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नयी दिल्ली, 21 अप्रैल (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए जारी चर्चा की पृष्ठभूमि में सोमवार को अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे डी वेंस के साथ बातचीत की।
उम्मीद है कि दोनों नेता भारत-अमेरिका वैश्विक रणनीतिक संबंधों को और विस्तार देने के तौर-तरीकों के साथ-साथ अमेरिका की व्यापार नीति पर भारत की चिंताओं पर भी चर्चा करेंगे।
फरवरी में वाशिंगटन डीसी में प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच बातचीत के बाद, दोनों पक्षों ने घोषणा की थी कि वे 2025 तक द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण के बारे में चर्चा करेंगे।
आज की मुलाकात के बाद, प्रधानमंत्री मोदी वेंस, उनकी भारतीय मूल की पत्नी उषा चिलुकुरी तथा उपराष्ट्रपति के साथ आए वरिष्ठ अमेरिकी सरकारी अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल के लिए रात्रिभोज आयोजित करेंगे।
वेंस और उनका परिवार पिछले सप्ताह इटली की यात्रा करने के बाद चार दिन की भारत की यात्रा पर आज सुबह दिल्ली पहुंचे।
वह 2013 में जो बाइडेन की भारत की यात्रा के बाद पिछले 12 वर्षों में यहां आने वाले पहले अमेरिकी उपराष्ट्रपति हैं।
वेंस की यह पहली भारत यात्रा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत समेत लगभग 60 देशों के खिलाफ व्यापक शुल्क व्यवस्था लगाने और फिर उसे स्थगित करने के कुछ सप्ताह बाद हो रही है।
भारत और अमेरिका अब द्विपक्षीय व्यापार समझौता करने के लिए बातचीत कर रहे हैं, जिसमें शुल्क और बाजार पहुंच समेत विभिन्न मुद्दों के समाधान की उम्मीद है।
वेंस और उनका परिवार जयपुर और आगरा भी जायेंगे।
पिछले महीने, अमेरिकी सहायक व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच ने भारत का दौरा किया था और द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के संबंध में भारतीय वार्ताकारों के साथ बातचीत की थी।
अमेरिकी राष्ट्रपति के शुल्क विवाद ने वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंकाओं को जन्म दे दिया है।
जवाबी शुल्क की घोषणा के कुछ दिनों बाद ट्रंप ने चीन को छोड़कर सभी देशों के लिए शुल्क पर 90 दिनों की रोक की घोषणा की।
अमेरिका, भारत पर अधिक अमेरिकी तेल, गैस और सैन्य उपकरण खरीदने के लिए दबाव डाल रहा है, ताकि व्यापार घाटे को कम किया जा सके, जो भारत के पक्ष में लगभग 45 अरब अमेरिकी डॉलर है।
वर्ष 2023 में वस्तुओं और सेवाओं में कुल द्विपक्षीय व्यापार 190 अरब अमरीकी डॉलर के साथ अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था।
वित्त वर्ष 2023-24 में, अमेरिका 4.99 अरब अमरीकी डॉलर के प्रवाह के साथ भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत था।
भाषा राजकुमार रंजन
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