गुरुग्राम, 24 जुलाई (भाषा) गुरुग्राम पुलिस द्वारा अवैध अप्रवासियों के लिए बनाए गए ‘होल्डिंग एरिया’ में अपने पति की तलाश में दर-दर भटकती रही पश्चिम बंगाल की निवासी अंजू खातून की आंखों में भय और बेबसी साफ देखी जा सकती है।
वह अकेली नहीं हैं जिन्हें इस तरह के अनुभव से गुजरना पड़ रहा है। अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए पुलिस के अभियान से बांग्ला भाषी लोगों में डर का माहौल है। कई लोगों का दावा है कि पुलिस बांग्ला भाषी लोगों को निशाना बना रही है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार पिछले एक सप्ताह से जारी इस अभियान के तहत 250 से अधिक संदिग्ध लोगों को ‘होल्डिंग एरिया’ में भेजा गया है जहां उनके दस्तावेजों का सत्यापन किया जा रहा है।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अवैध प्रवासियों की पहचान करने के लिए सत्यापन प्रक्रिया जारी है और उन्होंने उन खबरों का खंडन किया जिसमें कहा गया कि पश्चिम बंगाल के प्रवासी श्रमिकों को हिरासत में लिया जा रहा है।
इस अभियान का असर साफ-सफाई से जुड़ें कार्यों पर स्पष्ट देखा जा सकता है और मिलेनियम सिटी गुरुग्राम में जगह-जगह कचरे के ढेर लग गए हैं। बांग्ला भाषी अधिकांश सफाई कर्मचारियों ने इस डर से काम पर आना बंद कर दिया है कि उन्हें मूल निवास सत्यापन के लिए हिरासत केंद्र में भेज दिया जाएगा।
सेक्टर 56 की एक झुग्गी बस्ती में रहने वाली खातून ने कहा, ‘‘सोमवार को मेरे पति सेक्टर-56 स्थित एक आवासीय सोसाइटी में कार की सफाई के लिए गए थे, तभी पुलिस उन्हें अपने साथ ले गई। देर शाम मुझे पता चला कि वह एक हिरासत केंद्र में हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं अपने आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज लेकर केंद्र पहुंची, तब जाकर पुलिस ने मेरे पति को रिहा किया। हम पश्चिम बंगाल से हैं और पिछले पांच सालों से गुरुग्राम में रह रहे हैं।’’
सूत्रों ने दावा किया कि असम के धुबरी के 20 से अधिक लोगों को पुलिस ने सेक्टर-10 स्थित सामुदायिक केंद्र में पांच दिनों तक रखा जिसके बाद उन्हें बुधवार को रिहा कर दिया गया।
शहर में 10 साल से कचरा बीन रहे जहांनूर इस्लाम ने बताया कि पुलिस ने उन्हें पांच दिन पहले पकड़ लिया था। इस्लाम ने कहा, ‘‘हमें यह नहीं बताया गया कि हमें क्यों पकड़ा गया है। पकड़े गए सभी लोग ककरोला और पंचगांव गांवों के आसपास के घरों से कचरा बीनते हैं।’’
वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस अभियान के दौरान पुलिस ने आठ अवैध प्रवासियों की पहचान की है और इनके बांग्लादेशी होने का शक है। उन्होंने बताया कि पुष्टि के लिए कुछ और दस्तावेजों का सत्यापन किया जा रहा है।
गुरुग्राम के पुलिस उपायुक्त (मुख्यालय) अर्पित जैन ने बृहस्पतिवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को फोन पर बताया, ‘‘हम संदिग्ध अवैध प्रवासियों के मामले में केंद्र के दिशा-निर्देशों का पालन कर रहे हैं। हम उन्हें हिरासत में नहीं ले रहे हैं, बल्कि सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने तक उन्हें ‘होल्डिंग एरिया’ में रखा जा रहा है और तदनुसार, हम उन्हें जाने दे रहे हैं।’’
जैन ने कहा, ‘‘उन्हें होल्डिंग एरिया में रखने का एकमात्र उद्देश्य यह है कि कोई भी अवैध प्रवासी फरार न सके।’’ उन्होंने बताया कि गुरुग्राम में चार ‘होल्डिंग एरिया’ बनाए गए हैं।
पुलिस ने बताया कि ये ‘होल्डिंग एरिया’ बादशाहपुर, सेक्टर 10ए, सेक्टर 40 और मानेसर के सेक्टर एक स्थित सामुदायिक केंद्रों में बनाए गए हैं।
मंगलवार को प्रशासन ने नायब तहसीलदारों को इन केंद्रों का प्रभारी नियुक्त किया।
गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के तहत चार ‘होल्डिंग एरिया’ बनाए गए हैं। इन केंद्रों पर उन्हें चिकित्सा सुविधाओं सहित सभी बुनियादी जरूरतें प्रदान की जा रही हैं।
जिन लोगों का सत्यापन हो चुका है उन्हें जाने दिया जा रहा है। प्रत्येक ‘होल्डिंग एरिया’ में 50 से ज्यादा लोगों को रखा गया है, जहां उनके दस्तावेजों की जांच की जा रही है।
गुरुग्राम पुलिस के प्रवक्ता संदीप कुमार ने कहा, ‘‘जांच के बाद सभी को रिहा कर दिया जाएगा।’’
उन्होंने बताया कि गुरुग्राम पुलिस अवैध प्रवासियों की पहचान करने के लिए पूरे वर्ष अभियान चलाती रहती है।
पुलिस उपायुक्त ने बताया कि निर्धारित अवधि से अधिक समय तक ठहरने वालों, अवैध रूप से या वैध दस्तावेजों के बिना देश में रहने वाले लोगों को निर्वासित किया जाता है।
मौजूदा अभियान के बारे में जैन ने कहा कि प्रत्येक संदिग्ध व्यक्ति का विवरण सत्यापन के लिए संबंधित राज्य के जिलाधिकारी या उपायुक्त को भेजा जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब हमें वहां से रिपोर्ट मिलती है तो हम उसके आधार पर आगे की कार्रवाई करते हैं।’’
भाषा खारी नरेश
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