कोच्चि, 25 जनवरी (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री को COVID-19 टीकाकरण पर संदेश देने का पूरा अधिकार है और टीकाकरण प्रमाणपत्र में उनकी तस्वीर को विज्ञापन नहीं माना जा सकता है।
प्रधान न्यायाधीश एस मणिकुमार और न्यायमूर्ति शाजी पी चाली की खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ दायर एक अपील को खारिज कर दिया। एकल न्यायाधीश ने पूर्व में कोविड-19 टीकाकरण प्रमाणपत्रों से प्रधानमंत्री की तस्वीर को हटाने की मांग करने वाली याचिका को रद्द कर दिया था।
एकल पीठ ने पिछले साल 21 दिसंबर को पीटर म्यालीपरम्पिल द्वारा दायर याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह “ओछी” थी, “गलत उद्देश्यों” के साथ “प्रचार पाने के उद्देश्य” के साथ दायर की गई थी व याचिकाकर्ता का शायद “राजनीतिक एजेंडा” भी था और याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। पीटर ने अदालत के उस फैसले को चुनौती दी थी।
अदालत ने पहले कहा था कि निर्धारित अवधि के भीतर रकम जमा करने में विफल रहने की स्थिति में, केरल राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (केएलएसए) उसके खिलाफ राजस्व वसूली की कार्यवाही शुरू करके उसकी संपत्ति कुर्क कर रकम की वसूली करेगा।
याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि प्रमाण पत्र एक निजी दस्तावेज है, जिसमें व्यक्तिगत विवरण दर्ज हैं और इसलिए, किसी व्यक्ति की गोपनीयता में दखल देना अनुचित था।
वरिष्ठ नागरिक म्यालीपरम्पिल ने अपनी याचिका में दलील दी थी कि टीकाकरण प्रमाणपत्र पर प्रधानमंत्री की तस्वीर मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
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प्रशांत नरेश
नरेश
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