

पूर्व राज्यपाल के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने उनके जनकल्याण के संघर्ष और जज़्बे को याद किया.

गहलोत ने एक्स पर पोस्ट साझा करते हुए लिखा, “पूर्व राज्यपाल श्री सत्यपाल मलिक जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है. मैं उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. कुछ दिन पहले दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में मैं उनसे मिलने गया था और उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी. वे कुछ समय से अस्वस्थ थे और सभी को उनकी चिंता थी. वे लगातार सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रहे, अनेक पदों पर रहे और उनका संघर्षशील जज़्बा सदैव याद रखा जाएगा.”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के निधन पर शोक व्यक्त किया और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की.

कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी सत्यपाल मलिक को श्रद्धांजलि अर्पित की.

जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया.
79 वर्षीय नेता ने आज दोपहर 1.10 बजे राम मनोहर लोहिया अस्पताल में अंतिम सांस ली। यह जानकारी मलिक के निजी सचिव के.एस. राणा ने दी.

सत्यपाल मलिक अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के अंतिम राज्यपाल रहे. उनके कार्यकाल के दौरान ही केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाया और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया.

एक विरासत

डॉ. राम मनोहर लोहिया की समाजवादी विचारधारा से प्रेरित होकर सत्यपाल मलिक ने 1965-66 में राजनीति में प्रवेश किया। उनकी नेतृत्व क्षमता तभी उजागर हुई, जब उन्होंने 1966-67 में मेरठ कॉलेज छात्रसंघ के अध्यक्ष और फिर 1968-69 में तत्कालीन मेरठ विश्वविद्यालय (अब चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय) के छात्रसंघ अध्यक्ष के रूप में सेवा की.

उन्होंने 1974 में पहली बार बागपत विधानसभा सीट से भारतीय क्रांति दल के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बने और उत्तर प्रदेश विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक बनाए गए. उनकी राजनीतिक पहचान बढ़ने के साथ, 1975 में उन्हें नवगठित लोकदल का अखिल भारतीय महासचिव बनाया गया. 1980 में उन्हें लोकदल से राज्यसभा के लिए नामित किया गया.

कुछ समय के राजनीतिक विराम के बाद, उन्होंने 2004 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जॉइन की और बागपत लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा. इसके बाद वे पार्टी में लगातार ऊपर बढ़ते गए. वे 2005-06 में उत्तर प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष, 2009 में भाजपा किसान मोर्चा के अखिल भारतीय प्रभारी, और 2012 में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने.

उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी के कृषि घोषणापत्र को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उसी वर्ष राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में पुनः नियुक्त हुए. उन्होंने देशभर में कई किसान रैलियों को संबोधित किया.

जनसेवा में उनके दीर्घकालिक योगदान को देखते हुए 2017 में उन्हें बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया. एक वर्ष बाद, 23 अगस्त 2018 को उन्होंने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल पद की शपथ ली.

अपने राजनीतिक करियर में उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिनमें उत्तर प्रदेश विधानसभा सदस्य (1974-77), राज्यसभा (1980-84, 1986-89) और लोकसभा (1989-91) के सांसद तथा अप्रैल से नवंबर 1990 तक संसदीय कार्य और पर्यटन के केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में सेवा शामिल है. उन्होंने राज्यसभा में चेयरमैन पैनल और लोकसभा में स्पीकर पैनल के सदस्य के रूप में भी कार्य किया.


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