अलप्पुझा (केरल), 15 मई (भाषा) माकपा के वरिष्ठ नेता और केरल के पूर्व मंत्री जी सुधाकरन ने कथित तौर पर दावा किया है कि 1989 में अलपुझा लोकसभा चुनाव के लिए डाक मतपत्रों को खोला गया था, ताकि पता लगाया जा सके कि पार्टी समर्थित एनजीओ यूनियन के किन सदस्यों ने विपक्षी दल के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया है।
हाल ही में एनजीओ यूनियन के एक कार्यक्रम के दौरान सुधाकरन द्वारा विवादास्पद खुलासे करने का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर आया है। वीडियो में सुधाकरन को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि एनजीओ यूनियन के सदस्यों को दूसरों की ओर से डाक मत नहीं डालना चाहिए था।
सुधाकरन ने कहा कि सभी एनजीओ सदस्यों के लिए पार्टी को वोट देना जरूरी नहीं है, लेकिन जो लोग सीलबंद मतपत्र जमा करते हैं, उन्हें यह नहीं मानना चाहिए कि ‘हमें पता नहीं चलेगा’ कि उन्होंने किसे वोट किया है।
समाचार चैनलों द्वारा प्रसारित वीडियो में उन्हें यह कहते हुए उद्धृत किया गया है, ‘‘हम उन्हें खोलेंगे, सत्यापित करेंगे और सही करेंगे। अगर ऐसा कहने के लिए मेरे खिलाफ मामला भी दर्ज किया जाता है, तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि कुछ एनजीओ यूनियन के सदस्यों ने विपक्षी उम्मीदवारों को वोट दिया था। ‘जब केएसटीए नेता के वी देवदास ने अलपुझा से संसद के लिए चुनाव लड़ा था, तो डाक मतपत्रों को खोलकर जिला समिति कार्यालय में जांच की गई थी।
उन्होंने कहा कि यह पाया गया कि 15 प्रतिशत ने विरोधी उम्मीदवार को वोट दिया था। उनके अनुसार, जो टूटा हुआ है उसे जोड़ना मुश्किल नहीं है।’’
सुधाकरन ने कहा कि देवदास ने तब कांग्रेस नेता वक्कम पुरुषोत्तमन के खिलाफ चुनाव लड़ा था और 18,000 वोटों से हार गए थे।
हालांकि, चुनाव आयोग के दस्तावेज़ कहते हैं कि चुनाव में, पुरूषोत्तमन ने 3,75,763 वोट हासिल किए और माकपा उम्मीदवार देवदास को हराया, जिन्हें 3,50,640 वोट मिले थे।
पुरूषोत्तमन ने 25,123 वोटों के अंतर से जीत हासिल की, जो कुल वैध वोटों का 3.36 प्रतिशत था।
इस संबंध में न तो सुधाकरन ने और न ही माकपा ने कोई टिप्पणी की है।
भाषा रंजन मनीषा
मनीषा
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.