नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इटली में 30 अक्टूबर से शुरू होने वाले दो दिवसीय जी-20 शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान की स्थिति और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने और कोरोना वायरसमहामारी को लेकर संयुक्त वैश्विक दृष्टिकोण अपनाने पर ज़ोर दे सकते हैं.
रविवार को विदेश मंत्रालय ने बताया कि प्रधानमंत्री 29 अक्टूबर से दो नवंबर के बीच रोम और ग्लासगो की यात्रा करेंगे, जहां वो 16वें जी-20 सम्मेलन और सीओपी-26 वैश्विक नेताओें के सम्मेलन में शामिल होंगे.
मंत्रालय ने कहा, मोदी रोम में 30 और 31 अक्टूबर को होने वाले 16वें जी-20 सम्मेलन में इटली के प्रधानमंत्री मारियो द्राघी के आमंत्रण पर शरीक होंगे. बता दें कि पिछले साल दिसंबर से ही जी-20 की अध्यक्षता इटली के पास है.
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जी-20 दुनिया का प्रमुख मंच है जो दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को एक मंच पर लाता है. इसके सदस्यों का विश्व के ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (जीडीपी) का 80 प्रतिशत, वैश्विक कारोबार में 75 प्रतिशत और पृथ्वी की आबादी में 60 प्रतिशत योगदान है.
इस मंच की बैठक साल 1999 से ही हर साल हो रही है और वर्ष 2008 से सालाना शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है जिसमें सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष और शासनाध्यक्ष हिस्सा लेते हैं.
विदेश मंत्रालय ने बताया कि पहली बार भारत साल 2023 में जी-20 का शिखर सम्मेलन आयोजित करेगा.
रोम में होने जा रहे शिखर सम्मेलन में जी-20 के सदस्यों देशों के राष्ट्राध्यक्ष और शासनाध्यक्ष, यूरोपीय संघ, आमंत्रित देश और कई अंतरराष्ट्रीय संगठन हिस्सा लेंगे.
उम्मीद की जा रही है कि इस बार जी-20 नेताओं की अहम मुद्दे जैसे कोरोनावायरस से उबरना, जलवायु परिवर्तन, गरीबी दूर करने को लेकर चर्चा की जा सकती है. मामले की जानकारी रखने वाले एक शख्स ने कहा कि इस सम्मेलन में अफगानिस्तान का मुद्दा प्रमुख रहने की उम्मीद है.
उन्होंने बताया कि संभावना है कि प्रधानमंत्री मोदी विश्व की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए भारत का नजरिया पेश करेंगे और अफगानिस्तान, महामारी से निपटने और जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए एकजुटता के रुख का आह्वान करेंगे.
यह आठवां जी-20 सम्मेलन है जिसमें मोदी शामिल होंगे. विदेश मंत्रालय ने कहा कि सम्मेलन में आर्थिक क्षेत्र में उबरने और विकास करने, जलवायु परिवर्तन, स्थायी विकास और खाद्य सुरक्षा पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री कई नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे.
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विदेश मंत्रालय ने बताया कि प्रधानमंत्री रोम से ग्लासगो यूनाइटेड नेशन फ्रेमवर्क कंवेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) के तहत वैश्विक नेताओं के सम्मेलन सीओपी-26 में शामिल होने जाएंगे. वह इस सम्मेलन में ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के न्यौते पर शामिल होंगे.
सीओपी-26 की बैठक 31 अक्टूबर से 12 नवंबर तक ब्रिटेन की अध्यक्षता में होगी और इटली इस सम्मेलन में साझेदार है.
मंत्रालय ने बताया कि सीओपी-26 का आयोजन एक और दो नवंबर को होगा. इसमें 120 से अधिक देशों के राष्ट्राध्यक्ष और शासनाध्यक्ष शामिल होंगे.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने साल 2015 में पेरिस में आयोजित सीओपी-21 में हिस्सा लिया था जब पेरिस समझौता हुआ था जिसका अनुपालन इस साल से शुरू हो रहा है.
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