नई दिल्ली: ऑल इंडिया रोडियो की उर्दू सर्विस, जिसका भारत और पाकिस्तान दोनों में एक व्यापक श्रोता बेस था, के प्रसारण का समय घटाकर केवल तीन घंटा कर दिया गया, जो सिर्फ तीन महीने पहले तक, 18 घंटा हुआ करता था.
ये ऐसे समय हुआ है जब पाकिस्तान के रेडियो स्टेशनों से होने वाला प्रचार बढ़ गया है, जिसके पीछे मुख्य कारण वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच का तनाव है.
देश के बहुत से हिस्सों में एआईआर ट्रांसमिटर्स को हैण्डल करने वाले सूत्रों ने कनफर्म किया, कि शॉर्ट वेव और मीडियम वेव के बहुत से ट्रांसमिटर्स, जो पाकिस्तान और दूसरे देशों को रेडियो सिगनल्स भेजते थे, लॉकडाउन शुरू होने के बाद से बंद चल रहे हैं, जिससे न केवल प्रसारण के घंटे प्रभावित हुए हैं, बल्कि पाकिस्तान की ओर से हो रहे प्रचार का जवाब देने वाली सामग्री भी, पूरी तरह कट गई है.
उर्दू सर्विस ऑल इंडिया रोडियो के, विदेश प्रसारण सेवा प्रभाग (ईएसडी) के अंतर्गत आती है.
ईएसडी, 28 विदेशी भाषा सेवाओँ में दुनियाभर में फैले विदेशी श्रोताओँ के लिए, समाचार बुलेटिंस और कार्यक्रम तैयार करती हैं, जो पूरे देश में फैले लंबी दूसरे के, शॉर्ट-वेव और मीडियम-वेव ट्रांसमिटर्स के ज़रिए प्रसारित किए जाते हैं.
इसे सार्वजनिक कूटनीति का एक अहम ज़रिया समझा जाता है, और इसकी पहुंच लगभग 150 देशों में है.
23 मार्च को, एआईआर और दूरदर्शन की पेरेंट बॉडी, प्रसार भारती ने एक ऑफिस ज्ञापन जारी किया था, जिसमें ईएसडी को ग़ैर-आवश्यक सेवा बताया गया था, और इसकी तमाम सेवाएं और सभी ट्रांसमिटर्स निलंबित कर दिए गए, जिनके ज़रिए उर्दू समेत अनेक विदेशी भाषा सेवाएं प्रसारित की जातीं थीं.
पिछले महीने, ईएसडी ने 28 में से 11 भाषाओं की सेवाएं शुरू कीं, लेकिन अभी तक केवल दो ट्रांसमिटर्स को ही चालू किया जा सका है. इसके नतीजे में महत्वपूर्ण उर्दू सेवा समेत, सभी भाषा सेवाएं प्रभावित हुई हैं.
लेकिन प्रसार भारती ने कहा कि सभी रेडियो सेवाओं की समीक्षा की जा रही है, ताकि रणनीतिक महत्व की विश्व सेवाओं, और महत्वपूर्ण घरेलू कवरेज की राष्ट्रीय/ क्षेत्रीय सेवाओं के बीच, अच्छे से अंतर किया जा सके.
प्रसार भारती के एक टॉप सूत्र ने कहा,’इस समीक्षा से सुनिश्चित किया जाएगा, कि रेडियो सामग्री पर हो रहे करोड़ों रुपए के ऑपरेशनल ख़र्च को, बेहतर क्वालिटी के कंटेट के लिए इस्तेमाल किया जा सके’.
उर्दू सर्विस को 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद, एआईआर की एक मुकम्मल भाषा सेवा के तौर पर शुरू किया गया, हालांकि एआईआर ने उससे बहुत पहले ही, उर्दू सामग्री का प्रसारण शुरू कर दिया था.
पाकिस्तान ने शुरू किया तीखा रेडियो प्रचार
उर्दू सेवा में भारी कटौती ऐसे समय हुई है, जब पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर, भारत और चीन के बीच सैन्य टकराव की पृष्ठभूमि में, पाकिस्तान अपनी हवाई तरंगों के ज़रिए, एक तीखा प्रचार चला रहा है.
रेडियो पाकिस्तान, जिसे भारत में भी सुना जा सकता है, ख़ासकर सीमावर्ती गांवों में, ये कहता रहा है कि एलएसी पर ताज़ा तनातनी, भारत की ओर से पूर्व जम्मू-कश्मीर राज्य में धारा 370 को हटाने, और यथास्थिति में छेड़छाड़ की वजह से हुई है, और उसने ज़ोर देकर कहा, कि इससे पाकिस्तान और चीन दोनों की समप्रभुता प्रभावित हुई है.
