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Thursday, 19 September, 2024
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PM मोदी ने किया सुभाष चंद बोस के होलोग्राम स्टेच्यू का अनावरण, कहा- देश पिछली गलतियों को सुधार रहा है

पीएम मोदी ने कहा, 'स्वाधीनता संग्राम में लाखों-लाख देशवासियों की तपस्या शामिल थी लेकिन उनके इतिहास को भी सीमित करने की कोशिशें हुईं. लेकिन आज आजादी के दशकों बाद देश उन गलतियों को डंके की चोट पर सुधार रहा है, ठीक कर रहा है.'

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नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया गेट पर रविवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर होलोग्राम स्टेच्यू का अनावरण किया. अभी पीएम ने होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया है बाद में इसे ग्रेनाइट की बनी हुई प्रतिमा से रिप्लेस किया जाएगा.

यह प्रतिमा करीब 28 फीट लंबी और साढे़ सात फीट चौड़ी है, तथा इसके लिए 4 हजार प्रोजक्टर्स का प्रयोग किया गया है जो कि 30 हजार ल्यूमेन की ब्राइटनेस दे सकते हैं.

इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, ‘नेताजी ने हमें स्वाधीन और संप्रभु भारत का विश्वास दिलाया था, उन्होंने बड़े गर्व, आत्मविश्वास और साहस के साथ अंग्रेजों के सामने कहा था कि मैं स्वतंत्रता की भीख नहीं लूंगा, मैं इसे हासिल करूंगा. ये प्रतिमा आजादी के महानायक को कृतज्ञ राष्ट्र की श्रद्धांजलि है. नेताजी सुभाष की ये प्रतिमा हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं को, हमारी पीढ़ियों को राष्ट्रीय कर्तव्य का बोध कराएगी. आने वाली और वर्तमान पीढ़ी को निरंतर प्रेरणा देती रहेगी.’

ब्रिटिश के सामने नहीं झुके नेताजी

आगे पीएम मोदी ने कहा, ‘पिछले साल देश ने नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाना शुरू किया है. आज इस अवसर पर सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार भी दिए गए हैं. नेताजी के जीवन से प्रेरणा लेकर ही इन पुरस्कारों को देने की घोषणा की गई थी. नेताजी कभी भी अंग्रेज़ों के सामने नहीं झुके.’

एनडीआरएफ को किया मजबूत

उन्होंने कहा, ‘हमने रिलीफ, रेस्क्यू और रिहैबिलिटेशन पर जोर देने के साथ ही रिफॉर्म पर भी बल दिया है. हमने एनडीआरएफ को मजबूत किया, उसका आधुनिकीकरण किया, देश भर में उसका विस्तार किया. टेक्नॉलजी से लेकर प्लानिंग और मैनेजमेंट तक, बेहतर से बेहतर संभव तरीके को अपनाया गया. पहले एक-एक साइक्लोन में सैकड़ों लोगों की मृत्यु हो जाती थी, लेकिन पिछले दिनों आए साइक्लोन में ऐसा नहीं हुआ.’

उन्होंने कहा, ‘देश ने हर चुनौती का जवाब एक नई ताकत से दिया. इन आपदाओं में हम ज्यादा से ज्यादा जीवन बचाने में सफल रहे. जिन क्षेत्रों में भूकंप, बाढ़ या साइक्लोन का खतरा ज्यादा रहता है, वहां पर पीएम आवास योजना के तहत बन रहे घरों में भी आपदा प्रबंधन का ध्यान रखा जाता है.’

डिजास्टर मैनेजमेंट के लिए ज्वाइंट ड्रिल की परंपरा शुरू की

आगे उन्होंने कहा, ‘उत्तराखंड में चारधाम महा परियोजना में भी आपदा प्रबंधन का ध्यान रखा गया है. दुनिया के अलग-अलग देशों के बीच में, सेनाओं के बीच में हमने ज्वाइंट मिलिट्री एक्सरसाइज बहुत देखी है. लेकिन भारत ने पहली बार डिजास्टर मैनेजमेंट के लिए ज्वाइंट ड्रिल की परंपरा शुरू की है.’

यूपी के एक्सप्रेस वे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘उत्तर प्रदेश में जो नए एक्सप्रेस वे बन रहे हैं, उनमें भी आपदा प्रबंधन से जुड़ी बारीकियों को प्राथमिकता दी गई है. आपात स्थिति में ये एक्सप्रेस वे विमान उतरने के काम आ सकें, इसका भी प्रावधान किया गया है.’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारे सामने आज़ादी के सौंवे साल से पहले नए भारत के निर्माण का लक्ष्य है. नेताजी को देश पर विश्वास था, उनके ही भावों के कारण मैं कह सकता हूं कि दुनिया की कोई भी ताकत नहीं है जो भारत को इस लक्ष्य तक पहुंचने से रोक सके. आज़ादी के अमृत महोत्सव का संकल्प है कि भारत अपनी पहचान और प्रेरणाओं को पुनर्जीवित करेगा.’

पिछली गलतियों का सुधार किया है

इस दौरान उन्होंने परोक्ष रूप से कांग्रेस पर भी निशाना साधने की कोशिश की. उन्होंने कहा, ‘ये दुर्भाग्य रहा कि आजादी के बाद देश की संस्कृति और संस्कारों के साथ ही अनेक महान व्यक्तित्वों के योगदान को मिटाने का काम किया गया. स्वाधीनता संग्राम में लाखों-लाख देशवासियों की तपस्या शामिल थी लेकिन उनके इतिहास को भी सीमित करने की कोशिशें हुईं. लेकिन आज आजादी के दशकों बाद देश उन गलतियों को डंके की चोट पर सुधार रहा है, ठीक कर रहा है.’

पीएम ने निजी अनुभवों का भी किया जिक्र

आगे उन्होंने कहा, ‘ये मेरा सौभाग्य है कि पिछले वर्ष, आज के ही दिन मुझे कोलकाता में नेताजी के पैतृक आवास भी जाने का अवसर मिला था. जिस कार से वो कोलकाता से निकले थे, जिस कमरे में बैठकर वो पढ़ते थे, उनके घर की सीढ़ियां, उनके घर की दीवारें, उनके दर्शन करना, वो अनुभव, शब्दों से परे है.

पीएम ने कहा, ‘मैं 21 अक्टूबर 2018 का वो दिन भी नहीं भूल सकता जब आजाद हिंद सरकार के 75 वर्ष हुए थे. लाल किले में हुए विशेष समारोह में मैंने आजाद हिंद फौज की कैप पहनकर तिरंगा फहराया था. वो पल अद्भुत है, अविस्मरणीय है.’

उन्होंने कहा, ‘नेताजी सुभाष कुछ ठान लेते थे तो फिर उन्हें कोई ताकत रोक नहीं पाती थी. हमें नेताजी सुभाष की ‘कैन डू विल डू’ स्पिरिट से प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ना है.’


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