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Thursday, 9 May, 2024
होमदेशकिस तरह एचडीआईएल के मालिक राकेश वाधवान ने खड़ा किया अपना साम्राज्य

किस तरह एचडीआईएल के मालिक राकेश वाधवान ने खड़ा किया अपना साम्राज्य

मुंबई के छह स्थानों पर छापे के बाद एचडीआईएल के चेयरमैन राकेश वाधवान और उनके बेटे सारंग वाधवान की कारें जब्त की गईं हैं.

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नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 4,355 करोड़ रुपये के पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी (पीएमसी) बैंक धोखाधड़ी मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज कर वाधवान परिवार के 12 महंगी कारों को जब्त किया है. इसमें दो रॉल्स रॉयस, दो रेंज रोवर और एक बेंटली शामिल है. मुंबई के छह स्थानों पर छापे के बाद एचडीआईएल के चेयरमैन राकेश वाधवान और उनके बेटे सारंग वाधवान की ये कारें जब्त की गईं. इस बीच ईडी ने पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक के लापता प्रबंध निदेशक जॉय थॉमस को गिरफ्तार किया है.

पिछले चार दिनों से लापता थॉमस की गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है, जब एक दिन पहले गुरुवार को रियलिटी कंपनी एचडीआईएल के अध्यक्ष राकेश कुमार वाधवान और प्रबंधन निदेशक सारंग वाधवान को इसी विभाग ने गिरफ्तार किया था और उनकी 3,500 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली थी.

ईडी ने हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचडीआईएल) और उसके प्रमोटरों के खिलाफ धन शोधन निरोधक कानून (पीएमएलए) की विभिन्न धाराओं के तहत प्रवर्तन मामले की जांच रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की है और मामले की जांच शुरू कर दी है.

ईडी द्वारा दर्ज मामले में एचडीआईएल के कार्यकारी अध्यक्ष राकेश वाधवान और समूह के उपाध्यक्ष और उनके बेटे सारंग को नामज़द किया गया है. ईडी ने मामले में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए जांच शुरू कर दी है.

पीएमसी बैंक धोखाधड़ी में कथित भूमिका को लेकर गुरुवार को मुंबई पुलिस ने राकेश वाधवान और उनके बेटे सारंग को गिरफ्तार किया था. पिता और पुत्र दोनों को मुंबई पुलिस के ईओडब्ल्यू कार्यालय में बुलाया गया और जब जांचकर्ताओं ने पाया कि वे जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं, तो उन्होंने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.

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ईओडब्ल्यू के प्रमुख राजवर्धन सिन्हा ने कहा, ‘हमने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और उनसे पूछताछ जारी है.’

यह आरोप लगाया गया है कि एचडीआईएल, जो दिवालियेपन की कार्यवाही का सामना कर रहा है, और उसकी समूह की कंपनियों ने पीएमसी बैंक से भारी कर्ज लिया था.

एफआईआर पीएमसी बैंक के रिकवरी डिपार्टमेंट के मैनेजर जसबीर सिंह मट्टा द्वारा दर्ज कराई गई. यह भी आरोप लगाया गया है कि 21,049 जाली बैंक खातों को कथित रूप से ऋण को छिपाने के लिए तैयार किया गया था, जो भारतीय रिजर्व बैंक के मानदंडों का उल्लंघन करते थे.

उल्लेखनीय है कि आर्थिक अपराध शाखा ने पिछले सोमवार को पीएमसी बैंक और एचडीआईएल के खिलाफ कथित तौर पर 4,335 करोड़ रुपये का बैंक को नुकसान पहुंचाने के लिए एक मामला दर्ज किया था.

ईडी सूत्रों ने कहा कि पीएमसी बैंक के प्रबंधक (रिकवरी डिपार्टमेंट) की शिकायत के बाद मामला दर्ज किया गया. शिकायत में आरोप लगाया गया है कि एडीआईएल के संकटग्रस्त ऋण खातों को दबाने के लिए 21,000 से अधिक फर्जी खाते बनाए गए.

मुंबई पुलिस की प्राथमिकी में थॉमस, सिंह, वाधवान और अन्य अधिकारियों के नाम हैं और मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल गठित किया गया है.

वाधवान परिवार न कैसे खड़ा किया साम्राज्य

करोड़ों के पीएमसी बैंक घोटाले के आरोपी वाधवान परिवार के पास वे खूबसूरत मशीनें थीं जिनसे दुनिया कभी मुखातिब नहीं हुई होगी. परिवार के पास बेशकीमती रॉल्स रॉयस कारों की सबसे बड़ी फ्लीट से लेकर फॉल्कन 2000 जैसे अत्याधुनिक प्राइवेट जेट का मालिकाना अधिकार था.

अब, घोटाले की जारी जांच में खुलकर सामने आ रहा है कि वाधवान परिवार ने अपना रियल एस्टेट का जो साम्राज्य खड़ा किया है, उसे बनाने में पंजाब एवं महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक के दागी हो चुके चेयरमैन वरयाम सिंह की भी खास भूमिका रही है.


