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गुरूवार, 22 मई, 2025
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फिल्मों के खोखले संवाद न बोलें, ट्रंप के दावे का संसद में जवाब दें प्रधानमंत्री: कांग्रेस

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नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) कांग्रेस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ताजा बयान को लेकर बृहस्पतिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘‘फिल्मों जैसे खोखले संवाद’’ बोलने के बजाय संसद का विशेष सत्र बुलाकर सदन के पटल पर स्पष्टीकरण देना चाहिए तथा सभी दलों के नेताओं से भी बातचीत करनी चाहिए।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि सांसदों के प्रतिनिधिमंडलों को विभिन्न देशों के दौरे पर भेजना ‘दिखावे की निरर्थक कवायद’ है और फिलहाल यह जरूरी है कि पहलगाम हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को रोके जाने से जुड़े सवालों का सरकार जवाब दे तथा संसद से एक सामूहिक संकल्प दुनिया के सामने रखा जाए।

अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने एक फ़िर यह दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य तनाव को व्यापार समझौते के जरिए सुलझाया है।

उन्होंने बुधवार को दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा से व्हाइट हाउस में मुलाकात के दौरान यह दावा किया।

रमेश ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमारे प्रधानमंत्री अपने करीबी दोस्त द्वारा बार-बार किए जा रहे इन दावों पर पूरी तरह मौन हैं। विदेश मंत्री जयशंकर भी अपने मित्र, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो द्वारा दिए गए बयानों पर पूरी तरह खामोश हैं। रुबियो ने तो यहां तक दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी तटस्थ स्थान पर बातचीत होगी।’’

उनका कहना था, ‘‘जब हम प्रतिनिधिमंडलों को दुनिया भर में भेज रहे हैं तो अमेरिकी राष्ट्रपति ने आठवीं बार इस तरह का दावा किया है…अब तो भारत और पाकिस्तान को बराबरी पर रखा जा रहा है।’’

रमेश ने यह दावा भी किया, ‘‘कुछ खबरों में कहा गया है कि पहलगाम आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार ये आतंकवादी कुछ महीने पहले हुए तीन आतंकी हमलों में भी शामिल थे। वे पहलगाम से पहले पुंछ, गांदरबल और गुलमर्ग में आतंकी हमले कर चुके थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 18 महीने से इन आतंकवादियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। भारतीय सशस्त्र बल और पुलिस उन्हें पकड़ने में सक्षम हैं, लेकिन सरकार को स्पष्टीकरण देना होगा कि क्या ये आतंकवादी पहले की तीन घटनाओं में शामिल समूह का हिस्सा थे और यदि ऐसा है तो वो खुले क्यों घूम रहे थे?’’

रमेश ने यह मांग फिर दोहराई कि 1999 में कारगिल युद्ध के बाद बनी समीक्षा समिति की तर्ज पर पहलगाम आतंकी हमले, उसके बाद के घटनाक्रमों और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ रोके जाने की पृष्ठभूमि में भी एक समीक्षा समिति का गठन होना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी को सबसे पहले विपक्षी नेताओं के साथ बैठक करनी चाहिए। इसे सार्वजनिक करने की आवश्यकता नहीं है। वह उनसे व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से बात कर सकते हैं। वह विपक्षी नेताओं से मिलने से क्यों कतरा रहे हैं? उन्हें जल्द से जल्द संसद का सत्र बुलाना चाहिए और 22 फरवरी 1994 के प्रस्ताव को दोहराना चाहिए।’’

रमेश ने दावा किया कि दूसरे देशों में प्रतिनिधिमंडल भेजना दिखावे की निरर्थक कवायद है।

उन्होंने तंज कसते हुए कहा, ‘‘भारत और पाकिस्तान के पास ‘वेपन ऑफ मास डिस्ट्रक्शन’ (जनसंहारक हथियार) हैं। लेकिन मोदी सरकार के पास ‘वेपन ऑफ मास डिस्ट्रैक्शन’ (ध्यान भटकाने का हथियार) भी है। प्रतिनिधिमंडलों को भेजना भी ‘वेपन ऑफ मास डिस्ट्रैक्शन’ की कवायद है।’’

रमेश ने प्रधानमंत्री मोदी की बीकानेर की रैली का हवाला देते हुए कहा, ‘‘आज बीकानेर में जिस तरह प्रधानमंत्री ने एक बार फिर फिल्मों जैसे खोखले संवाद का सहारा लिया, उससे कहीं ज्यादा जरूरी है कि वे उन गंभीर सवालों का जवाब दें जो देश उनसे पूछ रहा है।’’

प्रधानमंत्री मोदी ने बीकानेर की रैली में कहा कि देश के दुश्मनों ने देख लिया कि जब सिंदूर बारूद बन जाता है तो नतीजा क्या होता है।

उन्होंने भारत के सशस्त्र बलों की प्रशंसा करते हुए कहा क‍ि तीनों सेनाओं ने मिलकर ऐसा चक्रव्यूह रचा कि पाकिस्तान को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया।

कांग्रेस सांसद प्रनीति शिंदे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘चिंताजनक बात ये भी है कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अभियान शुरू होने से पहले ही पाकिस्तान को सूचना दे दी कि हम हमला करने जा रहे हैं। ऐसे में, हमारा नरेन्द्र मोदी से सवाल है कि अभियान के दौरान संवेदनशील जानकारी पाकिस्तान को क्यों दी गई?’’

उन्होंने सवाल किया, ‘‘इस खुलासे से भारत की सुरक्षा और रणनीतिक बढ़त को कितना नुकसान हुआ? ऐसी सूचना की वजह से हमारी वायुसेना को कितना नुकसान हुआ? क्या ऐसा करके देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता किया गया?’’

शिंदे ने कहा कि प्रधानमंत्री जवाबदेही से भाग नहीं सकते और जनता लिखित भाषण नहीं, बल्कि ईमानदार जवाब चाहती है।

भाषा हक

हक नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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