scorecardresearch
Sunday, 22 December, 2024
होमदेशप्रशांत भूषण ने कोविड-19 के टीकों के प्रभाव को लेकर उठाया सवाल तो ट्विटर ने ट्वीट को बताया 'मिसलीडिंग'

प्रशांत भूषण ने कोविड-19 के टीकों के प्रभाव को लेकर उठाया सवाल तो ट्विटर ने ट्वीट को बताया ‘मिसलीडिंग’

भूषण ने कहा है कि स्वस्थ और युवा लोगों में कोविड के कारण गंभीर प्रभाव या मरने की कोई संभावना नहीं है, लेकिन वैक्सीनेशन के बाद उनके मरने की संभावना बढ़ जाती है.

Text Size:

नई दिल्ली: वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कोविड-19 की वैक्सीन के प्रभाव (इफीकेसी) और सुरक्षा पर ट्वीट कर एक सवाल उठाया तो ट्विटर ने उस ट्वीट को ‘मिसलीडिंग’ यानी भ्रामक बता दिया है. जिसके बाद 64 वर्षीय वकील ने अपने को सही साबित करने के लिए एक के बाद एक ट्वीट साझा किए.

अपनी पत्नी की मौत के लिए टीकों को दोषी ठहराने वाले एक व्यक्ति के बारे में सोमवार को एक समाचार रिपोर्ट साझा करते हुए भूषण ने कहा कि सरकार टीकों से होने वाली अनहोनी घटनाओं की निगरानी नहीं कर रही है और न ही टीकों से जुड़ा डेटा जारी कर रही है. उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने वैक्सीन नहीं ली है और भविष्य में लेने का इरादा भी नहीं है.

उन्होंने यह भी ट्वीट किया कि ‘स्वस्थ और युवा लोगों में कोविड के कारण गंभीर स्थिति होने या मरने की कोई संभावना नहीं है, बल्कि वैक्सीनेशन के बाद उनके मरने की संभावना अधिक हो जाती है.


य़ह भी पढ़ें: IIT-बॉम्बे के प्रोफेसर ने Covid की जांच के लिए बनाया नया टूल, समय भी कम लगता है और लागत भी


इन ट्वीट्स को सोशल मीडिया साईट ट्विटर द्वारा ‘भ्रामक’ के रूप में चिह्नित किया गया.

आलोचना से बेपरवाह, भूषण ने अपने ‘वैक्सीन अविश्वास” पर दो पेज का लंबा स्पष्टीकरण भी पोस्ट किया, जिसे दोबारा से ट्विटर ने ‘भ्रामक’ बताया.

भूषण ने लिखा,’कोविड वैक्सीन को लेकर मेरे विचारों को ट्वीट करने के बाद मुझ पर कई लोगों ने हमला किया है. नीचे दिया गया अंश टीके के बारे में मेरे संदेह और इसके कारणों का सार प्रस्तुत करता है. टीकों के परीक्षण न किए जाने और गंभीर प्रतिकूल प्रभाव होने के अलावा, मैं इस तरह के विरोधाभासी विचारों को सेंसर करने के प्रयासों से स्तब्ध हूं.’

उन्होंने सफाई दी कि वह वैक्सीन विरोधी या विज्ञान विरोधी नहीं हैं, लेकिन ऐसे कई उदाहरणों से अवगत है जहां कई विषयों पर वैज्ञानिक विचार कॉमर्शियल, पॉलिटिकल और मीडिया के निहित स्वार्थ से प्रेरित है .

उन्होंने यह भी दावा किया कि कई वैज्ञानिकों ने बताया है कि टीकों के गंभीर प्रतिकूल प्रभाव और दवाओं और टीकों के उपयोग के कारण होने वाली प्रतिकूल घटनाओं को ‘कम रिपोर्ट’ किया गया है.

उनके इस ट्वीट को सोशल मीडिया यूजर्स ने नापसंद किया और वैक्सीन को लेकर भय फैलाने के लिए कड़े शब्दों में आलोचना की. अभिनेता सिद्धार्थ और पत्रकार निधि राजदान सहित कई लोगों ने ट्विटर से इस पर कार्रवाई करने की मांग की और ट्वीट को ‘भ्रामक’ या मिसलीडिंग के रूप में चिह्नित करने की बात कही है.

 

ट्विटर की पालिसी

ट्विटर की ‘COVID-19 भ्रामक सूचना नीति’ में कहा गया है कि जो सामग्री स्पष्ट रूप से झूठी या भ्रामक है और जिससे नुकसान हो सकता है, उसे ट्विटर पर शेयर नहीं किया जा सकता है.

इसमें ऐसी सामग्री भी साझा करना शामिल है जो लोगों को कोविड-19 वायरस की प्रकृति के बारे में गुमराह कर सकती है. इसमें रोग को कम करने या उसका इलाज करने के लिए निवारक उपायों, उपचारों या अन्य सावधानियों की प्रभावकारिता या सुरक्षा, स्वास्थ्य सलाह से संबंधित आधिकारिक नियम, प्रतिबंध या छूट, या वायरस की व्यापकता या कोविड -19 से जुड़े संक्रमण या मृत्यु का जोखिम से जुड़ी जानकारी शामिल है.


य़ह भी पढ़ें: ऑक्सीजन प्रोटोकॉल, हर गांव में कोविड केंद्र: तीसरी लहर के लिए सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र की तैयारी


 

share & View comments