ऋषिकेश, 24 जनवरी (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी परियोजना ‘अमृत सरोवर’ के तहत राजाजी बाघ अभयारण्य में निर्मित दो बड़े तालाबों से स्थानीय पारिस्थितिकीय तंत्र व वन्यजीवन में सकारात्मक बदलाव दिखने लगे हैं।
रिजर्व के निदेशक साकेत बड़ोला ने मंगलवार को बताया कि केंद्र द्वारा वित्तपोषित इस योजना में सरोवर बनाने के लिए अभयारण्य के पूर्वी व पश्चिमी छोर पर स्थित क्रमश: रवासन रेंज के लूनी ब्लॉक तथा चिल्लावाली रेंज का चयन किया गया था ।
उन्होंने बताया कि लूनी ब्लॉक में लूनी स्रोत से करीब 1800 मीटर लंबी गूल (नाली) बनाकर 95×85 वर्गमीटर के सरोवर में पानी भरा गया जिससे कुछ ही दिनों में सरोवर के पास 1960 के दशक में लगाए गए सागौन के वृक्षों के नीचे की सूखी जमीन पर हरियाली लौट आयी।
बडोला ने बताया कि सागौन का पेड़ बहुत खुश्क प्रकृति का होने के कारण इसके नीचे जमीन भी बंजर जैसी हो जाती है लेकिन अब सरोवर के पास के सागौन वृक्षों के तीन से पांच किलोमीटर के जंगल की जमीन पर हरियाली लौट आयी है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे भविष्य में समीप के गांव मिट्ठी बेरी, छोटा रसूलपुर आदि के नलकूपों में भूमिगत जल स्तर में भी सुधार आ सकता है।
वन अधिकारी ने बताया कि इसी तरह चिल्लावाली सरोवर में किया गया प्रयोग भी बहुत सफल रहा जहां जंगली हाथियों के बडे़—बडे़ झुण्ड जलक्रीड़ा का आनंद ले रहे हैं ।
उन्होंने बताया कि वन्यजीव प्रबंधन में बनाए जाने वाले वाटर होल्स (पानी के गड्ढे) हाथी जैसे विशालकाय जीव के लिए छोटे पड़ जाते हैं और यह सरोवर उनके लिए मौज लेकर आया है ।
उन्होंने आशा जतायी कि सरोवर के बड़े जल भंडार से जंगल में निश्चित तौर पर नमी बढ़ेगी और उससे वे वनस्पतियां फिर उगने लगेंगी जो आर्द्रता के वांछित स्तर के अभाव में विलुप्त हो गयी थीं ।
भाषा सं दीप्ति दीप्ति रंजन
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