पुणे, 28 मई (भाषा) पुणे की एक अदालत ने बुधवार को पुत्रवधू की दहेज के कारण कथित आत्महत्या के मामले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकंपा) के निष्कासित नेता राजेंद्र हगवणे और उनके बेटे सुशील हगवणे की पुलिस हिरासत 31 मई तक बढ़ा दी।
राजेंद्र हगवणे की पुत्रवधू वैष्णवी हगवणे ने 16 मई को पश्चिमी महाराष्ट्र के पुणे जिले के पिंपरी-चिंचवाड़ शहर के बावधन में अपनी ससुराल में फांसी लगा ली थी।
अधिकारियों ने बताया कि अदालत ने तीन अन्य आरोपियों (वैष्णवी के पति शशांक, उसकी सास लता हगवणे और ननद करिश्मा) की पुलिस हिरासत भी 29 मई तक बढ़ा दी।
अभियोजन पक्ष ने रिमांड बढ़ाने का अनुरोध करते हुए कहा कि पुलिस लता, करिश्मा और सुशील के फोन का पता लगाना चाहती है और उनसे व्हाट्सएप संदेश और ‘चैट’ बरामद करना चाहती है।
अभियोजन पक्ष ने कहा कि वे फरार आरोपियों में से एक नीलेश चव्हाण का पता लगाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि चव्हाण ने वैष्णवी के मायके के परिवार के सदस्यों को उस समय कथित तौर पर धमकी दी थी, जब वे उसकी मौत के बाद वैष्णवी के बच्चे को लेने गए थे।
उसके परिवार ने आरोप लगाया है कि राजेंद्र हगवणे और उसके रिश्तेदारों द्वारा उसे दहेज के लिए परेशान किया गया था, जिसमें जमीन खरीदने के लिए दो करोड़ रुपये की मांग भी शामिल थी।
पुलिस ने बुधवार को अदालत को यह भी बताया कि वे उन वस्तुओं को बरामद करना चाहते हैं, जिनका इस्तेमाल शशांक ने वैष्णवी की आत्महत्या से पहले उसे ‘पीटने’ के लिए किया था और इसके लिए उन्हें आरोपी की हिरासत की जरूरत है।
बचाव पक्ष के वकील विपुल दुशिंग ने तर्क दिया कि इस मामले को दहेज से नहीं जोड़ा जाना चाहिए, क्योंकि शादी के लिए वैष्णवी के माता-पिता से हगवणे परिवार ने कोई दहेज नहीं मांगा था।
दुशिंग ने कहा कि वैष्णवी के माता-पिता ने स्वेच्छा से उपहार और अन्य सामान दिए थे।
दलीलें सुनने के बाद अदालत ने राजेंद्र हगवणे और सुशील की रिमांड 31 मई तक और तीन अन्य आरोपियों की रिमांड 29 मई तक बढ़ा दी।
भाषा
शुभम पवनेश
पवनेश
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