पाकिस्तान ने ये भी कहा कि भारत पड़ोस में अपना क्षेत्रीय आधिपत्य स्थापित करना चाह रहा है, और उसे बाहरी सहायता से बल मिल रहा है, जो शायद अमेरिका की तरफ एक छिपा हुआ इशारा था.
उर्दू सर्विस से जुड़े रहे एआईआर के एक पूर्व अधिकारी ने कहा,’ऐसी स्थिति में भारत की आवाज़ में, कटौती की जगह और मज़बूती आनी चाहिए थी. उर्दू सर्विस के ज़्यादातर प्रोग्राम्स फिलहाल रद्द हैं’.
एआईआर के बहुत से जवाबी प्रचार कार्यक्रमों में से, केवल एक कार्यक्रम आज की बात प्रसारित किया जा रहा है, जिसमें समसामयिक मुद्दों पर चर्चा की जाती है.
दूसरे कई प्रोग्राम्स जैसे- आंतरिक मुद्दों, विरोधाभासों, टकरावों, असहमतियों और पाकिस्तान के अंदर मातहतों की आवाज़ जैसे विषयों पर स्क्रिप्ट पर आधारित प्रोग्राम-फिक्र-ओ-ख़याल; पाकिस्तानी मिडिया रिपोर्ट्स का विश्लेषण और जवाब, और पाकिस्तान के बारे में वर्ल्ड प्रेस की रिपोर्ट्स का प्रोग्राम मंज़र पस मंज़र; और इंटरनेशनल प्रेस पाकिस्तान के बारे में क्या कहती है, उसपर एक प्रोग्राम- जहांनुमा- फिलहाल निलंबित हैं.
यहां तक कि उर्दू सर्विस का एक प्रोग्राम पाकिस्तान डायरी भी- जो पिछले साल फरवरी में, बालाकोट हमलों के बाद शुरू किया गया था, अभी तक निलंबित चल रहा है.
बहाली की मांग
अब आवाज़ें उठ रही है कि एआईआर अपनी उर्दू सर्विस को बाक़ायदा से बहाल करे. दिप्रिंट से बात करते हुए अमृतसर से एक रिटायर्ड इंजीनियर, हरजब सिंह औजिला ने कहा कि अमृतसर में अटारी बॉर्डर पर लगा एफएम ट्रांसमिटर, जो कार्यक्रमों को लाहौर तक प्रसारित करता था, फिलहाल बंद पड़ा हुआ है, जिससे अमृतसर और लाहौर दोनों में एआईआर के श्रोता प्रभावित हो रहे हैं.
उन्होंने कहा,’उर्दू सर्विस यहां और लाहौर दोनों में लोकप्रिय थी. लोग संगीत और दूसरे प्रोग्राम्स के लिए उसे ज़रूर सुनते थे’. उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसे समय में जब अमृतसर में पाकिस्तान से आ रहे संदेशों की भारमार है, उर्दू सर्विस का प्रसारण बंद करने का कोई मतलब नहीं बनता.’
औजिला ने ये भी कहा कि सरकार के लिए बहुत ज़रूरी है, कि एआईआर के कार्यक्रमों को पाकिस्तान तक पहुंचाने के लिए, मौजूदा 1000 फुट टावर को चालू किया जाए.
ये टावर जो क़रीब 10 साल पहले लगाया गया था, कभी कमीशन नहीं किया गया. इससे सुनिश्चित हो जाता कि प्रसारित की गई सामग्री, पाकिस्तान में कम से कम 150 किलोमीटर अंदर तक पहुंच जाती, जिसमें लाहौर, सियालकोट और गुजरांवाला आ जाते, जो सीमापार के पंजाब के केंद्र में हैं.
शॉर्ट वेव ट्रांसमिटर्स के पुनर्गठन के प्रयासों के बीच उठाया गया क़दम
जैसा कि दिप्रिंट ने ख़बर दी थी, प्रसार भारती की नियुक्त की हुई कमीटी ने, एआईआर के 48 शॉर्टवेव ट्रांसमिटर्स को, इस आधार पर बंद करने की सिफारिश की थी, कि ये महंगे हैं, पुराने पड़ गए हैं, और अब इनके ज़्यादा श्रोता नहीं बचे हैं.
उर्दू सर्विस में की गई कटौती इसी मूव का एक हिस्सा है.
सूत्रों का कहना था कि इससे भारत की ग्लोबल आउटरीच पर असर पड़ेगा, लेकिन इन ट्रांसमिटर्स की जगह एफएम ट्रांसमिटर्स लगाने के कोई प्रयास नहीं हुए हैं, जबकि पाकिस्तान और नेपाल जैसे भारत के पड़ोसी देशों में, एफएम की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है.
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