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Thursday, 26 December, 2024
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मोदी सरकार से 800 से अधिक वैज्ञानिकों की अपील- ‘अधिक टेस्ट, लॉकडाउन के बाद की योजना तैयार करें’

शिक्षाविदों ने सरकार से और अधिक परीक्षण करने का आग्रह किया है और चेतावनी दी हैं कि लॉकडाउन के बाद कोरोनावायरस के लिए योजना के आभाव में यह वापस बढ़ सकता है.

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नई दिल्ली: कोरोनावायरस के सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 1,764 हो गई है और भारत के 800 से अधिक वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों ने कहा कि कोरोनावायरस के संक्रमण का अधिक से अधिक लोगों का परीक्षण करने और लॉकडाउन के बाद की योजना तैयार करने की अपील की. ताकि महामारी फिर से तेजी से न फैले.

वैज्ञानिकों के अनुसार लॉकडाउन अस्थायी रूप से महामारी को दबा सकता है. प्रतिबंधित परीक्षण से संक्रमण से कितने लोग प्रभावित हुए हैं यह स्पष्ट नहीं है.

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आईआईएसईआर) के शोधकर्ताओं द्वारा बयान को हस्ताक्षरित किया गया है. इसमें आग्रह किया गया है कि पुलिस बल का उपयोग करने के बजाय सरकार को घर वापस जाने का प्रयास करने वाले प्रवासी श्रमिकों को भोजन और आश्रय प्रदान करना चाहिए.

पूरा बयान यहां पढ़ें.

यह वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों का एक समूह हैं.

भारत सरकार द्वारा लगाए गए 21 दिन के लॉकडाउन में लोगों में अपने घर पर रहना है और अपने स्वास्थ्य को बचाना है. लेकिन, 90 प्रतिशत से अधिक कर्मचारियों के लिए जो असंगठित क्षेत्र में या अनौपचारिक रूप से संगठित क्षेत्र में कार्यरत हैं और विशेष रूप से प्रवासी मजदूरों के लिए जो दैनिक आधार पर कमाते हैं. उनके लिए लॉकडाउन से तत्काल स्वास्थ्य जोखिम और आर्थिक तबाही दोनों है.

चूंकि लॉकडाउन को महामारी विज्ञान के विचारों द्वारा उचित ठहराया गया है. इस बयान में, हम लॉकडाउन के कुछ महत्वपूर्ण महामारी विज्ञान पहलुओं पर ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं.

लॉकडाउन कोरोना महामारी के लिए इलाज नहीं है और यह स्वास्थ्य प्रणाली के लिए कुछ समय जीत का उपाय है. महामारी विज्ञान मॉडल लगातार सुझाव दें रहे हैं कि अन्य कारकों की अनुपस्थिति में लॉकडाउन हटा दिए जाने पर महामारी में वापस उछाल आ सकती है. यदि भारत के लॉकडाउन के बाद ऐसा होता है, तो महामारी पहले से ही गंभीर आर्थिक संकट झेल रहे समाज को प्रभावित करेगी, जिसके संभावित विनाशकारी परिणाम होंगे.

इसलिए, लॉकडाउन के बाद की योजना आवश्यक है जो सुनिश्चित करेगी कि लॉकडाउन समाप्त होने पर नए संक्रमण की दर को स्थायी रूप से कम रखा जाए. हालांकि, सोशल डिस्टैन्सिंग और बेहतर स्वच्छता मदद कर सकते हैं. लेकिन यह उपाय अपने आप में अपर्याप्त हैं. हम इस बात से चिंतित हैं कि भारत सरकार ने एक रोडमैप जारी नहीं किया है. यह नहीं बताया है कि महामारी से निपटने की योजना क्या है, हमारा मानना ​​है कि लॉकडाउन की घोषणा से पहले इस तरह की योजना को लागू किया जाना चाहिए था और हम सरकार से जल्द से जल्द ऐसा करने का आग्रह करते हैं. इस तरह के कदम से सरकार की दीर्घकालिक रणनीति में लोगों का विश्वास भी बढ़ेगा.

अधिक परीक्षण आवश्यक है: अस्थायी रूप से लॉकडाउन महामारी को दबाने में सफल हो सकता है, लेकिन हम चिंतित हैं कि सरकार इस महत्वपूर्ण समय में कोरोना के अधिक से अधिक मामलों की पहचान करने के लिए कुछ नहीं कर रही है. विशेष रूप से मौजूदा प्रतिबंधित परीक्षण- नीति यह जोखिम पैदा करती है कि बड़ी संख्या में हल्के लक्षण या स्पर्शोन्मुख मामले- जो कि संक्रमण को बताते हैं लॉकडाउन अवधि के बाद में भी अनिर्धारित रहेगा. ये आसानी से मामलों में उछाल ला सकते हैं.

इसलिए, हम आईसीएमआर और भारत सरकार से अनुरोध करते हैं कि भारत के परीक्षण के विस्तार के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं. हमें उम्मीद है कि परीक्षण-तकनीकों में हालिया प्रगति भारत को विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिशों का पालन करने की अनुमति देगी, जिसने महामारी परीक्षण को नियंत्रित करने के संभावित तरीके के रूप में अतिरिक्त लक्षित उपायों के बाद लगातार बड़े पैमाने पर परीक्षण की सिफारिश की है.

रिवर्स माइग्रेशन का जोखिम: लॉकडाउन से उत्पन्न पलायन भी जोखिम को वहन करता है कि वायरस तेजी से भारत के सभी हिस्सों में फ़ैल जाएगा, जहां स्वास्थ्य सुविधाएं सबसे कमजोर हैं. यह एक महामारी विज्ञान और मानवीय संकट दोनों को जन्म दे सकता है. पुलिस का उपयोग करके रिवर्स माइग्रेशन को रोकने का प्रयास करने के बजाय हम सरकार से खाद्यान्न के अपने स्टॉक का उपयोग करने और श्रमिकों के खाद्य-सुरक्षा और कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए तत्काल नकद हस्तांतरण का उपयोग करने का आग्रह करते हैं और यह सुनिश्चित करें कि वे लंबी यात्राएं करने के लिए मजबूर न हों, जिनमें पहले ही कई मौतें हो चुकी हैं.

हमें पूरी उम्मीद है कि सरकार बोर्ड की चिंताओं गंभीरता से लेगी. वैज्ञानिक समुदाय के सदस्यों के रूप में हम इस बीमारी से निपटने के लिए लोगों और संभावित विशेषज्ञता के लिए अपना पूरा समर्थन प्रदान करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि जहां तक ​​संभव हो जीवन का कम नुकसान हो और हमारा देश इस कठिन दौर से उबरे.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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