नई दिल्ली: एनसीईआरटी के नए पाठ्यक्रम में आठवीं के छात्र पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की यह कविता पढ़ेंगे-
बाधाएं आती हैं आएं
घिरें प्रलय की घोर घटाएं,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,
निज हाथों में हंसते-हंसते,
आग लगाकर जलना होगा.
कदम मिलाकर चलना होगा.
हास्य-रूदन में, तूफानों में,
अगर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना होगा.
कदम मिलाकर चलना होगा.
उजियारे में, अंधकार में,
कल कहार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,
जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को ढलना होगा.
कदम मिलाकर चलना होगा.
सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,
प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,
असफल, सफल समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न मांगते,
पावस बनकर ढलना होगा.
कदम मिलाकर चलना होगा.
कुछ कांटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुबन,
परहित अर्पित अपना तन-मन,
जीवन को शत-शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा.
क़दम मिलाकर चलना होगा.
अंग्रेज़ी अखबार इंडियन एक्स्प्रेस की खबर के अनुसार भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ‘कविता कदम मिलाकर चलना होगा’ आगामी शैक्षणिक सत्र से आठवीं के छात्रों को पॉलिटिकल साइंस विषय में पढ़ाई जाएगी. भारत सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के देश की उन्नति में उनके योगदान व उपलब्धियों को देखते हुए यह फैसला लिया है. वाजपेयी की यह कविता मार्च से शुरू हो रहे सत्र से ही पढ़ाई जाएगी. गौरतलब है कि बीते वर्ष अगस्त माह में उनका निधन हो गया था. इसके बाद कई भाजपा शासित राज्यों ने उनके सम्मान में कई योजनाओं का नामकरण भी किया है.