scorecardresearch
बुधवार, 30 अप्रैल, 2025
होमदेशभाखड़ा नहर के पानी को लेकर पंजाब और हरियाणा में राजनीतिक विवाद शुरू, केंद्र कर सकता है मध्यस्थता

भाखड़ा नहर के पानी को लेकर पंजाब और हरियाणा में राजनीतिक विवाद शुरू, केंद्र कर सकता है मध्यस्थता

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपने कदम का बचाव करते हुए दावा किया है कि पंजाब के पास कोई अतिरिक्त पानी नहीं है, जबकि हरियाणा की नायब सैनी सरकार ने इस बयान को खारिज कर दिया है. हरियाणा में 5 जिलों पर दबाव है.

Text Size:

गुरुग्राम: आम आदमी पार्टी (आप) सरकार द्वारा राज्य की रोज़ाना की जल आपूर्ति को 9,500 क्यूसेक से घटाकर 4,000 क्यूसेक करने के बाद भाखड़ा नहर से पानी के आवंटन को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच विवाद गहरा गया है.

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपने कदम का बचाव करते हुए दावा किया है कि पंजाब के पास कोई अतिरिक्त पानी नहीं है, जबकि हरियाणा ने इस बयान को खारिज करते हुए मान सरकार पर लंबे समय से चले आ रहे जल-बंटवारे समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है.

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मान के बयानों को “चौंकाने वाला” और भ्रामक बताया है. मंगलवार को हरियाणा की सिंचाई मंत्री श्रुति चौधरी ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल से दिल्ली में मुलाकात की और केंद्र से हस्तक्षेप की मांग की. उन्होंने चेतावनी दी कि कटौती से हिसार, फतेहाबाद, सिरसा, रोहतक और महेंद्रगढ़ जिलों में पेयजल और सिंचाई पर गंभीर असर पड़ सकता है.

दशकों से चले आ रहे जल मसले में ताज़ा विवाद दो हफ्ते पहले तब सामने आया जब पंजाब ने भाखड़ा नहर से हरियाणा को मिलने वाले पानी में कटौती कर दी, जो राज्य की सिंचाई और पेयजल ज़रूरतों के लिए एक महत्वपूर्ण जीवनरेखा है.

हरियाणा-पंजाब जल विवाद की जड़ें 1966 में पंजाब के पुनर्गठन से जुड़ी हैं, जब हरियाणा को एक अलग राज्य बनाया गया था. नदी के पानी का आवंटन, विशेष रूप से सतलुज और व्यास नदियों से, उस समय से विवादास्पद हो गया.

भाखड़ा व्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) की मदद से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान द्वारा किए गए 1981 के जल-बंटवारे के समझौते के अनुसार, हरियाणा भाखड़ा नहर से पानी के एक निश्चित हिस्से का हकदार है.

समझौते के तहत, रावी व्यास के पानी का शुद्ध अधिशेष 17.17 मिलियन एकड़ फीट (एमएएफ) होने का अनुमान लगाया गया था, जबकि पंजाब को 4.22 एमएएफ, हरियाणा को 3.50 एमएएफ और राजस्थान को 8.60 एमएएफ आवंटित किया गया था.

हाल तक पंजाब, हरियाणा को प्रतिदिन 9,500 क्यूसेक पानी की आपूर्ति करता था, लेकिन इसे अचानक घटाकर 4,000 क्यूसेक कर दिया गया, जिससे एकतरफा कार्रवाई के आरोप लगने लगे.

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बुधवार को पंजाब के फैसले और मान के औचित्य पर हैरानी जताई. मीडिया को दिए गए एक बयान में सैनी ने कहा कि उन्होंने 26 अप्रैल को मान से व्यक्तिगत रूप से बात की और बताया कि पंजाब के अधिकारी 23 अप्रैल से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान को पानी छोड़ने के बीबीएमबी तकनीकी समिति के फैसले में बाधा डाल रहे हैं.

सैनी ने कहा, “मान ने मुझे आश्वासन दिया कि वह अपने अधिकारियों को अगली सुबह तक अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश देंगे.”

हालांकि, जब 27 अप्रैल तक कोई कार्रवाई नहीं की गई और पंजाब के अधिकारियों ने कथित तौर पर अपने हरियाणा के समकक्षों के कॉल को नज़रअंदाज कर दिया, तो सैनी ने मान को एक पत्र लिखा, जिसमें इस मुद्दे को दोहराया गया.

सैनी ने आरोप लगाया, “48 घंटे के भीतर मेरे पत्र का जवाब देने के बजाय, मान ने पंजाब में राजनीतिक लाभ के लिए जनता को गुमराह करने वाला 7 मिनट 17 सेकंड का वीडियो जारी किया.”

उन्होंने मान पर “अपनी राजनीतिक छवि को बढ़ाने” के लिए तथ्यों को दरकिनार करने का आरोप लगाया.

अपने वीडियो बयान में मान ने तर्क दिया कि पंजाब के पास साझा करने के लिए कोई अतिरिक्त पानी नहीं है, उन्होंने दावा किया कि हरियाणा ने दो महीने पहले ही अपना वार्षिक कोटा समाप्त कर लिया है.

मान ने कहा कि पंजाब का जल लेखा-जोखा 21 मई से शुरू होने वाली एक साल की अवधि से चल रहा है और हरियाणा के आवंटन का पूरा उपयोग किया गया है.

उन्होंने प्रमुख जलाशयों के घटे जलस्तर पर प्रकाश डाला और कहा कि रंजीत सागर बांध पिछले साल की तुलना में 39 फीट कम है और पोंग बांध 24 फीट नीचे है. “हमारे पास देने के लिए एक भी बूंद नहीं है”.

मान ने प्रकाश सिंह बादल और अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली पिछली पंजाब सरकारों पर जल आवंटन के कुप्रबंधन का आरोप लगाया, “बीबीएमबी के माध्यम से भाजपा हम पर हरियाणा को अधिक पानी देने के लिए दबाव डाल रही है, लेकिन हम झुकेंगे नहीं”.

मान के वीडियो बयान में इस मुद्दे को पंजाब द्वारा भाजपा की “गंदी चालों” के खिलाफ खड़े होने के रूप में पेश किया गया है.

यह विवाद अब दो राज्यों के बीच राजनीतिक दोषारोपण के खेल में बदल गया है, जहां प्रतिद्वंद्वी दलों का शासन है. हरियाणा की भाजपा सरकार ने आम आदमी पार्टी पर जल राष्ट्रवाद को बढ़ावा देकर पंजाब में शासन की विफलताओं को दूर करने का आरोप लगाया है.

कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा तथा इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) नेता अभय सिंह चौटाला ने भी सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर जैसे संबंधित मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के बावजूद हरियाणा का हिस्सा सुरक्षित करने में विफल रहने के लिए दोनों राज्यों की भाजपा सरकारों की आलोचना की है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: यमुना के बदलते रुख ने हरियाणा-यूपी के बीच दशकों पुराने ज़मीन विवाद को कैसे बढ़ाया


 

share & View comments