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नयी दिल्ली, 18 अक्टूबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को इंटरपोल से भगोड़े अपराधियों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस (आरसीएन) में तेजी लाने का आग्रह किया ताकि आतंकवादियों, भ्रष्टाचारियों और अपराधियों के लिए सुरक्षित पनाहगाहों को खत्म करने में मदद मिल सके।
इंटरपोल द्वारा आरसीएन किसी भगोड़े अपराधी का पता लगाने के लिए जारी किया जाता है जो उस देश से भाग गया हो जहां वह वांछित है। कोई सदस्य देश किसी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार या निर्वासित कर सकता है जिसके खिलाफ इंटरपोल द्वारा ऐसा नोटिस जारी किया गया हो।
इंटरपोल की 90वीं महासभा का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में ऐसे सुरक्षित पनाहगाहों से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, जहां भ्रष्ट लोग अपराध की आय को सुरक्षित करने का कोई तरीका खोजते हैं।
उन्होंने कहा कि इस तरह का अवैध धन अकसर दुनिया के कुछ सबसे गरीब लोगों से लिया जाता है, इसे बुरी गतिविधियों में लगाया जाता है और यह आतंकी वित्तपोषण के प्रमुख स्रोतों में से एक है।
मोदी ने कहा कि मादक पदार्थों से लेकर मानव तस्करी तक, लोकतंत्रों को कमजोर करने से लेकर अवैध हथियारों की बिक्री तक, यह गंदा पैसा कई विनाशकारी कामों में मदद करता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हां, उनसे निपटने के लिए विविध कानूनी और प्रक्रियात्मक ढांचे हैं। हालांकि, सुरक्षित पनाहगाहों को खत्म करने के लिए वैश्विक समुदाय को और भी तेजी से काम करने की आवश्यकता है। भ्रष्टाचारियों, आतंकवादियों, मादक पदार्थ कार्टेल और संगठित अपराध के लिए कोई सुरक्षित ठिकाना नहीं हो सकता।’’
भारत द्वारा जारी लगभग 778 रेड नोटिस सक्रिय हैं, जिनमें से 205 सीबीआई द्वारा दाऊद इब्राहिम, उसके सहयोगी छोटा शकील, आतंकवादी मसूद अजहर, हाफिज सईद और नीरव मोदी, मेहुल चोकसी जैसे आर्थिक अपराधियों, भगोड़ों के खिलाफ हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पुलिस और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को मानवता के खिलाफ ऐसे अपराधों की जांच के लिए सहयोग बढ़ाने के वास्ते प्रक्रियाएं और प्रोटोकॉल तैयार करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘भगोड़े अपराधियों के लिए रेड कॉर्नर नोटिस में तेजी लाकर इंटरपोल मदद कर सकता है।’
इंटरपोल के महासचिव जुर्गन स्टॉक के रेड कॉर्नर नोटिस की विभिन्न सीमाएं बताने संबंधी सोमवार के बयान के मद्देनजर प्रधानमंत्री मोदी का बयान महत्वपूर्ण है।
स्टॉक ने कल कहा था कि राज्य प्रायोजित आतंकवाद जैसी किसी भी गतिविधि को रोकने में अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन कोई भूमिका नहीं निभाता है और इसका ध्यान साइबर अपराधियों, मादक पदार्थ के सौदागरों और बाल शोषण करने वालों पर अंकुश लगाने पर रहता है।
स्टॉक ने दिल्ली में इंटरपोल की 90वीं महासभा की पूर्व संध्या पर संवाददाता सम्मेलन में कहा, था, ‘हम (इस संबंध में) बहुत विशिष्ट और ठोस भूमिका नहीं निभा रहे हैं। अगर कोई राज्य प्रायोजित गतिविधि है तो इंटरपोल (इसके संबंध में) कोई काम नहीं कर रहा है।’
उन्होंने कहा था, ‘हम मुख्य रूप से हमारे संविधान के अनुसार, सामान्य कानून अपराध पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हम बाल शोषण करने वालों, बलात्कारियों, हत्यारों, अरबों पैसा कमाने की चाहत रखने वाले मादक पदार्थ सौदागरों और साइबर अपराधियों के खिलाफ काम कर रहे हैं तथा इस पर इंटरपोल का मुख्य ध्यान है। दुनिया भर में ज्यादातर यही अपराध होते हैं, इसलिए इंटरपोल मौजूद है।’
स्टॉक ने कल कहा था, ‘रेड नोटिस कोई अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट नहीं है और इंटरपोल किसी भी सदस्य देश को रेड नोटिस से संबंधित किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। किसी मामले के गुण-दोष में जाना या राष्ट्रीय अदालतों द्वारा लिए गए निर्णय को सही-गलत मानना इंटरपोल का काम नहीं है। यह प्रत्येक देश में संप्रभु मामला होता है।’
उन्होंने कहा था कि रेड नोटिस के लिए हर अनुरोध का मूल्यांकन संविधान और इंटरपोल के नियमों के अनुसार किया जाता है।
भाषा
नेत्रपाल मनीषा
मनीषा
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