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शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुंबई पुलिस से बैंक घोटाले के विवरण हासिल किए. हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचडीआईएल) के प्रमोटर राकेश वाधावन और उनके बेटे सारंग (सनी) वाधावन से कुछ संदिग्ध कंपनियों के बारे में पूछताछ की गई है. इसमें प्रिविलेज एयरवेज प्राइवेट लिमिटेड, जिसके पास फ्रांसीसी कंपनी दसॉ द्वारा निर्मित डीए 200 फॉल्कन जेट थे, और ब्रॉडकास्ट इनीशिएटिव प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं जो वस्तुत: वरयाम सिंह द्वारा संचालित थी. वरयाम सिंह पीएमसी बैंक के विवादित प्रमुख हैं जिन्होंने 4335 करोड़ के कर्ज घपले में वधावन परिवार को उपकृत किया है.

दस्तावेजों से पता चलता है कि प्रिविलेज एयरवेज की स्थापना 16 फरवरी 2006 को राकेश वाधावन ने की थी और इसका खास लक्ष्य राजनेताओं और तमाम सेलिब्रिटी को उपकृत करना था.

वरयाम सिंह राजनेताओं और राकेश वधावन के बीच सेतु का काम करते थे. वह उसी फॉल्कन 2000 से अमूमन यात्रा करते थे. राकेश वाधावन के स्वामित्व वाली प्रिविलेज पॉवर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के निदेशक वरयाम सिंह ने विभिन्न राज्य सरकारों और एचडीआईएल के बीच महाराष्ट्र में कई करोड़ की ऊर्जा परियोजनाओं के लिए संवाद कराया था.

सूत्रों ने कहा कि प्रिविलेज पॉवर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के गठन के बाद, वाधावन परिवार ने अपनी निगाहें एक सेटेलाइट न्यूज चैनल को शुरू करने पर लगा दीं जिसके जरिए दिल्ली में सत्ता के गलियारों में पहुंच बनाना मकसद था.

एचडीआईएल के लिए इस उद्देश्य को हासिल करने में वरयाम सिंह के अलावा उत्तर प्रदेश कॉडर के एक आईपीएस अफसर ने खास भूमिका निभाई.

वाधावन परिवार के स्वामित्व वाले चैनल के एक पूर्व संपादक ने बताया, ‘यह वरियाम सिंह थे जिन्होंने वाधावन को ब्रॉडकॉस्ट इनीशिएटिव्स लिमिटेड सीएन के ग्रहण के लिए प्रेरित किया, एक ऐसी कंपनी जिसके पास बॉलीवुड प्रोड्यूसर अधिकारी बंधुओं द्वारा संचालित एक हिंदी (राष्ट्रीय) समाचार चैनल का स्वामित्व था. चैनल शुरू करने का एकमात्र लक्ष्य सत्ता में बैठे लोगों के साथ मेलजोल बढ़ाना था.’

संपादक स्तर के पूर्व टीवी पत्रकार ने कहा कि आखिरकार वरयाम सिंह ने लाइव इंडिया के राजनैतिक ब्यूरो के एक पत्रकार पर केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात के लिए दबाव बनाया.

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के रिकॉर्ड बताते हैं कि वरयाम सिंह को 27 सितम्बर 2010 को ब्रॉडकॉस्ट इनीशिएटिव्स लिमिटेड का निदेशक नियुक्त किया गया जो कंपनी नई दिल्ली के मंदिर मार्ग स्थित चैनल लाइव इंडिया को चलाती थी.

इससे पहले एक क्षेत्रीय चैनल मी-मराठी को मुंबई से रिलॉन्च किया गया जिसके लिए एक अलग से कंपनी मी-मराठी मीडिया लिमिटेड का गठन किया गया था. वाधावन परिवार वरयाम सिंह को इस कंपनी में 13 मई 2010 को निदेशक के तौर पर लेकर आया.


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वरयाम सिंह यूपीए-2 सरकार में दो कैबिनेट मंत्रियों के नजदीकी थे. एचडीआईएल की व्यापारिक संभावनाओं को बढ़ाने के लिए उनके पास बड़ी मीडिया शक्ति थी.

लेकिन, शीर्ष न्यूज एंकरों की नियुक्ति के बावजूद चैनल की टीआरपी नहीं आई. बाद में कंपनी में करोड़ों का डिस्ट्रीब्यूशन घोटाला सामने आया और एक आंतरिक वित्तीय ऑडिट के बाद राकेश वाधावन ने सभी न्यूज चैनलों को महाराष्ट्र के एक चिटफंड ऑपरेटर को बेच दिया.

मौजूद दस्तावेजों के मुताबिक, वरयाम सिंह के पास सितंबर 2017 तक एचडीआईएल में 1.9 फीसदी का हिस्सा था. दिसंबर 2005 में एचडीआईएल बोर्ड में बतौर निदेशक शामिल होने वाले वरयाम सिंह ने 2015 में बतौर चेयरमैन नियुक्त होने के लिए वाधावन की कंपनी से इस्तीफा दे दिया.

ऐसे में ताज्जुब की बात नहीं है कि एचडीआईएल और पीएमसी बैंक के बीच के संबंध की जांच कर रहे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सेंट्रल रजिस्ट्रार आफ कोऑपरेटिव सोसाइटीज (केंद्रीय कृषि मंत्रालय के तहत आने वाला विभाग) से इस मामले में वरयाम सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा था.

कृषि मंत्रालय में कोऑपरेटिव सोसाइटी के मामलों को देखने वाले संयुक्त सचिव से संपर्क करने की कोशिश की  लेकिन मंत्रालय द्वारा वरयाम सिंह के खिलाफ की गई किसी कार्रवाई के बारे में जानकारी नहीं मिल सकी.

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