नई दिल्ली: महामारी के दौरान बहुत सी चीज़ें बदल गई हैं. उनमें से एक है वीवीआईपीज़ से मिलने का प्रोटोकोल.
कोविड महामारी के बाद से, आने वालों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फिज़िकल मुलाक़ातें, घटाकर बिल्कुल कम कर दी गई हैं. सरकारी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि न सिर्फ पीएम से मिलने वाले मुलाक़ातियों की संख्या कम कर दी गई है, बल्कि जो आते हैं उन्हें भी, अपॉइंटमेंट से 24 घंटे पहले, आरटी-पीसीआर टेस्ट कराना पड़ता है.
अधिकारियों के साथ भी, प्रधानमंत्री की फिज़िकल मुलाकातें कम से कम, और ‘ज़रूरत पर आधारित’ होती हैं. अधिकतर बैठकें अब वर्चुअल हो रही हैं, सिवाय कुछ बहुत अहम मीटिंग्स के, जो कैबिनेट मंत्रियों या राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ होती हैं. सरकारी सूत्रों ने बताया कि सरकारी अधिकारी भी, ज़रूरत पड़ने पर ही पीएम से मिल रहे हैं.
मंत्रियों या अधिकारियों के साथ फिज़िकल मीटिंग्स में भी, थर्मल स्कैनर के साथ टेम्प्रेचर लेने, सैनिटाइज़ेशन और सोशल डिस्टेंसिंग आदि के प्रोटोकोल का कड़ाई से पालन किया जाता है. हर किसी के लिए मास्क पहनना अनिवार्य है. सूत्र ने आगे कहा, ‘किसी भी मीटिंग में पीएम और अधिकारियों के बीच, कम से कम 15-20 फीट का फासला रखा जाता है’.
मोदी हमेशा घर से काम नहीं करते
सूत्रों का कहना है कि महामारी को दौरान, मोदी अधिकतर 7 लोक कल्याण से ही काम करते रहे हैं जो उनका आधिकारिक आवास है.
लेकिन, कोविड सुरक्षा उपायों ने मोदी को बाहर निकलने से रोका नहीं है. वो संसद के मॉनसून सत्र में शामिल हुए, जो सितंबर में समाप्त हुआ. हाल ही में उन्होंने बिहार में चुनाव रैलियों में शिरकत की है. एक दूसरे सूत्र ने कहा, ‘अगर ज़रूरत हो तो वो आधिकारिक या सार्वजनिक आयोजनों में शरीक होते हैं. लेकिन प्राथमिकता वर्चुअल बैठकों को दी जाती है.’
सरकारी सूत्रों का कहना है कि वर्चुअल बैठकों में यात्रा के लॉजिस्टिक्स पूरी तरह ख़त्म होने से, मोदी के अधिकारिक और सार्वजनिक काम, कोविड से पहले के मुक़ाबले कई गुना बढ़ गए हैं. सूत्र ने कहा, ‘अब ज़्यादा बैठकें हो रही हैं, चूंकि वो सब वर्चुअल हैं’.
देशव्यापी लॉकडाउन लागू होने के शुरुआती महीनों में, केंद्रीय कैबिनेट की कुछ बैठकें पीएम आवास पर आयोजित की गईं थीं.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, ‘लेकिन, बाद में इन्हें बंद कर दिया गया, और अब कैबिनेट की बैठकें भी वर्चुअल होती हैं. अगर पीएम से चाहते हैं कि किसी अहम मुद्दे पर चर्चा की जाए, तो वो संबंधित मंत्री को वर्चुअल कैबिनेट मीटिंग के दौरान, अपने आवास पर मौजूद रहने के लिए बुला लेते हैं’.
पीएम को कवर करने वाले दूरदर्शन संवाददाता और कैमरामैन भी, जिन्हें उनके अधिकारिक आवास पर जाना होता है, उस वक़्त कड़े आईसोलेशन में होते हैं, जब वो कॉल पर नहीं होते. एक सरकारी सूत्र ने कहा, ‘टीम का आरटी-पीसीआर टेस्ट कराया गया था. इसके अलावा उन्हें कहा गया है कि बाहर किसी से मिलना-जुलना न करें. उन्हें अपने ऑफिस जाने की भी ज़रूरत नहीं है’.
भारत में कोविड-19 महामारी का प्रकोप होने के बाद से, मोदी सरकार के कम से एक दर्जन मंत्री, जिनमें गृहमंत्री अमित शाह, हाईवेज़ मंत्री नितिन गडकरी, जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, और महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी शामिल हैं, नॉवल कोरोनावायरस टेस्ट में पॉज़िटिव पाए गए. पिछले कुछ महीनों में कई शीर्ष सरकारी अधिकारी भी, कोविड-19 पॉज़िटिव पाए गए हैं.
रेल राज्य मंत्री सुरेश अंगाड़ी कोविड-19 का शिकार होकर जान गंवा बैठे.
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ख़ान इस कड़ी में ताज़ा शिकार हैं, जिनका टेस्ट शनिवार को पॉज़िटिव पाया गया.
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कोविड का कोई मानकीकृत प्रोटोकोल नहीं
लेकिन पीएम, राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति जैसे वीवीआईपीज़ के लिए, कोविड का कोई मानकीकृत प्रोटोकोल नहीं है.
दूसरे सूत्र ने कहा, ‘मसलन, पीएम के लिए अंदरूनी तौर पर एक अनौपचारिक प्रोटोकोल तय किया गया है. स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप इस बात की निगरानी करता है कि प्रोटोकोल का पालन किया जाए. इसके अलावा, पीएम के स्वास्थ्य पर भी नियमित रूप से नज़र रखी जाती है’.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के लिए भी, एक अनौपचारिक लेकिन कम कड़ा कोविड-19 प्रोटोकोल रखा गया है. राष्ट्रपति भवन के एक अधिकारी ने कहा, ‘ख़ास बात ये है कि राष्ट्रपति के साथ फिज़िकल बैठकें कम से कम कर दी गईं हैं. हम दूसरे कोविड प्रोटोकोल्स का भी कड़ाई से पालन कर रहे हैं, जैसे सोशल डिंस्टेंसिंग बनाए रखना, बार बार सैनिटाइज़ेशन, और टेम्प्रेचर की जांच’.
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू सितंबर में कोविड-19 पॉज़िटिव पाए गए थे, जो उसके बाद ठीक हो गए हैं.
चूंकि सभी प्रांतों में कोई मानकीकृत प्रोटोकोल नहीं है, इसलिए राज्यपालों और उप-राज्यपालों जैसे संवैधानिक प्रमुखों के लिए, अलग अलग नियम हैं.
मसलन, जम्मू-कश्मीर में, उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा से मिलने आने वाले लोगों को, उनसे मुलाक़ात करने से पहले, राजभवन परिसर में ही एक रैपिड एंटिजेन टेस्ट कराना पड़ता है. केरल में, जहां मामलों में उछाल देखा जा रहा है, राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ख़ान के ऑफिस में, ये प्रोटोकोल इतना कड़ा नहीं है. ख़ान से मिलने से पहले विज़िटर्स और अधिकारियों को, नियमित टेम्प्रेचर जांच और सैनिटाइज़ेशन ड्रिल से गुज़रना होता है.
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