अमरावती, तीन मई (भाषा) आंध्र प्रदेश कांग्रेस समिति (एपीसीसी) की अध्यक्ष वाईएस शर्मिला ने शनिवार को आरोप लगाया कि आंध्र प्रदेश की नयी राजधानी अमरावती को 2015 से केंद्रीय सहायता देने के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘झूठ’ बोला। उन्होंने सवाल किया कि अगर ऐसे दावे सच हैं, तो राजधानी शहर क्यों नहीं बसाया जा सका।
प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को नयी राजधानी बसाने की योजना की शुरुआत करते हुए दावा किया था कि केंद्र ने बुनियादी ढांचे के निर्माण सहित परियोजना को पूर्ण समर्थन दिया है।
शर्मिला ने आरोप लगाया, ‘‘वह (मोदी) सरासर झूठ बोल रहे हैं। अगर 2015 से अमरावती के लिए सब कुछ किया जा चुका है, तो फिर राजधानी अभी तक क्यों नहीं बनाई जा सकी है?’’
यहां जारी एक विज्ञप्ति में शर्मिला ने दावा किया कि ‘‘आंध्र प्रदेश के लोगों से 10 साल पहले जो झूठ बोला गया था, वही झूठ अब उन्हें धोखा देने के लिए दोहराया जा रहा है।’’
उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या यह आश्वासन दिया गया था कि राजधानी शहर का निर्माण केंद्र की जिम्मेदारी है? क्या उन्होंने (मोदी ने) कम से कम अमरावती के लिए वैधानिक संरक्षण का उल्लेख किया या विभाजन के वादे को पूरा करने की कोई स्पष्ट समयसीमा बताई?”
एपीसीसी प्रमुख ने पूछा कि क्या केंद्र ने अमरावती के लिए एक रुपया भी आवंटित किया है, जिसके निर्माण के लिए एक लाख करोड़ रुपये की आवश्यकता है।
उन्होंने रेखांकित किया, ‘‘आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम की धारा 94(3) के अनुसार, मौजूदा आंध्र प्रदेश राज्य की नयी राजधानी के निर्माण की पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर है।’’
मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू को आत्मचिंतन करने की सलाह देते हुए शर्मिला ने कहा कि उन्हें ‘‘मोदी पर भरोसा करने पर बार-बार धोखा मिल रहा है।’’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘हम मुख्यमंत्री से कहना चाहेंगे कि अमरावती के निर्माण के लिए अनुदान की जरूरत है, कर्ज की नहीं। आप दावा करते हैं कि राज्य पर 10 लाख करोड़ रुपये का ऋण है और कर्ज लिए बिना वेतन का भुगतान तक नहीं किया जा सकता है।’’
शर्मिला ने यह भी जानना चाहा कि नायडू को राजधानी के निर्माण के लिए 60,000 करोड़ रुपये का कर्ज जुटाने का अधिकार किसने दिया। उन्होंने सवाल किया, ‘‘आप राज्य को विश्व बैंक, एशिया विकास बैंक, हुडको और केएफडब्ल्यू (जर्मन विकास बैंक) के पास क्यों गिरवी रख रहे हैं?’’
नायडू ने हाल ही में वित्त आयोग को बताया कि अमरावती को स्थिरता, नवाचार और समावेशी विकास पर केंद्रित शहर के रूप में विकसित करने के लिए 77,249 करोड़ रुपये की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसमें से 31,000 करोड़ रुपये पहले ही विश्व बैंक, हुडको और केएफडब्ल्यू से प्राप्त किए जा चुके हैं, जबकि 47,000 करोड़ रुपये की और आवश्यकता है।
भाषा धीरज पारुल
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